tag:blogger.com,1999:blog-53171065178101671712024-03-13T19:39:43.500+05:30स्वास्थ्य चर्चाहिंदी भाषी पाठकों के लिए स्वास्थ्य विषयक जानकारी देने का छोटा सा प्रयासdrdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-8259990021206236802022-09-29T22:43:00.002+05:302022-09-30T22:00:23.935+05:30स्ट्रैच मार्क्स-कारण ,बचाव व उपचार<p><br /></p><p>अत्यधिक शारिरिक श्रम जैसे बहुत कम समय में ज्यादा कसरत करना .आपके शरीर के वजन में अचानक बदलाव ,और प्रिगनेंसी में स्ट्रैच मार्कस बन जाना एक बहुत ही सामान्य बात है.पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ये ज्यादा होते है,एक बार होने के बाद ये हमारी एकदम साफ त्वचा पर बङा ही भद्दा सा निशान बना देता है विशेषकर महिलाओं में डिलीवरी के बाद ये पेट पर गंदे से निशान से दिखाई देते हैं जिससे उन्हें अपनी पसंद के कपङे पहनने में भी परेशानी होती है. kकारण कुछ भी हो पर इस तरह के निशान आपके शरीर पर कोई अच्छा प्रभाव नहीं छोङते हैं,,दिखने में भद्दे होते हैं.. कई बार ये घाव भी कर सकता है क्यों कि वहां पर त्वचा थोङी हल्की और पतली हो जाती है होती है..पर अब आधुनिक तकनीकी की मदद से हम इन्हें काफी हद तक साफ करने में सफल हो जाते है...<br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;" /><br /></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgW5noNw-jNUfjzI658X9kUQun-QZDPnpArQvnd2sMRBneyN4CYmy2F8Zu670mEwi39epWvZ995EroiNmbv76Ew5PEPVWrupIbyEziFjN__9J3U4C3rlcdBbzusRNJZ9VWGN3QwaAA980MhWPBz52PP26cYibjvhMYu0d6LjnTIBAAf97rz-76Ev040jw/s5612/stretch-marks.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="3742" data-original-width="5612" height="291" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgW5noNw-jNUfjzI658X9kUQun-QZDPnpArQvnd2sMRBneyN4CYmy2F8Zu670mEwi39epWvZ995EroiNmbv76Ew5PEPVWrupIbyEziFjN__9J3U4C3rlcdBbzusRNJZ9VWGN3QwaAA980MhWPBz52PP26cYibjvhMYu0d6LjnTIBAAf97rz-76Ev040jw/w438-h291/stretch-marks.jpeg" width="438" /></a></div><br /><h4 style="text-align: left;">क्या होते हैं स्ट्रैच मार्क्स-</h4><p style="text-align: left;"> ये एक तरह से त्वचा में अत्यधिक खिंचाव से होने वाली स्कारिंग होती है जिसमें त्वचा पूरी तरह से फटने की जगह थोङा गहराई में खिंच जाती है.विशेष रुप से एपिडर्मिस के नीचे स्थित डर्मिस जो कि त्वचा की वो सतह होत है जो कि हमारी त्वचा को आधार देती है और हमारी त्वचा को लचीला बनाती है जो कि इसमें उपस्थित कालेजन और इलास्टिन जैसे प्रोटीन्स की वजह से होता है,</p><p>स्टीरायड के प्रभाव से और हार्मोन्स का बदलाव हो या एकदम से शरीर की वृद्धि चाहे प्रिगेंसी हो या के वजन बढने से ये कालेजन या तो कम बनता है या बढती आवश्यकता के अनुरूप कम रह जाता है और त्वचा में ये लाइने जैसी दिखाई देने लगती है.अधिकतर ये वो स्थान होते हैं जहां वजन बढने और घटने का सबसे अधिक प्रभाव होता है ये पेट, विशेष रूप से नाभि के चारों ओर ,जांघों ,बाहों व स्तन व पीठ पर नीचे की तरफ हो सकती है।जो कि शुरुआत में लाल बैंगनी लाईेंनों के रूप में होती है जौ धीरे धीरे सफेद लंबी जालियां जैसी दिखाई देने लगती है।<br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;" /><span style="color: #202124;"><span style="background-color: white; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;">हालांकि भद्दा दिखने के अलावा ये शरीर पर बाकि कोई विशेष प्रभाव नहीं डालती है,और त्वचा और शरीर कोई आंतरिक परिवर्तन इससे नहीं होता है</span></span><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;" /></p><h4 style="text-align: left;"><span face="Roboto, Arial, sans-serif" style="color: #202124;"><span style="background-color: white; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;">कारण-</span></span></h4><p></p><p>प्रिगेंसी-गर्भावस्था के समय जब गर्भस्थ शिशु वृदधि करता है,और इसके अतिरिक्त मां का वजन भी बढता है उस समय आधार देने वाली त्वचा कई बार उस बढे हुए वोल्यूम को सह नहीं पाती है और उसमें अंदर खिंचाव आ जाता है,। स्ट्रैच मार्क्स बन जाते है। हां सामान्य रूप से महिलाओं में एक भ्रांति होती है कि गर्भावस्था में कभी कभार जो खुजली होती है उसकी वजह से भी ये लकीरें बन जाती है जो कि सर्वथा गलत है बल्कि ये स्ट्रैच मार्क्स ही होते हैं जिनमें कभी कभार खुजली करने का कारण न होकर शरीर की और गर्भ की अकस्मात वृद्धि ही होती है। और या फिर यदि एकदम से हम वजन घटाते हैं या बढ जाता है तो भी शरीर इस बढे हुए आयतन को संभाल नहीं पाता जिसकी परिणति स्ट्रैच मार्क्स के रूप में होती है, क्यों कि त्वचा अत्यधिक खिंच जाती है। आजकल स्टीरोईड क्रीम्स भी इनके होने के एक बहुत बङा कारण बन चुकी है. इसके अतिरिक्त जिम जाने वाले बहुत से लोग जो प्रोटीन पाउडर लेते हैं उनमें भी स्टीराईड की मिलावट की वजह से बहुत सारे लोगों में ये देखा जाता है.स्टीरायड चाहे लोशन या क्रीम के रुप में लें या गोलियों के रूप में ये कालेजन के निर्माण में बाधा डालते हैं ।और वो धीरे धीरे स्ट्रैच मार्क्स के रूप में सतह पर प्रकट हो सकता है।<br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;" /><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;" /></p><h4 style="text-align: left;">How To Get Rid Of Stretch Marks?-स्ट्रैच मार्क्स ठीक करने का उपाय</h4><div>स्ट्रैच मार्क्स के लिए भी कई सारे उपचार उपलब्ध हैं। बहुत सारी क्रीम्स और लोशंस होते है जो दावा करते हैं,पर प्रभावी रूप से कोई ऐसी तय क्रीम नहीं जिससे ऐसा होता है। पर अब इसके लिए सबसे प्रभावी उपचार उपलब्ध है और वो है लैजर ट्रीटमैंट .</div><h4 style="text-align: left;">कैसे किया जाता है लैजर ट्रीटमैंट-</h4><div>सबसे पहले जिस एरिया में हमें करना है उसको मार्क करने के बाद वहां एक नंबिंग क्रीम लगाई जाती है जो करीब एक घंटे तक रखनी होती है ,उसके बाद हम आराम से लेजर ट्रीटमैंट कर सकते हैं जो कि तकरीबन पैनलेस होता है...</div><div><br /></div><div>जैसा कि हमने पहले अपने एक्यूपल्स फ्रैक्शनल co2 के बारे में बताया था कि ये लैजर माइक्रोस्कोपिक चैनल्स बनाती है याने इंजरी करती है जो कि त्वचा के नीचे के टिश्यू को तोङती है और इसकी वजह से नये कालेजन का निर्माण प्रारंभ हो जाता है जिससे धीरे धीरे जो इसकी कमी होती है उसको ये काफी हद तक पूरा कर देती है। और इससे धीरे धीरे आपके स्ट्रैच मार्क्स ठीक होने लगते हैं..सबसे बङी बाते है कि इसका डाउनटाईम याने प्रोसिजर करने के बाद जो छोटे मोटे निसान दिखाई देते हैं वो एक्यूपल्स जो कि विश्व की सर्वश्रैष्ठ सुपर पल्स टेक्नोलोजी से युक्त है के कारण बहुत कम समय के लिए याने मात्र पांच सात दिन तक ही दिखाई पङते है इसके बाद ये निशान धीरे धीरे अपने आप ठीक होने लगते हैं..</div><div><br /></div><h4 style="text-align: left;">समय कितना लगता है-</h4><p style="text-align: left;">प्रोसीजर करने में नंबिंग क्रीम को एक घंटे तक रखना होता है उसके बाद की सारी प्रक्रिया आधे घंटे से भी कम समय में पूरी की जा सकती है.इसके बाद करीब पांच सात दिन का डाऊन टाईम होता है और फिर कालेजन बनने की प्रक्रिया में महिनों लग जाते हैं इस दौरान आपका निशान धीरे धीरे कम होने लगता है और आस पास की सामान्य त्वचा मेे मिला हुआ दिखाई देने लगता है याने स्ट्रैट मार्क्स की लाइंस कम होने लगती है।उपचार के बाद की प्रक्रिया में कभी कभार स्ट्रैच मार्क्स को ठीकर करने की कुछ क्रीम्स होती है वो भी सहायक हो सकती है,वो आपका चिकित्सक परिस्थिति के अनुसार आपको लिखता है..</p><h4 style="text-align: left;">आफ्टर केयर-</h4><div>लेजर ट्रीटमैंट के बाद यदि ये शरीर के एसे हिस्से में है जहां सूर्य की रोशनी सीधी पङती है तो वहां सन स्क्रीन लगाना आवश्यक होता है..बाकि इसकी कोई विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं पङती ,</div><div><br /></div><div>लैजर ट्रीटमैंट के अलावा केमीकल पील्स और माइक्रोडर्माब्रेजन जो कि मात्र ऊपरी सतह को हटाता है उनसे उपचार किया जाता है पर चूंकि ये ज्यादा गहराई में प्रभावी नहीं है इसके लिए इनका प्रभाव सीमित होता है।</div><h4 style="text-align: left;">खर्च-</h4><div>भारत में विशेष रूप से हमारे क्लिनिक पर स्ट्रैच मार्क्स का इलाज की पर सिटिंग खर्च २ से ५ हजार के बीच होता है जो कि कितनी दूर में ये है,शरीर पर कहां स्थित है और करने वाले डाक्टर के अनुभव के आधार पर तय होता है..मरीजों की सुविधा के लिए ये सब हम कम से कम खर्चे में करने का प्रयास करते हैं...हां आपकी सिटिंग दो तीन बार और रिपीट करनी पङ सकती है...कुल मिलाकर स्ट्रैच मार्क्स जो कि आपको त्वचा की सुंदरता में धब्बे की तरह दिखाई देता है लैजर ट्रीटमैंट के द्वारा इसे पूरा नहीं तो काफी हद तक सुधार कर आपकी त्वचा को फिर से एक यूथ फुल लुक वापिस देता है</div><div><br /></div><h4 style="text-align: left;"><span style="color: #202124;"><span style="background-color: white; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;">तो अब हम ये मान सकते ैहं कि यदि आप भी इस समस्या से पीङित है तो अपने निकटतम स्किन डाक्टरसे मिलकर इसका उपाय खोज सकते हैं..या फिर 9462336561 पर बात कर सकते हैं...</span></span></h4><p></p><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-82328845350277025662022-07-22T22:42:00.006+05:302022-09-30T22:05:02.583+05:30लैजर टैटू रिमूवल-<p><span face="Roboto, Arial, sans-serif" style="background-color: white; color: #202124; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;">टैटू एक फैशन ट्रेंड है आजकल बहुत सारे लोग टेटू बनवाते हैं ये बहुत सुंदर भी लगते हैं पर कई बार जब हम इससे बोर हो जाते हैं तो हम चाहते हैं कि इसे साफ किया जाये..इसके अलावा विशेष रूप से फौज की जो भर्तियां होती हैं उनमें भी यदि आप के टैटू है तो आप को अयोग्य घोषित किया जा सकता है इसके अतिरिक्त यदि आप गल्फ कंट्रीज में याने सऊदी या दुबई जाते हैं तो भी कई बार ये आपके लिए परेशानी करता है तो कई लोग इसके लिए भी टैटू साफ करवाने के लिए आते हैं..लैजर से टैटू हटाने के बारे में हमारे कई सारे प्रश्न होते हैं उन्ही का उत्तर हम यहां दे रहे हैं..</span></p><p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><iframe allowfullscreen="" class="BLOG_video_class" height="266" src="https://www.youtube.com/embed/bvv0yCQCahY" width="426" youtube-src-id="bvv0yCQCahY"></iframe></div><br /><span face="Roboto, Arial, sans-serif" style="background-color: white; color: #202124; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;"><br /></span><p></p><h4 style="text-align: left;"><span face="Roboto, Arial, sans-serif" style="color: #202124;"><span style="background-color: white; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;">टैटू साफ करने के लिए कौनसी मशीन काम आती है,और कैसे काम करती है-</span></span></h4><div><span face="Roboto, Arial, sans-serif" style="color: #202124;"><span style="background-color: white; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;">टैटू हटाने के लिए q switch Nd Yag laser काम आती है.इससे निकलने वाली लैजर किरण टैटू में उपस्थित काले रंग या काली स्याही को लक्ष्य करती है.लैजर से निकलने वाली ऊर्जा को ये काला रंग या स्याही के कणों को बहुत छोटे छोटे टुकङों में तोङ देती है जो कि शरीर में अवशोषित कर इसे तोङ देती है, </span></span><span face="Roboto, Arial, sans-serif" style="background-color: white; color: #202124; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;">जो धीरे धीरे हमारे blood circulation के साथ बहकर साफ होती जाती है.</span></div><h4 style="text-align: left;"></h4><h4 style="text-align: left;"><span face="Roboto, Arial, sans-serif" style="color: #202124;"><span style="background-color: white; font-size: 14px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.2px; white-space: pre-wrap;">टैटू साफ होने में कितना समय लगता है-</span></span></h4><div><span style="font-weight: 400;">टैटू रिमूवल कब और कितनी सिटिंग के बाद साफ होगा ये निर्भर करता है कि आपके टैटू की स्या ही कितनी गहरी है.प्रोफेशनल टैटूज जो कि ज्यादातर आजकल टैटू स्टूडियोज में बनाये जाते हैं वे स्याही की गहराई त्वचा में भी अधिक होती है उनको साफ करने में ज्यादा समय लगता है और ज्यादा सिटिंग्स करनी पङती है अधिकतर जो टेटू मेलों में रोडसाईड पर बनाये जाते हैं वे एक दो सिटिंग में साफ हो जाते हैं पर प्रोफेशनल टैटूज अच्छी से अच्छी मशीन से भी कई बार चार पांच सिटिंग तक करना पङता है ।क्यों कि लैजर की सिटिंग करने के बाद टैटू की स्याही हमारे ब्लड सर्कुलेशन में उपस्थित मैक्रोफेजेज द्वारा हटाई जाती है तो ये काफी समय लेता है तो दो सिटिंग्स के बीच कम से कम छ से आठ सप्ताह का अंतर ठीक रहता है इसके बाद ही आपको दूसरी सिटिंग लेनी चाहिये.इसलिए ध्यान रखने वाली बात ये है कि यदि टैटू हटाना आपके लिए आवश्यक है तो कम से कम छ आठ महिने पहले ये उपचार आप को प्रारंभ करना चाहिये। जिससे बङे आराम से और बहुत अच्छे तरीके हम उपचार को संपादित कर सकें.</span></div><div><span style="font-weight: 400;">प्रोफेशनल टेटू के अलावा जो टैटू अन्य रंग के होते है यथा हरे या लाल पीले रंग में होते हैं वे बङी कठिनाई से हटाये जा सकते हैं उनमें सामान्य टैटू की तुलना में ज्यादा सिटिंग्स लगती है और कई बार फिर भी ये पूरी तरह से नहीं हटाये जा सकते हैं.फिर भी आजकल की एडवांस मशीनों से ये काफी हद तक साफ किये जा सकते हैं.</span></div><div><span style="font-weight: 400;"><br /></span></div><div><span style="font-weight: 400;"><a href="https://www.youtube.com/watch?v=bvv0yCQCahY&t=347s">https://www.youtube.com/watch?v=bvv0yCQCahY&t=347s</a><br /></span></div><div><span style="font-weight: 400;"><br /></span></div><h4 style="text-align: left;"><span style="font-weight: 400;">दर्द कितना होता है-</span></h4><div><span style="font-weight: 400;">टैट रिमूवल बिल्कुल पीङा रहित तो नहीं होता...पर बहुत असहनीय दर्द भी नहीं होता है ये बहुत कुछ निर्भर करता है कि टैटू कहां है और वो कितना बङा है और कितना भरा हुआ है।जो थोङा बहुत दर्द हो सकता है उसके लिए भी उपचार करने से करीब आधा घंटा पहले नंबिंग जैल लगाी जाती है जिससे ये पीङा काफी हद तक कम की जा सकती है.<br /></span></div><h4 style="text-align: left;"><span style="font-weight: 400;">समय कितना लगता हैृ</span></h4><div><span style="font-weight: 400;">एक बार का उपचार करने में नंबिंग जैल लगाने से लेकर पूरा ट्रीटमेंट करने में मात्र एक घंटे से भी कम समय लगता है इसके बाद आप आराम से अपने घर जा सकते है और अपना सामान्य काम काज कर सकते हैं यानि किसी प्रकार के रेस्ट की आवश्यकता आपको नहीं पङती।जो सेना की तैयारी करते हैं वे लोग अपना नियमित व्यायाम दौङ आदि बङे आराम से कर सकते हैं क्यों कि इसमें जो थोङा बहुत दर्द होता है वो उपचार की समाप्ती के कुछ ही मिनटों में बिल्कुल नाम मात्र की जलन जैसा रह जाता है और कई बार ये भी नहीं होता ैह।</span></div><h4 style="text-align: left;"><span style="font-weight: 400;">उपचार के बाद की देख भाल-</span></h4><h4></h4><h4><div></div></h4><h4><span style="font-weight: 400;">चूकि लैजर टैटू में स्याही को लक्ष्यल करती है तो इसमें घाव जैसा कुछ नहीं होता है एक बार का एकदम सफेद दिखाई देता है जो दो तीन घंटे में फिर से टैटू हल्का फुल्का दिखाई देने लगता है,इसके ऊपर साफ हुए टैटू के हल्के छिलके जैसे बिंदु दिखाई देते हैं जो पांच सात दिन में ऊतर जाते हैं और धीरे धीरे आपका टैटू हर दिन और साफ होता चला जाता है.घाव नहीं होने से कोई एंटी बायोटिक की आवश्यकता नहीं पङती है हां कई बार स्टीरोईड एंटीबायोंटिक क्रीम जेसे फ्यूसी बेट की आवश्यकता पङ सकती है.उपचार के बाद अच्छे से अच्छे परिणाम के लिए इसे ढककर रखें या ठीक होने के बाद सनस्क्रीन लगायें जिससे कोई पोस्ट इंफ्ले ेटरी हाईपर पिगमैंटेसन यान जो चोट लगने के बाद निशान होता है वैसा निशान न होने पाये।और आपको सबसे बढिया परिणाम मिले।</span></h4><div><span style="font-weight: 400;">साईड इफैक्टस-</span></div><div><strong style="background-repeat: no-repeat; box-sizing: inherit; color: #666666; font-family: Oxygen, "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 16px; margin-bottom: 0px; margin-top: 0px;">The most common side effects are:</strong></div><ul style="background-color: white; background-repeat: no-repeat; box-sizing: inherit; color: #666666; font-family: Oxygen, "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 16px; margin-bottom: 0px; margin-top: 1.5em;"><li style="background-repeat: no-repeat; box-sizing: inherit; margin-bottom: 0px; margin-top: 0px;">Redness</li><li style="background-repeat: no-repeat; box-sizing: inherit; margin-bottom: 0px; margin-top: 0.5em;">Tenderness</li><li style="background-repeat: no-repeat; box-sizing: inherit; margin-bottom: 0px; margin-top: 0.5em;">Swelling</li><li style="background-repeat: no-repeat; box-sizing: inherit; margin-bottom: 0px; margin-top: 0.5em;">Blistering</li><li style="background-repeat: no-repeat; box-sizing: inherit; margin-bottom: 0px; margin-top: 0.5em;">Scabs</li><li style="background-repeat: no-repeat; box-sizing: inherit; margin-bottom: 0px; margin-top: 0.5em;">Bruising</li><li style="background-repeat: no-repeat; box-sizing: inherit; margin-bottom: 0px; margin-top: 0.5em;">Hyperpigmentation</li><li style="background-repeat: no-repeat; box-sizing: inherit; margin-bottom: 0px; margin-top: 0.5em;">Hypopigmentation</li></ul>ललाई,हल्की फुल्की जलन,सूजन या छोटे मोटे जो छाले जैसे बनते हैं वे एक दो दिन में गायब हो जाते हैं.इसके लिए आप थोङा बहुत बर्फ का सैक भी कर सकते हैं एक दो बार.ज्यादा गहरी काली स्याही होने पर जब हमें बार बार सिटिंग रिपीट करनी पङती है तो हो सकता है बहां स्कार बन सकता है ।इसके अलावा निशान या आस पास की त्वचा से हल्का याने हाईपो पिगमेंटेशन या गहरा याने हाईपर पिगंमैटेशन हो सकता है ,हालांकि ये थोङे दिन ें चला जाता है.,यदि अच्छी प्रकार से सावधानी पूर्वक बिना जल्द बाजी के किसी अनुभवी चिकित्सक द्वारा किया जाता है और उपचार के बाद की सावधानियां ठीक प्रकार से रखी जाती है जैसे कि उसके ऊपर हल्के छिल्के नुमा परत उतरती है उसे नहीं छेङना चाहिये,आपको जो लगाने की क्रीम दी जाती है उसे ठीक प्रकार से लगाते रहें और बाद में उसे ढककर रखें या सनस्क्रीन लगाते रहें तो कोई भी परमानेंट साईड इफेक्ट इसका नहीं होता है..<div><br /></div><div>अंतिम परिणाम-<h4 style="text-align: left;"><span style="font-weight: 400;">आपको ये पता होना चाहिये कि आप चाहे कितनी भी अच्छी तरह से लेजर ट्रीटमैंट करें ,चाहे पूरी तरह से स्याही हटा पायें फिर भी थोङी बहुत छाया वहां रह सकती है.और ये कुछ असामान्य नहीं है क्यूं कि हमारी त्वचा पर हल्की सी खंरोंच भी कोई निशान छोङ जाती है तो यहां तो हम त्वचा की गहराई में जाकर टैटू की स्याही को तोङ रहे हैं तो ऐसे में थोङा बहुत निशान स्वाभाविक है.इसमें भी यदि टैटू काली के अतिरिक्त लाल पीला है तो इसे पूरी तरह से हटाना बहुत कठिन हो जाता है..ऐसे में नोन प्रोफेशनल टैटू का परिणाम हमेशा ही सबसे अचछा होता है क्यों कि प्रोफेशन टैटू ज्यादा गहरे दिखाई देते हैे ौर उनकी स्याही ही ज्यादा गहरे तक होती है ,इसमें थोङी कठिनाई होती है.</span></h4><div>खर्च-</div><div>टैटू हटाने का खर्च निर्भर करता है टैटू के साईज और उसकी फिलिंग पर...लेजर एक लाईन में चलती ै पैंसिल की तरह तो यदि पतले अक्सर लिखे जैसी लाईन है तो खर्च कम होता है वहीं यदि ये कोई आकृति है और लाईनें मोटी है या परी फिलिंग है तो थोङा खर्च ज्यादा होता है ,सामान्य रूप से ये चार हजार से लेकर उसके साईज के अनुसार अधिक हो सकता है.</div><h4 style="text-align: left;"><span style="font-weight: 400;"><br /></span></h4><div>,पर ये देखा गया है कि कम से कम सेना भर्ती वाले बच्चे अधिकतर महीने बीस दिन पहिले आते हैं और इसे जल्दी से जल्दी हटाने की जिद करते हैं,हालांकि अधिकतर बार हम कैसे भी करके इसे हटाने में सफल भी हो जाते हैं पर फिर भी यदि हम पूरा समय लेकर इस ट्रीटमैंट को करवाते हैं तो लैजर से टैटू हटाना बहुत कठिन काम नहीं है पर इसके लिए यदि हम पूरा समय लेकर याने चार छे महिने में इस पूरे उपचार को संपन्न करते हैं तो इसका परिणाम बहुत ही शानदार आता है </div></div><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-58877161736584801312022-07-03T15:53:00.005+05:302022-07-22T22:59:08.008+05:30fractional co2 laser- कुछ जो आप जानना चाहें<p style="background-color: white; margin-top: 0px; overflow-wrap: break-word;"><span style="color: #575757; font-family: europa;"><span style="font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; white-space: pre-wrap;"></span></span></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><span style="color: #575757; font-family: europa;"><span style="font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; white-space: pre-wrap;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0y-QvF5KpzDAWbdztrPPoFTVAdhbpsNRX1kOj9OPOqGE3b-Tx_N0_z32jail7ZBvrceQUp3qoRXeHInwD55ltVTJBl5eBJPt3XYzjn1n0MFUynC_UcBYp_RLMDWqiTpzVv25XB2TcxJ9Fm105TAKZn6WCxQI_Pl44IRSZs6FxVfoJrpr0Afvli1Tm0A/s5000/AcuPulse%20no%20arm%20center%20copy54234.jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="2813" data-original-width="5000" height="204" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0y-QvF5KpzDAWbdztrPPoFTVAdhbpsNRX1kOj9OPOqGE3b-Tx_N0_z32jail7ZBvrceQUp3qoRXeHInwD55ltVTJBl5eBJPt3XYzjn1n0MFUynC_UcBYp_RLMDWqiTpzVv25XB2TcxJ9Fm105TAKZn6WCxQI_Pl44IRSZs6FxVfoJrpr0Afvli1Tm0A/w363-h204/AcuPulse%20no%20arm%20center%20copy54234.jpeg" width="363" /></a></span></span></div><span style="color: #575757; font-family: europa;"><span style="font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; white-space: pre-wrap;"><br />यदि आप के जीवन में कभी पिंपल्स हुए हैं तो उनके निशान आपके जाब के इंटरव्यू हो या आपकी सगाई होने वाली हो एक आत्महीनता का बोध आप में जगा देता है...इसके निशान जब भी आप दर्पण में देखते हैं तो आपके स्मार्ट लुक को थोङा सा बिगाङ सकता है।।पर सौभाग्य से आजकल ऐसे ट्रीटमैंट्स अपने पास हैं जो आपके चेहरे को इन भद्द निशान और स्कार से वापिस मुक्त कर सकते हैं और आप का चेहरा फिर से खिलखिला उठता है ..और ऐसा ही एक ट्रीटमैंट है co2 fractional laser जो कि आपकी त्वचा की डेमेज्ड बाहरी सतह जो कि स्कार युक्त है उसे हटाकर फिर से ताजगी और चमक प्रदान करता है।तो आज हम बात कर ने वाले हैं इसी ट्रीटमैंट के बारे में ये कैसे किया जाता है और किस तरह ये काम करता है।।इसके हानि लाभ और ट्रीटमैंट करने के बाद कौनसी साबधानियां आपको रखनी चाहिये..</span></span><p></p><h4 style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; text-align: left; white-space: pre-wrap;"><b>१-क्या होती है फ्रैक्शनल कार्बन डाई आ्क्साईड लैजर</b></h4><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;"><strong style="background-color: transparent; overflow-wrap: break-word;">f</strong><span style="background-color: transparent; overflow-wrap: break-word;">ractional co2 लेजर रिसर्फेशिंग एक प्रकार का स्किन ट्रीटमैंट होता है जो आपके एक्नी स्कार ,डीप रिंकल्स और अन्य स्किन इरेगुलरिटीज </span><span style="background-color: transparent;">जो किसी भी प्रकार के स्कार यथा एक्नी,पोस्ट ट्रामेटिक स्कार याने चोट लगेन के बाद होने वाले स्कार और स्ट्रैच मार्कस आदि के उपचार में काम आती. तथा आपकी त्वचा को बिना कोई नुकसान किये बाहरी खराब खुरदरी स्किन को हटाकर नई त्वचा से बदल कर उसे एकदम फ्रेश लुक देती है।</span></p><p>पर जब लेजर को काम लिया जाता है तो वो हमारी स्किन को जलाने की जगह उसे सुधार कैसे सकती है बस इसी प्रश्न का उत्तर है फ्रैक्शनल लेजर जो कि अपनी टेक्नोलोजी की वजह से अपनी लेजर बीम को बहुत ही छोटी याने मिलिमिटर से भी छोटी सैंकङों प्रकाश किरणों में बदल देती है जो थोङी थोङी दूरी पर त्वचा में न दिखने वाले बहुत छोटे छोटे सुराख बना देती है..जो धीरे धीरे जब हील होते हैं तो आपकी पुरानी त्वचा को नई फ्रैश त्वचा से बदल देते हैं और आपके निशान पहले कम होते चले जाते हैं..</p><p>जैसे यदि किसी कांच के ऊपर गोली चलाइ जाये तो वो उसमें छेद कर सकती है पर यदि किसी डंडे से मारी जाये तो पूरा शीशा टूट कर बिखर जाता है इसी प्रकार फ्रैक्शनल लेजर त्वचा में माइक्रोस्कोपिक इंजरी करती है जिससे आस पास की त्वचा बिल्कुल अप्रभावित रहती है और इसके बाद जिस प्रकार से चोट लगने के बाद शरीर नया कोलेजन बनाता है उसी प्रकार की प्रक्रिया फ्रैक्शनल लेजर से होती है और नई त्वचा बनती है जो पुरानी स्कार को बदल कर धीरे धीरे इसे भरने का काम करती है और जो नई त्वचा धीरे धीरे आती है वो आपकी त्वचा को एक नया फ्रैश लुक देती है। है।</p><h3 style="background-color: white; color: #8a8a8a; font-family: europa; font-size: 21px; font-weight: 300; letter-spacing: 0.01em; line-height: 1.4em; margin-top: 15px; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><br /></h3><h3 style="background-color: white; color: #8a8a8a; font-family: europa; font-size: 21px; font-weight: 300; letter-spacing: 0.01em; line-height: 1.4em; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><strong style="overflow-wrap: break-word;">2. इससे कौन कौनसे उपचार किये जा सकते हैं</strong></h3><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">हालांकि फ्रैक्शनल कार्बन डाई आक्साईड लेजर हर प्रकार के स्कार को ठीक करने का काम करती है इसके अलावा भी अन्य कई चीजों को भी इससे ठीक किया जा सकता है</p><ul data-rte-list="default" style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word;"><li style="list-style-type: none; overflow-wrap: break-word;"><p style="margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">Age spots</p></li><li style="list-style-type: none; overflow-wrap: break-word;"><p style="margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">Crow’s feet</p></li><li style="list-style-type: none; overflow-wrap: break-word;"><p style="margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">Enlarged oil glands (especially around the nose),large pores</p></li><li style="list-style-type: none; overflow-wrap: break-word;"><p style="margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">Fine lines and wrinkles</p></li><li style="list-style-type: none; overflow-wrap: break-word;"><p style="margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">Hyperpigmentation</p></li><li style="list-style-type: none; overflow-wrap: break-word;"><p style="margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">Sagging skin</p></li><li style="list-style-type: none; overflow-wrap: break-word;"><p style="margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">Sun damage</p></li><li style="list-style-type: none; overflow-wrap: break-word;"><p style="margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">Uneven skin tone</p></li><li style="list-style-type: none; overflow-wrap: break-word;"><p style="margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">Warts</p></li></ul><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">अधिकतर ये सारे ट्रीटमैंट्स चेहरे पर ही करने वाले होते हैं पर आवश्यकतानुसार हाथ पांव या पेट पर भी जैसे स्ट्रैच मार्कस में ये काम आती है</p><div style="background-color: white; color: #8a8a8a; font-family: europa; font-size: 21px; letter-spacing: 0.01em; line-height: 1.4em; text-align: left; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><span style="letter-spacing: 0.01em; overflow-wrap: break-word;"><b>३. किसको ये ट्रीटमैंट नहीं करवाना चाहिये।</b></span></div><div style="background-color: white; font-family: europa; line-height: 1.4em; text-align: left; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><span style="color: #8a8a8a;"><span style="font-size: 21px; letter-spacing: 0.21px;">जिन लोगों को एक्टिव एक्नी ज्यादा हो,पहले से कोई इंफेक्शन है,कीलोइडल टैंडेंसी है,या जिनका आईसोट्रिटिनोईन ट्रीटमेंट चल रहा है ऐसे लोगों को ये नहीं करवाना चाहिेय ,आपका स्किन स्पेशियलिस्ट स्वयं ही इसे मना कर देगा.इसके अतिरिक्त यदि आपके डाइबिटीज है तो भी ये आपको अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता पङती है।<br /></span></span><span style="color: #8a8a8a; font-size: 21px; letter-spacing: 0.01em; overflow-wrap: break-word;"><b>4. कैसे किया जाता है लेजर रिसरफैसिंग-</b></span></div><div style="background-color: white; font-family: europa; line-height: 1.4em; text-align: left; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><span style="color: #575757; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px;">fractional CO2 laser से laser resurfacing करने से पहले एक लोकल एनेस्थेटिक जैल लगाई जाती है लगभग एक घंटा पहले जिससे आपकी त्वचा सुन्न हो जाती है..लेजर रिसर्फेसिंग की सारी प्रकृया तो मात्र १५-२० मिनट की ही होती है।हमारे पास जो लेजर है एक्यूपल्स जो कि विश्व की सर्वश्रैष्ठ मशीन मानी जाती है उसकी सुपर पल्स लाईट एनर्जी जो कि विश्व में सबसे कम समयांतराल याने ड्यूरेशन की हाई पीक पावर लेजर लाइट होती है जो कि त्वचा को जलने की बजाय वाष्पित या वेपोराईज कर देती है और माइक्रोस्कोपिक चैनल्स बना देती है और आपकी त्वचा में नेचुरल हीलिंग प्रासेस को प्रारंभ कर कालेजन प्राडक्शन और रिमोडलिंग शुरु करने के लिए पर्याप्त होता है जो कि धीरे धीरे पुरानी डेमेज्ड स्किन को रिप्लेश कर नई स्वस्थ त्वचा बनाती है।</span></div><div style="background-color: white; font-family: europa; line-height: 1.4em; text-align: left; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><strong style="color: #8a8a8a; font-size: 21px; letter-spacing: 0.01em; overflow-wrap: break-word;">5. ट्रीटमैंट की पूर्व तैयारी </strong></div><div><span style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; white-space: pre-wrap;">fractional CO2 laser procedure प्रांरंभ करने से पहले हमें कुछ सावधानियां रखनी चाहिये जैसे</span></div><div><span style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; white-space: pre-wrap;">बहुत तेज धूप से बचना चाहिेय..याने कि कम से कम एक दो हफ्ते पहले से ही आपको सन स्क्रीन लगाना चाहिये और तेज धूप में नहीं जाना चाहिये,,</span></div><div><span style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; white-space: pre-wrap;">अन्य कोई दवाई जिसमें दर्द की दवाई यथा एस्पिरिन,आईबू प्रोफेन जैसी दवाईयां न लें तो अच्छा है क्यों कि ये रिसर्फेसिंग करते समय हल्का फुल्का ब्लीडिंग कर सकती है </span></div><div><span style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; white-space: pre-wrap;">रेटिनोइड्स जैसे आईसोट्रिटिनाइन कम से कम तीन महिने पहले बंद कर देना चाहिये।</span></div><div><span style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; white-space: pre-wrap;">अपने चिकित्सक को एक बार अवश्य दिखा दें कहीं हर्पीज इंफेक्शन या कीलोइड या हाइपर ट्रोफिक स्कार की टेंडेंसी न हो..</span></div><div><br /></div><h3 style="background-color: white; color: #8a8a8a; font-family: europa; font-size: 21px; font-weight: 300; letter-spacing: 0.01em; line-height: 1.4em; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><strong style="overflow-wrap: break-word;">6. रिकवरी में कितना समय लगता है</strong></h3><div><strong style="overflow-wrap: break-word;"><br /></strong></div><div><span style="overflow-wrap: break-word;">डाऊन टाईम याने उपचार के बाद बाद कितने दिनों तक आपके चेहरे उपचार के निशान दिखाई देते हैं </span></div><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;"><span style="letter-spacing: 0.54px;">fractional technology</span><span style="letter-spacing: 0.54px;">की वजह से जो माइक्रोथर्मल जोन्स लेजर लाईट द्वारा बनाये जाते हैं इनके बीच में सामान्य त्वचा मौजूद होती है जो कि आस पास की त्वचा को फटाफट ठीक होने में मदद करते हैं। जिससे इसका डाऊन टाइम याने रिकवरी पीरियड अर्थात ट्रीटमैंट के छोटे मोटे निशान आपकी त्वाच पर बहुत कम समय के लिए यथा ५-७ दिन तक ही दिखाई देते है उसके बाद त्वचा एकदम सामान्य हो जाती है। </span><span style="letter-spacing: 0.54px;"> </span></p><h3 style="background-color: white; color: #8a8a8a; font-family: europa; font-size: 21px; font-weight: 300; letter-spacing: 0.01em; line-height: 1.4em; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><strong style="overflow-wrap: break-word;">7. दर्द कितना होता है</strong></h3><div><span style="overflow-wrap: break-word;">हां ये तो नहीं कहा जा सकता कि दर्द नहीं होता पर एनेस्थ्टिक जैल को घंटाभर ठीक प्रकार से लगाने के बाद वो काफी हद तक कम महसूस होता है।फिर भी हल्की फुल्की जलन या चुभन जैसी हो सकती है जो असहनीय नहीं होती और सामान्य तया बङे आराम से सहन कर ली जाती है..और आपका पूरा प्रोसिजर लगभग दर्द रहित ही होता है।और सबसे बङी बात है कि ये प्रक्रिया बहुत ही कम समय लेती है और जैसे ही आपका उपचार पूरा होती है जलन लगभग समाप्त हो जाती है।</span></div><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;"><strong style="color: #8a8a8a; font-size: 21px; letter-spacing: 0.01em; overflow-wrap: break-word; text-transform: capitalize;">9. उपचार से होने वाले साईड इफैक्टस</strong></p><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">चूंकि fractional CO2 laser procedure आपकी त्वचा में लेजर के द्वारा त्वचा में एक तरह से ऊर्जा प्रवाहित कर उसे गर्म भी करती है तो इसे एक दो दिन के लिए हल्की फुल्की सूजन,ललाई इत्यादी दिखाई दे सकती है.धीरे धीरे आपकी स्किन दो तीन दिन के लिए हल्की गहरे रंग की होती है जो कि जैसे ही लेजर के निशान उतरते हैं एकमदम सामान्य और फ्रैश दिखाई देने लगती है।याने अधिकतम पांच सात दिन में ये सामान्य हो जाती है।</p><ul data-rte-list="default" style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word;"><li style="list-style-type: none; overflow-wrap: break-word;"><p style="margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;"><span style="overflow-wrap: break-word;">बुरी से बुरी परिस्थिति में ये ललाई एक दो हफ्ते तक रह सकती है।यदि उपचार के बाद सन स्क्रीन बताये अनुसार याने कम से कम ५० एस पी एफ दिन में दो तीन बार नहीं लगाई जाती है तो त्वचा थोङी सांवली दिखाई दे सकती है पर यदि सावधानी बरती जाती है और सन स्क्रीन समय पर लगा रहे हैं तो ऐसा कम ही होता है।ये भी निर्भर करता है कि कौनसी लेजर काम ली गई है..जैसे हमारे क्लिनिक पर हम जो लेजर काम लेते हैं वो यू एस एफ डी ए द्वारा प्रमाणित विश्व की सर्वश्रैष्ठ लेजर है जो कि इस मामले में बेहद सुरक्षित है।चूंकि लेजर से होने त्वचा में होने वाली इंजरी बहुत ही माईक्रोस्कोपिक होती है तो ऐसे में इंफेक्शन होने की गुंजाईस न के बराबर होती है सो एंटी बायोटिक की जरूरत भी नहीं पङती।</span></p></li><li style="list-style-type: none; overflow-wrap: break-word;"><p style="margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;"><br /></p></li></ul><h3 style="background-color: white; color: #8a8a8a; font-family: europa; font-size: 21px; font-weight: 300; letter-spacing: 0.01em; line-height: 1.4em; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><strong style="overflow-wrap: break-word;">10. उपचार के बाद की सावधानियां</strong></h3><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;"><span style="letter-spacing: 0.54px;"> fractional CO2 laser procedure के बाद </span><span style="letter-spacing: 0.54px;">पहले 24-48 घंटे तक</span><span style="letter-spacing: 0.54px;"> चेहरे पर हल्की फुल्की जो सूजन है उसे थोङा कम करने के लिए आप आईस पैक या सामान्य रूप से प्लास्टिक की थैली में बर्फ लेकर सैक कर सकते हैं जो बङा आराम देता है.</span> दिन में दो तीन बार आपको मोश्चराईजर लगाना चाहिये जो कि और किसी जैंटल क्लिंजर जो कि आपका चिकित्सक बताता है वही काम लें और किसी भी प्रकार के मैकअप से कुछ दिन के लिए बचें । क्यों कि ये आपकी स्किन को इरिटेट कर सकता है।<span style="letter-spacing: 0.54px;">दो दिन के बाद अब आप अपने काम पर भी जा सकते हैं</span> पर आपको सन स्क्रीन जो कि कम से कम 50spf वाला हो वो भी दिन में दो तीन बार लगाना बहुत अनिवार्य है जोकि आपकी त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाता है और आपकी त्वचा को सांवला होने से रोकता है, कम से कम एक हफ्ते तक आपको स्विमंग या जिम जाने से बचना चाहिेये।</p><h3 style="background-color: white; color: #8a8a8a; font-family: europa; font-size: 21px; font-weight: 300; letter-spacing: 0.01em; line-height: 1.4em; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><strong style="overflow-wrap: break-word;">11. उपचार में होने वाला खर्च</strong></h3><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">ये उपचार ४-५ बार किया जाता है वो भी दो तीन महिने के अंतर पर और एक बार की ट्रीटमैट कोस्ट लगभग तीन से छ हजार तक हो सकतीहै वो निर्भर करता है आपका एरिया कितना है और स्कार किस प्रकार के हैं।</p><h3 style="background-color: white; color: #8a8a8a; font-family: europa; font-size: 21px; font-weight: 300; letter-spacing: 0.01em; line-height: 1.4em; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><strong style="overflow-wrap: break-word;">12. क्या इसका परिणाम हाथों हाथ दिखाई देता है</strong></h3><h3 style="background-color: white; color: #8a8a8a; font-family: europa; font-size: 21px; font-weight: 300; letter-spacing: 0.01em; line-height: 1.4em; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><br /></h3><div>ये निर्भर करता है कि आप क्या उपचार ले रहे हैं जहांतक त्वचा की ग्लो का प्रश्न है या अन्य पिगमेंट संबंधित निशान की बात है तो ये हाथों हाथ हट जाता है पर यदि आप स्कार की बात करते हैं तो ये धीरे धीरे यानि कुछ हफ्तों बाद फर्क दिखाना प्रारंभ करता है जो कि कुछ महिनों तक ये प्रक्रिया चलती रहती है।</div><h3 style="background-color: white; color: #8a8a8a; font-family: europa; font-size: 21px; font-weight: 300; letter-spacing: 0.01em; line-height: 1.4em; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;"><strong style="overflow-wrap: break-word;">13. कितनी बार ये उपचार लेना होता है</strong></h3><h3 style="background-color: white; color: #8a8a8a; font-family: europa; font-size: 21px; font-weight: 300; letter-spacing: 0.01em; line-height: 1.4em; text-rendering: optimizelegibility; text-transform: capitalize; white-space: pre-wrap;">स्कार ट्रीट मैंट के लिए ये उपचार तीन से बार लेना होता है जो कि 8-10 हफ्तों के अंतर पर होते हैं.</h3><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">हमारे पास सुपर पल्स टैक्नोलोजी युक्त विश्व की सर्वश्रैष्ठ मानी जानी वाली एक्यूपल्स लैजर है और हम पिछले 8-9 वर्ष से ये उपचार नियमित रूप से करते हैं इसके लिए हमारे पास राजस्थान के अलावा आस पास के प्रदेश यानि हरियाणा दिल्ली और पंजाब से भी कई बार मरीज आते हैं..</p><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">उपचार से पहले एक चीज अवश्य ध्यान रखें कि आपकी मशीन एफडीए प्रमाणित हो,और करने वाला आपका स्किन स्पेशियलिस्ट पर्याप्त अनुभवी हो..</p><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;">फ्रैक्शनल co2 लैजर ट्रीटमैंट आपकी विभिन्न प्रकार के स्कार्स को बिना किसी सर्जरी के धीरे धीरे ठीक कर त्वाच को फिर से एकदम नया कर देता है।ये आपकी डैमेज हुई त्वचा की बाहरी सतह को साफ कर नया कौलेजन का निर्माण करता है जो कि आपकी स्किन को नया हैल्दी और यंग लुक देता है।मात्र एक घंटे की इस प्रक्रिया के बाद आप अपनी प्रतिदिन के सामान्य कार्य करना प्रारंभ कर सकते है एक नये और बढे हुए आत्मविश्वास के साथ.</p><p style="background-color: white; color: #575757; font-family: europa; font-size: 18px; letter-spacing: 0.54px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;"><br /></p><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-68606812354511453192022-05-31T18:25:00.003+05:302022-07-22T23:01:55.923+05:30एक्नी या पिंपल्स -जानिये क्यों और कैसे होती है<p style="text-align: left;"></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEibrEtWaxcT6QCzv0UzYYR_OynvodIV8tIOKujabKuegv0WJ3ra-5m5r6T7iOeDUmrYVxZ1YCdfOh60Yv258eOcSvtBrfzSDfS0Wrn6FzVDseaf3w1iLw7zr8RvTP7jv9IX0zlq3wdI-h2hcmk_MUOymCF0ob-RbLhQZJ2uFGqzQu5V1MQKcHfILS-aGA/s7530/portrait-young-woman-being-confident-with-her-acne.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="5023" data-original-width="7530" height="351" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEibrEtWaxcT6QCzv0UzYYR_OynvodIV8tIOKujabKuegv0WJ3ra-5m5r6T7iOeDUmrYVxZ1YCdfOh60Yv258eOcSvtBrfzSDfS0Wrn6FzVDseaf3w1iLw7zr8RvTP7jv9IX0zlq3wdI-h2hcmk_MUOymCF0ob-RbLhQZJ2uFGqzQu5V1MQKcHfILS-aGA/w527-h351/portrait-young-woman-being-confident-with-her-acne.jpg" width="527" /></a></div> एक्नी जिससे हम जवानी के फुंसियां कह कर संबोधित करते हैं 15-25 साल के बीच में निकलने वाली चेहरे पीठ और छाती पर निकलने वाली वो फुंसियां होती है जो इतने लंबे समय तक निकलती है। और हमें काफी परेशान कर सकती है।अपने जीवन काल में 80 प्रतिशत तक टीनेजर्स <p></p><p style="text-align: left;">एक्नी से प्रभावित होते हैं और इनमें से अधिकतर को उपचार लेने की आवश्यकता पड़ती है। यदि समय पर इसका उपचार नहीं किया जाता है तो यह आपके चेहरे पर निशान कर सकती है।और ये परमानेंट भी हो सकते हैं।इसलिए एक्नी होने पर हमें विशेषज्ञ चिकित्सक से इसके बारे में ध्यान से उपचार ले ही लेना चाहिये जिससे हम अपने चेहरे को इसके हानिकारक प्रभावों से बचा सकें.आज हम एक्नी के होने के कारणों की चर्चा करेंगे.</p><h2 style="text-align: left;">प्रभावित करने वाले कारक-</h2><div>हालांकि हम ये कह सकते हैं कि ये 80 प्रतिशत तक युवाओं को होती है तो ये कोई बीमारी न होकर एक सामान्य शारिरिक परिवर्तन ही है फिर भी कई सारी बातें है जो इसके होने न होने व गंभीरता को प्रभावित करती है . जैसे</div><div style="text-align: left;"><span face="Roboto, Arial, sans-serif" style="background-color: white; color: #202124; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;"><u><b>आयू-</b></u>कहने को तो ये 15 से 25 साल तक की व्याधि है पर इसके बाद भी याने 31-40 साल की ऊम्र में तकरीबन 25 प्रतिसत महिलाओं के ये समस्या पाई गई है और आजकल तो 15 साल से पहॉले भी याने 10-12 साल की आयू में भी ये देखी जाती है.और इसकी संख्या धीरे धीरे बढ रही है हमारी बदली जीवन शैली भी इसका एक कारण हो सकता है ।</span></div><p style="text-align: left;"><span face="Roboto, Arial, sans-serif" style="color: #202124;"><span style="background-color: white; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;"><b><u>पारिवारिक संबंध</u></b>- अधिकतर बार ये देखा गया है और अन्यान्य अध्ययनों से ये जानाी गया है कि </span></span>जिन लोगों में एक्नी की गंभीरता ज्यादा होती है उनके माता पिता को भी ये सामान्य रूप से ज्यादा ही होती है।</p><div><u><b>आहार</b></u>-यूं तो सीधा सीधा आहार का एक्नी से बहुत ज्यादा संबंध नहीं है फिर भी ये कह सकते हैं कि चाकलेट,काफी व अधिक तला हुआ खाना विशेषकर जंक फूड ये एक्नी को प्रभावित करता है ।कुछ सीमा तक दूध और इससे बने उत्पाद भी इसे प्रभावित करते हैं।जिन खाद्य़ पदार्थों का ग्लाईसिमिक इंडेक्स अधिक होता है जैसे मिठाईयां ,मैदा ये एक्नी को प्रभावित करती है तो घर पर बना स्व्स्थ भोजन जिसमें सब्जियों और फलों की मात्रा अधिक हो वो एक्नी के लिए आदर्श भोजन है ।इसके अतिरिक्त फ्लैक्स सीड याने अलसी का सेवन एक्नी में अच्छा प्रभाव कारित करता है। क्क्योंयों कि इनमें ओमेगा 3 फेटी एसिड्स ज्यादा होते हैंऔर ये काफी स्वास्थ्य वर्धक होता है।</div><div><u><b>दवाईयां</b></u>-जैसे स्टीरोईड चाहे वे लगाने वाले हों या खाने वाले एक्नी को बढा सकते हैं.टीबी में काम आने वाली कुछ औषधियां यथाISONIAZID लेने पर भी एक्नी हो सकती है.बहुत सारे लोग मोटा होने के लिए और भूख बढाने के लिए भी स्टीरोईड इंजेक्शन तक लगवा लेते हैं उससे भी एक्नी बढ जाती है।कई बार एलर्जी के उपचार के लिए भी स्टीराइड दिये जाते हैं वे भी आपकी एक्नी को बढा सकते हैं.</div><div>बहुत बार ये भी देखा गया है कि जो लोग जिम मैं जाते हैं और प्रोटीन पावडर लेते हैं उनमें एक्नी फार्म इरप्शन यान एक साथ पूरे शरीर पर एक्नी उभर आती है ये कई बार प्रोटीन पावडर में मिले हुए एनाबोलिक स्टीरोईड से भी हो सकता है इसलिए प्रोटीन पावडर लेने में सावधानी बरतनी चाहिये.</div><div>ये मेरा व्यक्ति गत अनुभव है कि जिन लोगों में एक्नी काफी गंभीर होती है उनमें व्यायाम और स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के चलते एक्नी अपने आप कम होने लगती है।शरीर का वजन कम होना भी इसमें एक कारक हो सकता है।हमारी अस्वास्थ्य कर जीवन शैली , एक्नी को बढा सकता है।</div><div><br /></div><div><b><u>तनाव</u></b>-अनेकानेक अध्ययनों से ये ज्ञात हुआ है कि तनाव हमारी एक्नी को सिवियरिटी को बढा देता है .इसमें ुल्टा भी सही है कि एक्नी से तनाव बढता है औऱ तनाव से एक्नी बढती है </div><div><br /></div><div><u style="font-weight: bold;">कास्मेटिक्स-</u>कास्मेटिक प्रोडक्टस का अधिक उपयोग भी एक्नी को बढा देता है.इसलिए कास्मेटिक प्राडक्ट्स का उपयोग य़था योग्य आवश्यकता नुसार कम कम ही करना चाहिये।इनमें उपलब्ध विभिन्न तैलीय तत्व इसे बढा सकते है ंइसके अलावा इनसे हमारे पोर्स भी रुक जाते है जि एक्नी को बढा सकते हैं.बाजार में मिलने वाले कुछ ही हफ्तों में त्वचा निखरी निखरी नजर आये वाले प्राड्क्डस में भी कई बार स्टीरोईड होते हैं जो एक्नी को बढा सकते हैं इसलिए इनका उपयोग न करें तो बेहतर है.</div><div><br /></div><div><b><u>डिटर्जैंट</u></b>-किसी भी सौंदर्य पत्रिका में लिखने वाले स्वायंभू कास्मेटोलोजिस्ट अक्सर ये लिखते हुए देखे जाते हैं कि है कि बार बार चेहरा धोना चाहिये पर इसके उलट कई बार ये आपकी एक्नी को और खराब कर सकता है।इसलिए फैस वाश के बिना या फैश वास लगाकर भी चेहरे पर पानी कम से कम काम लेना चाहिये.ये हमारी त्वचा के स्वस्थ वातावरण को नुकसान कर सकते हैं।</div><div><br /></div><div><u><b>मौसम</b></u>-गर्मी और बरसात का वातावरण आपकी एक्नी को बढा सकता है ।</div><div>ठंडा मौसम एक्नी के लिए लाभकारी होता है,इसके अतिरिक्त वातावरण का प्रदूषण भी एक्नी को बढाता है.</div><div><br /></div><div><u><b>मोटापा-</b></u> बोडी मास इंडेक्स अर्थात मोटापा भी एक्नी को प्रभावित करता है और मोटे लोगों में ेएक्नी के होने की संभावना और गंभीरता दोनों ही अधिक होती है ।विशेष रूप से महिलाओं में जिनमें पीसीओडी की समस्या अधिक होती है और यदि उनका वजन यदि बढा हुआ है तो ये ज्यादा ही होती है ।</div><div><br /></div><div><u><b>अन्य बीमारीयां</b></u>- जैसे polycystic ovarian disease और अन्य कोई एंडोक्राइनोलोजिकल समस्या जिनमें पुरुष हार्मोने याने टैस्टोस्टीरोन का स्तर शरीर में ज्यादा होता है उसमें भी एक्नी ज्यादा होती है.-और वैसे ही इनका इलाज भी थोङा कठिन होता है।<br /></div><div>कुल मिलाकर जिसे स्वस्थ जीवन शैली कहते है जिसमें हम तनाव मुक्त जीवन जीते है और हमारा आहार भी स्वा्स्थ्य वर्धक हो और हम नियमित रूप से व्यायाम करते रहें और सौदर्य प्रसाधनों का यथायोग्य कम से कम उपयोग करें तो हम एक्नी होने के कारणों से स्वतः ही दूर कर सकते हैं.</div><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-33379401357377291452022-05-29T17:35:00.003+05:302022-05-29T17:35:57.157+05:30गर्मी के मौसम में त्वचा की देखभाल<p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjKGzu1-vuTUqDjGoCDb7wGdzI8J8ucVHVxP1U3sB30K3QfdANyJjr4HPu_biQiswOyq07C4SAOjDONjQwPAaWcvaTrX-KfcY_3vG0aHFI1Oitk--NWnUF7r8HY4g2UGlpwVUizLMHfZTB_4nlwRp9hhXihzPRHX9WIYjtitCkE_39gGjQwUg9FGRnJxA/s6000/girl-suffering-from-pain-heat-woman-with-heatstroke-having-sunstroke-summer-hot-weather-dangerous-sun-girl-sunshine-headache-feeling-bad-person-holds-hand-head.jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="4000" data-original-width="6000" height="372" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjKGzu1-vuTUqDjGoCDb7wGdzI8J8ucVHVxP1U3sB30K3QfdANyJjr4HPu_biQiswOyq07C4SAOjDONjQwPAaWcvaTrX-KfcY_3vG0aHFI1Oitk--NWnUF7r8HY4g2UGlpwVUizLMHfZTB_4nlwRp9hhXihzPRHX9WIYjtitCkE_39gGjQwUg9FGRnJxA/w560-h372/girl-suffering-from-pain-heat-woman-with-heatstroke-having-sunstroke-summer-hot-weather-dangerous-sun-girl-sunshine-headache-feeling-bad-person-holds-hand-head.jpeg" width="560" /></a></div> <p></p><p><br /></p><p>राजस्थान के जिस हिस्से से मैं हूं याने सीकर वो हिस्सा सर्दी और गर्मी दोनों में ही अपनी सीमाओं को छूता है याने अभी जून आने वाला है,<span> </span> और तापमान 50 तक पहुंच रहा है।ऐसा ही हाल। कमो बेश पूरे देश में रहता है ऐसे में हम अपनी त्वचा और सामान्य स्वास्थ्य की रक्षा कैसे कर पायेंगे इस के बारे में हम चर्चा करेंगे।</p><p><b>कपङे</b> कैसे पहनें-</p><p>गर्मी में पसीना बहुत आता है तापमान ज्यादा होता है इसलिए कहीं घर से बाहर निकलना है तो सूती हवादार कपङे पहनने चाहिये। जहां क हो सके जींस वगैर नहीं पहने ं क्यों कि हवा दार नहीं होंगे तो हमारे शरीर की गर्मी और पसीना हमें परेशान कर सकता है।कपङों के रंग का भी इस पर बहुत फर्क पङता है .हल्के रंग के कपङे यथा सफेद रंग ऊर्जा को कम अवशोषित करता है और परावर्तित कर देता है पर गहरे रंग के कपङे जैसे काला रंग ऊर्जा याने गर्मी को अवशोषित कर बढा देता है।तो हमें श्वेत वस्त्र गर्मी से बचाते हैं और थोङे ढीले कपङे होते हैं तो वे गर्मी को शरीर तक पहुंचने से रोकते हैं।यदि दोपहर में आपको बाहर जाना पङे तो आपको निश्चित ही छतरी या हैट जो चारों तरफ से धूप को रोकती है का उपयोग करना चाहये.</p><p>इसीलिये भारतीय परिप्रैक्ष्य में भारतीय परिधान हमारे गर्म मौसम में सबसे अच्छे परिधान हो सकते हैं क्यों कि ये हवादार भी होते हैं और ढीले भी।सीधा धूप।में निकलने से आपकी बाहें टैन हो सकती है इसलिए इन्हें भी ढककर रखेंं इसके लिए आजकल बाजार में विशेष कवर भी आते हैं।</p><p><b>-सनस्क्रीन</b> लगाना गरमी में भी आवश्यक होता है भले ही हम छतरी या हैट का उपयोग करें तब भी.क्यों कि तेज धूप आपके चेहरे की तुर्ंत ही टैनिंग कर देने वाली है ।इसके अलावा ये आपको गर्मी से भी बचाती है क्यों कि सन स्क्रीन शरीर पर पङने वाली सूरज की किरणों को परावर्तित भी कर देती है जिससे वे आपके शरीर को कम प्रभावित करती है।<br /></p><p>-गर्मी में हमारे शरीर से पसीना निकलता है और हम त्रुटि ये करते हैं कि मात्र हम पानी का ध्यान रखते हैं बल्कि पसीने के साथ हमारा न केवल पानी शरीर से निकलता है बल्कि लवण भी याने साल्ट भी निकलता है तो इसके लिए हम यदि कहीं बाहर लंबी दूरी तक निकलते हैं तो नमक डालकर शिंकंजी जैसा कुछ साथ ले सकते हैं,और ये आवश्यक भी है।</p><div style="background-color: #f3fdfe; font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 15px; text-align: left;"><span style="background-color: #f3fdfe;">-</span><span face="Roboto, sans-serif" style="background-color: #f3fdfe; font-size: 15px;"> तेज गर्मी और ऊमस के समय 1 -2 मि.मि. के लालिमा लिए हुए छोटे-छोटे दाने पूरे शरीर पर विशेष कर कपङे से ढके हुये स्थानों और रगङ लगने वाले स्थानों (intertriginous areas like groin and axilla) जैसे काछों और काखों में निकल आते हैं.और इस वजह से असहनीय खुजली और जलन होती है.इन्हें सामान्य बोल-चाल की भाषा में <b>घमोरियां</b>,अळाईयां या तकनिकी भाषा में milliaria rubra कहते हैं.<br /></span>तेज गर्मी और ऊमस के समय जब पसीना उत्सर्जित करने वाला स्वेद कोशिकाओं को अत्यधिक पसीना उत्सर्जित करना पङ रहा हाता है उसी समय staphylococcus epidermidis नामक जीवाणु वहां वृध्दी करने लगता है,और अंततः वह इस ग्रन्थी की नलिका को बन्द कर देता है जिससे न स्वेद बिन्दु अब सहजता पूर्वक बाहर नहीं निकल पाते और नलिका में सूजन पैदा कर देते जो कि बाहर से रक्तिम बिन्दु जैसी दिखाई पङती है.और जब यह पूरे शरीर पर फेली होती है तो जबरदस्त खुजली और जलन का कारण होती है.बकई बार ज्यादा खुजली करने फोङे फुंसियां भी हो जाती हैं.<br /> <u>बचाव और उपचार</u> --सबसे जरूरी तो यह है कि यथासम्भव ठंडे और हवादार स्थान पर रहा जाए,पर कई बार जैसे यह सम्भव नहीं हो पाता तो ठंडे पानी और नमक की पूर्ती शरीर में भरपूर होनी चाहिए.वस्त्र ढीले ढाले और पतले कपडे के हों,इसके अतिरिक्त दिन में हो सके दो बार ठंडे पानी से नहाना चाहिए .सुबह नहाने के बाद साधारण टेल्कम पावडर लगाना चाहिए इससे पसिना जल्दी सोखा जाता है, यदि फिर भी घमोरियां हो जाएं तो प्लास्टिक की थैली में बर्फ लपेटकर सेक करने से काफी लाभ हो सकता है .<br />हो गइ और टेल्कम पावडर स् आराम नहीं आ रहा हो तो केलामिन लोशन जो बाजार में caladryl,calosoft,lacto calamine इत्यादी विभिन्न नामों से मिलते हैं ,से काफी लाभ होता है.इन सब चीजों से भी आराम नहीं आता है तो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.</div><div style="background-color: #f3fdfe; font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 15px; text-align: left;">-इसके अतिरिक्त भी गर्मी में हीट स्ट्रोक आदि गंभीर समस्याएं हो सकती है जो कि अधिक देर तक गर्मी में होने और पानी और साल्ट की नियमित सेवन न करने से हो सकती है जो कि शरीर के तापमान को खतरनाक स्तर तक बढा सकती है जिसे सामान्य भाषा में लू लगना कहते है ंजिसमें तेज बुखार आ सकता है ये गंभीर है और जानलेवा भी हो सकता है इसके लिए रोगी को किसी ठंडें हवादार स्थान मे रखकर उस पर ठंडे पानी या बर्फ का सेक कर तुरंत तापमान को नियंत्रित करने की चेष्टा करनी चाहिये जब तक की उसे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न हो.</div><div style="background-color: #f3fdfe; font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 15px; text-align: left;"><b>-सन बर्न</b> या हीट स्वेट सिंड्रोम जिसमें त्वचा जली हुई सी हो जाती है और बहुत तेज जलन होती है इसे भी हम बर्फ का से कर ठंडे पानी से स्नान कर नियंत्रित कर सकते है।</div><div style="background-color: #f3fdfe; font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 15px; text-align: left;">-गर्मी में क्यों कि बैक्टीरिया और फंगस शीघ्रता से संक्रमण करते हैं तो नियमित रूप से साबुन लगाकर नहाना और कपङों की साफ सफाई का विशेष महत्व है।जिससे हम फोङे फुंसी और दाद खाज खुजली से बचे रहें.</div><div style="background-color: #f3fdfe; font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 15px; text-align: left;">-हां आम गर्मी में आते है और फोङे फुंसी भी गर्मी में ही होते हैं तो कई बार कहते है कि आम खाने से फोङे फुंसी ज्यादा होते हैं ये एक मिथ्या धारणा ै है,गर्मी में आम का रसास्वादन करते रहें पर शरीर की सफाई का विशेष ध्यान रखें तो ये सब नहीं होते हैं।</div><div style="background-color: #f3fdfe; font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 15px; text-align: left;">कुल मिलाकर गर्मी को अपने लिये परेशानी न बनने दें हवा,पानी और नमक का यथा योग्य उपयोग करें आम खायें और मस्त रहें ,आपके लिए गर्मी शुभ हो।।</div><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-12940040297367718202022-05-03T20:08:00.000+05:302022-07-22T23:00:52.240+05:30अनचाहे बाल कारण व निवारण<p> अनचाहे बाल आधुनिक युग की एक ऐसी समस्या बन चुकी है जो कि किसी भी व्यक्ति विशेषकर महिलाओं की सुंदरता पर एक धब्बे की तरह होती है।और कोई नहीं चाहेगा कि चेहरे पर बाल हों और उनको पुरुषों की तरह हटाना पङे.</p><h3 style="text-align: left;">कारण-</h3><div>अनचाहे बालों का एक बहुत बङा कारण आनुवंशिक होता है यदि आपके परिवार में बाकि महिलाओं के चेहरे पर बाल हों तो आपके अनचाहे बालों की संभावना अधिक होती है.जिसमें साथ में पोलिसिस्टिक ओवेरियन डीजीज व पुरुष होर्मोंस का बढा हुआ स्तर../ये सामान्यतया पाया जाता है।ऐसी महिलाओं में न केवल चेहरे पर बल्कि शरीर के बाकि हिस्सों पर भी बाल पाये जा सकते हैं।जैसे निपल्स के पास पेट के बीच वाली लाईन व कई बार पांवों पर भी मोटे बाल पाये जा सकते हैं।</div><div><br /></div><div>हमारी बदली हुई जीवन पद्धति का भी इसमें बहुत बङा रोल है.हर काम चाहे वस्त्र धोना हो या कहीं जाना हो सब मशीन से होता है और हमारा शारिरिक श्रम बहुत कम होता है जिस कारण से न केवल वजन बढ जाता है बल्कि हार्मोनल अंसुतलन भी हो जाता है.</div><div><br /></div><h2 style="text-align: left;">अनचाहे बालों का उपचार</h2><div>एक बार अनचाहे बाल आ जाने पर उन्हें हटाना ही उनका उपाय है उसके साथ में बचाब के उपचार कर सकते हैं पर जो बाल आ गये हैं उन्हें आप को हटाना ही पङेगा।इसके लिए कई सारे तरीके काम लिये जाते हैं यथा,</div><h4 style="text-align: left;"><u>ब्लीचिंग</u></h4><p style="text-align: left;">-जब आपके पतले और भूरे याने कम काले बाल हों तो ब्लीचिंग द्वारा बाल कम दिखाई देते हैं।पर कम नहीं होते और कई बार ब्लीचिंग क्रीम से आपको रियेक्शन भी हो सकता है,पर जब तक बहुत अधिक वृद्धि न हो तब तक काम चलाया जा सकता है।</p><h4 style="text-align: left;"><u>वैक्सिं</u>ग-</h4><p style="text-align: left;">ब्यूटि पार्लर में गर्म मोम लगाकर बालों को एक झटके से उखाङना वैक्सिंग होता है,बाल तो कम दिखाई देते हैं पर इसमें एक तो मोम से जलने का खतरा रहता है इसके अतिरिक्त जब बालों को हर बार इस तरीके से उखाङा जाता है तो बालों की जङों में माईनर ब्लीडिंग होकर धीरे धीर वहां की त्वचा खुरदरी और खराब दिखने लगती है इसलिए कम से कम चेहरे पर ये तरीका काम नहीं लेना चाहिये।</p><h4 style="text-align: left;">-इलेक्ट्रो लाईसिस-</h4><p style="text-align: left;">जिसमें बालों की जङों में करेंट प्रवाहित कर बाल की जङको नष्ट किया जाता है ।</p><div>पर इसमें एक सारे बाल समाप्त नहीं होते बल्कि हर सिटिंग के बाद एक तिहाई बाल ही समाप्त होते हैं और फिर से करना पङता है ।थोङे बहुत बाल हों तो ये तरीका पर्याप्त है पर यदि बङे एरिया में हो तो करना असंभव है। हां इतना अवश्य है कि यही एकमात्र तरीका है जिसमें बाल पूरी तरह से जाते हैं यानि परमानेंट हेयर रिमुवल होता है।</div><div><br /></div><h4 style="text-align: left;"> लेजर ट्रीटमैंट -</h4><div>अन्य सारे उपचार के तरीकों की अपूर्णता को देखते हुए लेजर हैयर रिमूबल मेथड का आविष्कार हुआ१९९५ में पहले लेजर हैयर रिडक्शन सिस्टम को पहली बार इस उपचार के लिए मान्यता मिली उसके बाद अनेकानेक नई नई मशीने और तकनीकि इस उपचार के लिए आती गई.</div><div>लेजर द्वारा किये गये उपचार को परमानेंट हेयर रिडक्शन कहना अधिक उपयुक्त है न कि परमानेंट हेयर रिमूवल याने जब लेजर ट्रीटमेंट किया जाता है उसके बाद बाल सामान्य रूप से जितना वृद्धि करते हैं उससे लंबा समय लेकर उससे कम वृद्धि करते हैं तो ये हेयर रिडक्शन हुआ.और जब बार बार इस तरीके से इलाज किया जाता है तो बालों की जङ धीरे धीरे समाप्त होने लगती है और बाल और धीरे धीरे कम होते चले जाते है हर सिटिंग के साथ।बाल और कम होते चले जाते हैं।<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj8zfU-cCOyfiziMSnxk0COwvSeC3EL4SqThXkXStJLr0HaGNpR_n2o9r_cbrc7IfpCYNuP0An-EklsZfATQMgeCCAjQnwSMnjewNR1WZtoe5lpd3b2txXOyhMc1xuw7_DmMwze2FKeLR_gRM_fXz4610bWW2fKSKY_Jhz59zaCf04MEiJSwfcJJCK7oA/s5536/young-woman-receiving-laser-treatment-cosmetology-clinic.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="3693" data-original-width="5536" height="266" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj8zfU-cCOyfiziMSnxk0COwvSeC3EL4SqThXkXStJLr0HaGNpR_n2o9r_cbrc7IfpCYNuP0An-EklsZfATQMgeCCAjQnwSMnjewNR1WZtoe5lpd3b2txXOyhMc1xuw7_DmMwze2FKeLR_gRM_fXz4610bWW2fKSKY_Jhz59zaCf04MEiJSwfcJJCK7oA/w400-h266/young-woman-receiving-laser-treatment-cosmetology-clinic.jpeg" width="400" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"></td></tr></tbody></table></div><div><br /></div><h4 style="text-align: left;">बालों की सरचना का LHR(laser hair reduction) पर प्रभाव-</h4><p style="text-align: left;">बालों का रंग,मोटाई ,घनत्व,और बालों के बढने के अलग अलग दर का LHR पर प्रभाव होता है.लेजर ट्रीटमैंट के प्रभावी होने के लिए लेजर द्वारा बालों की मुख्य जगह याने बल्ब और स्टेम सेल्स के पास से डेमेज होना आवश्यक होता है।स्टैंम सैल्म याने बालों को बढने वाली कोशिकाओं का मुख्य कारक बाल की गर्दन जौसी इस्थमस नामक जगह पर होता है,यदि ये लेजर से और बल्ब वो जगह होती है जहां बालों की मिलेनिन याने काला रंग सर्वाधिक होता है वो स्थित होता ।चूंकि बालों की एनाजन याने बढने की फैज में ही बालों में मिलेनिन सर्वाधिक होता है तो किसी भी बाल की बढने की अवधि में ही सबसे ज्यादा लेजर प्रभावी होती है।और यही कारण है कि बाल जितना काला और मोटा होता है वो उतना ही लेजर से शीघ्रता से ठीक होता है।</p><h4 style="text-align: left;">लेजर कैसे काम करती है। mechanism of action </h4><div>लेजर सेलेक्टिव फोटोथर्मोलाईसिस के सिद्धांत पर काम करती है।अर्थात हर लेजरकि एक टारगेट वेव लेंथ होती है जिस पर ये काम करती है और हमारे शरीर का वो तत्व इस पूरी ऊर्जा को अवशोषित कर उसे नष्ट कर देता है बालों में ये काला रंग अर्थात मिलेनिन होता है जो इस उर्जा को अवशो,ित कर एक तरह से से गर्म होकर जल जाता है और साथ में बालों की कोशिकाओं को भी नष्ट कर देता है ।ये सारी कार्यवाही माइक्रोस्कोपिक होती है इसलिए बाहर से दिखाई नहीं देती है हां कई बार बाल जल कर बाहर जरूर निकल आता है ।चूं कि मिलेनिन हमारी त्वचा में भी होता है तो इसीलिए लेजर ट्रीटमैंट गोरी त्वचा में अधिक प्रभावी होता है क्यों कि इसमें कालें बाल व आस पास की त्वचा में मिलेनिन का अंतर अधिक होता है कम मिलेनिन वाली त्वचा कम ऊर्जा अवशोषित करती है और कम प्रभावित होती है वहीं काला बाल इससे जलकर नष्ट हो जाता है वहीं सांवली त्वचा में ये कई बार त्वचा को भी जला सकता है इसलिए हम पूरी इनर्जी नहीं ले पाते और ये आपके परिणाम को भी प्रभावित करती है।</div><div>अब प्रश्न उठता है कि लेजर ट्रीटमैैंट कितना प्रभावी होता है और कितनी बार करवाना होता है,तो हर सिटिंग के साथ आपके बाल कम होते चले जाते हैं और कुछ बाल न के बराबर वृद्धि करते हैं,अधिकतर बार ८ से १२-१५ सिटिंग के बाद ,आपको साल में कभी कभार मैंटेनेंस सिटिंग की ही आवश्यकता होती है।एक चीज हमेशा याद रखिये कि विश्व की कोई मशीन बालों को सदा के लिे समाप्त नहीं कर सकती है, बस बाल धीरे धीरे इतनी कम वृद्धि करते हैं कि वो न के बराबर होती है।</div><h4 style="text-align: left;">काम आने वाली मशीिने</h4><p style="text-align: left;">मशीनें और उनकी टैक्नोलोजी अलग अलग प्रकार की होती है </p><p style="text-align: left;"></p><ol style="text-align: left;"><li>रूबी लेजर</li><li>अलेक्जैंड्राईट </li><li>डायोग</li><li>क्यू स्विच एन डी याग लेजर </li><li>लोंग पल्स एन डी याग लैजर </li><li>आई पी एल </li></ol><h4 style="text-align: left;">उपचार की आवश्यकता-</h4><div>अनचाहे बाल चाहे फिर वे ऊपर वाले होंठ पर ,ठुड्डी,दाढी वाली जगह,कांख में और आजकल बिकिनी एरिया में भी लेजर ट्रीटमैंट करवाया जा सकता है,इसके अलावा आनुवंशिक और दवाईयों के साईड इफैक्ट की वजह से होने वजह से होने वाली बालों की वृद्धि।</div><h4 style="text-align: left;">उपचार की अनुपयुक्तता-</h4><div>यदि कहीं चोट लगी हो कट लगे हों,कोई संक्रमण हो और सबसे महत्वपूर्ण है कि कोई भी यदि unrealistic याने वास्तविकता से अधिक परिणाम की आशा करता हो तो लेजर ट्रीटमैंट नहीं करना चाहिये।इसके लिए करवाने वाले व्यक्ति को पहले से परिणाम पता होना चाहिये कि बाल हमेशा के लिए पूरी तरह से नहीं जाते हैं और बाद में भी मैंटेनेंस सिटिंग्स जो कि साल में दो तीन बार तक हो सकती है.</div><h4 style="text-align: left;">उपचार से पहले की तैयारी(pre procedural work up)</h4><div><ol style="text-align: left;"><li>किसी भी प्रकार की दवाई जो चल रही है,हाईपर ट्रोफिक स्कार या कीलोईड,कोई photosensitive medicine or condition,.</li><li>यदि किसी भी प्रकार का हार्मोनल डिस्टर्बैंस यथा PCOD या थोयरोईड की बीमारी हो तो .हार्मोनल टैस्ट <br />यथा-LH,FSH,DHEAS,free testosteron,cortisone टैस्ट जहां तक संभव हो सकें तो चिकित्सक को करवाने को कहें।</li></ol><div><br /></div></div><div> कुल मिलाकर आपको ये पता होना चाहिये कि ये कोई सदा के लिए आपके बाल एक दो सिटिंग्स में समाप्त नहीं होने वाले हैं बल्कि इसमें आपको कई बार लेजर ट्राटमैंट लेना होता है 4-6 सप्ताह के अंतर पर जो कि आगे धीरे धीरे अंतराल बढ सकता है और बाल धीरे धीरे कम हो तोे चले जाते हैं।</div><div><br /></div><div>इसके अलावा आपको ये पता होना चाहिये कि आपकी मशीन कौनसी है किस ब्रांड की है यू एस एफडी ए एप्रूव्ड तो है न।ये सब बातें आपके परिणाम को प्रभावित करती है इसके अतििक्त सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि करने वाला चिकित्सक कितना अनुभवी है।यदि इन सब बातों को ध्यान में रखकर हम यदि अपना ट्रीटमैंट लेते हैं तो ये आपको बहुत ही शानदार परिणाम देने वाला उपचार है। </div><div><br /></div><p></p><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-46033818720719175322022-04-21T18:08:00.007+05:302022-04-21T18:08:58.374+05:30दाद याने फंगल इंफेक्शन के बार बार होने से कैसे बचें<p style="text-align: left;"><span style="font-family: Arial; font-size: 11pt; white-space: pre-wrap;"> आज हम बात करेंगे फंगल इंफेक्शन यानी दाद की रिकरैंस याने बार बार होने के बार में यह कैसी समस्या बन चुकी है कि पूरे देश भर में एक तरह से एपिडेमिक बन चुका है आपको हर घर परिवार में मोहल्ले में गांव में सब जगह दाद याने फंगल इंफेक्शन के मरीज मिलते हैं और इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हम दवाई लेते हुए भी कुछ चीजों का भली प्रकार से पालन नहीं करते इस वजह से यह सब होता है तो अब आज कुछ ऐसी बातों की चर्चा करेंगे जिन्हें ध्यान में रखकर हम इस समस्या से पार पा सकते हैं और दाद को ठीक कर सकते हैं।</span></p><h3 style="text-align: left;"><span style="font-family: Arial;"><span style="font-size: 14.6667px; white-space: pre-wrap;">स्वच्छता</span></span></h3><p style="text-align: left;"><span style="font-family: Arial; font-size: 11pt; white-space: pre-wrap;"> पहली चीज है हमारे शरीर की स्वच्छता याने हाइजीन वैसे तो सभी लोग अच्छी तरह से नहाते हैं, साबुन लगाते हैं। पर कुछ चीजें फिर भी हमें ध्यान रखनी होती है जैसे कि यह इंफेक्शन स्पर्श से फैलता है। तो, इसके लिए जब हम नहाते हैं तो तौलिए से पौंछते समय ध्यान रखें कि हमें दो तरह के तोलिए काम में लेने चाहिए एक जो आपके सारे शरीर को </span><span style="font-family: Arial; font-size: 14.6667px; white-space: pre-wrap;">पौंछते</span><span style="font-family: Arial; font-size: 11pt; white-space: pre-wrap;"> के लिए होता है चेहरे को पहुंचने के लिए होता है और दूसरा वह जो आपके इंटीमेट पार्टस यानी के ग्रॉइन एरिया यानी हाथों में और कांख में पौंछने लिए होता है। क्योंकि फंगल इनफेक्शन ज्यादातर बार इन्हीं जगहों से प्रारंभ होता है।</span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-family: Arial; font-size: 11pt; white-space: pre-wrap;"> दूसरा आपके नाखून काट कर रखें हालांकि नाखून सभी काट कर रखते हैं पर फिर भी </span><span style="font-family: Arial; font-size: 14.6667px; white-space: pre-wrap;">फंगल</span><span style="font-family: Arial; font-size: 11pt; white-space: pre-wrap;"> इन्फेक्शन में इसका एक विशेष कारण है कि यदि नाखून आपके बड़े हैं और हमारे खुजली चलती है तो फंगस का कीटाणु आपके नाखून से आपके शरीर के बाकी हिस्सों पर पहुंच जाता है। इसके अलावा जहां तक संभव हो </span><span style="font-family: Arial; font-size: 14.6667px; white-space: pre-wrap;">खुजली</span><span style="font-family: Arial; font-size: 11pt; white-space: pre-wrap;"> ना करें। यदि खुजली चलती हो तो इसके लिए दवाई ले। शरीर की </span><span style="font-family: Arial; font-size: 14.6667px; white-space: pre-wrap;">स्वच्छता</span><span style="font-family: Arial; font-size: 11pt; white-space: pre-wrap;"> के बाद आती है कपड़ों की स्वच्छता कपड़ों की स्वच्छता या ने हमारे अंडरवियर बनियान धोने के लिए हमें गर्म पानी काम में लेना चाहिए और कपड़े सूखने के बाद यदि उन्हें प्रेस कर लिया जाए तो और ज्यादा ठीक रहेगा. जिससे उनकी अतिरिक्त नमी साफ हो जाएगी इसके अलावा फंगस का कीटाणु गर्मी पाकर समाप्त हो जाता है ।परिवार के लोगों को एक दूसरे के कपड़े नहीं पहने चाहिए जहां तक हो सके हर व्यक्ति को अपने कपड़े अलग स्थान पर रखने चाहिए क्योंकि यह कपड़ों में इंफेक्शन आपस में साथ में रखने से भी फैल सकता है।</span></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQmipu8yoPhdd2Wot-9G13kU_DW2ii1UL8Z2A9LgGv4Q8anlYtYEQNU3a2vblihYU5fNtYuQaVWTFk29zeM7_w-llbEvGW5B1UEKtIGP6Lx51R6TkN5MgpTh2CF24O_KGJwG80UIEklVwG2W1kjYwGNLfTA7cqXYJ90x0q5eugdt0hrshfDZofFVJqnA/s6000/woman-is-scratching-red-blistered-upper-arm-due-foreign-body-intolerance-insect-bite.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="4000" data-original-width="6000" height="369" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQmipu8yoPhdd2Wot-9G13kU_DW2ii1UL8Z2A9LgGv4Q8anlYtYEQNU3a2vblihYU5fNtYuQaVWTFk29zeM7_w-llbEvGW5B1UEKtIGP6Lx51R6TkN5MgpTh2CF24O_KGJwG80UIEklVwG2W1kjYwGNLfTA7cqXYJ90x0q5eugdt0hrshfDZofFVJqnA/w553-h369/woman-is-scratching-red-blistered-upper-arm-due-foreign-body-intolerance-insect-bite.jpg" width="553" /></a></div><p></p><h3><span style="font-family: Arial;"><span style="font-size: 14.6667px; white-space: pre-wrap;">उपचार में नियमितता</span></span></h3><p style="text-align: left;"><span style="font-family: Arial; font-size: 11pt; white-space: pre-wrap;"><br /></span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-family: Arial; font-size: 11pt; white-space: pre-wrap;"> इसके बाद बात आती है ट्रीटमेंट की, तो इसके लिए पास किसी मेडिकल स्टोर से आपने दवाई ले ली आधी अधूरी दवाई लेकर जिनमें स्टेरॉयड मिले होते हैं ऐसी दवाइयां लगाकर हम इंफेक्शन को फैला लेते हैं. और इससे बाकी परिवार के लोग इन्फैक्ट हो सकते हैं. इसकी बजाय किसी स्किन स्पेशलिस्ट से आपको दवाई लेकर उसका कोर्स कंप्लीट करना चाहिए .एक बार फंगल इंफेक्शन हो जाने के बाद में चाहे वह कितना भी बड़ा हो जाए वह 1 इंच का हो या 10 इंच का उसका ट्रीटमेंट का समय बराबर होता है जो कि 6 से 8 हफ्ते तक हो सकता है और कई बार उससे भी थोड़ा ज्यादा जब तक पूरा इंफेक्शन क्लियर नहीं हो जाता है,. तब तक आपको ट्रीटमेंट लेना होता है. इसमें सबसे बड़ी समस्या क्या होती है मरीजों गलती करता है कि उन्हें यह चीज समझ में नहीं आती की फंगस के ट्रीटमेंट में लगातार ट्रीटमेंट लेने का क्या महत्व है इतना 2 से 3 महीने तक ट्रीटमेंट लेते हैं तो हम थोड़े से लापरवाह हो जाते हैं। और पांच सात दिन की लेट जरूर कर देते हैं। बीच-बीच में ट्रीटमेंट में तो इतना ध्यान रखें कि जैसे ही आपका ट्रीटमेंट की लाइन टूटती है यानी कि 5 दिन आपकी दवाई बंद होने के साथ ही अपनी पहली दवाइयां ली थी वह बिल्कुल हो जाती है और उसके बाद आपको फिर से वही 2 से 3 महीने का ट्रीटमेंट लेना पड़ता है जो कि बहुत मुश्किल हो जाता है इसलिए आपको ट्रीटमेंट कोर्स कंप्लीट करना चाहिए। 2 हफ्ते से तीन मैं जब आपका डाक्टर बुलाता है। जाकर दिखाना चाहिए क्योंकि बीच-बीच में दवाइयों में छोटा-मोटा बदलाव करना पड़ सकता है ></span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-family: Arial; font-size: 11pt; white-space: pre-wrap;"> फंगल इनफेक्शन ट्रीटमेंट करना और उसके साथ होने वाली खुजली का ट्रीटमेंट दोनों बिल्कुल अलग है जब आपका मन हो रहा होता है तो कई बार हमें खुजली में इतना आराम नहीं आता और हम दवाई बदल लेते हैं वह दवाई दिन में मिला होता है खुजली ठीक होने वाली होती है वह हम लेते हैं और यह गलती हमारी है क्योंकि जैसे ही शुरु करते हैं अब के प्रभाव कम हो जाता है यदि कोई समस्या हो आपकी खुशी ज्यादा चल रही हो को बोलकर खुजली रोकने वाली दवाई हो सकते हैं परंतु ऑपरेशन के बाद में उसके बाद 2 से 3 महीने काम कंप्लीट हो जाता है उसके बाद भी फंगल इंफेक्शन के होने की संभावना रहती है क्योंकि आपके कपड़ों में आपके परिवार के किसी सदस्य के द्वारा भी आपको हो सकता है इसके लिए जरूरी होता है कि जो एंटीफंगल दवाइयां आप लगा रहे थे उनको अगले डेढ़ 2 महीने तक आप को फिर से लगाना पड़ सकता है नहीं तो recurrence के चांसेस जाते हैं ।इसके अलावा एंटी फंगल साबुन भी आते हैं वह भी आपको लगाने चाहिए जिससे कम से कम परिवार के बाकी सदस्यों में संक्रमण को हम रोक सकते हैं छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखते हैं तो निश्चित रूप से बड़े आराम से समझ सकते हैं और बार-बार होने वाली समस्या खत्म हो सकती है मान कर चलिए कि इसमें जो चीजें बताई गई है यदि हम पूरी तरह से करते तो हम कंप्लीट ठीक हो जाते हैं बस इसी बात को समझ नहीं पाते और देश आज इतनी बड़ी समस्या से जूझ रहा है कि पिछले 10 वर्ष में इंफेक्शन मान के चलिए कम से कम 10 गुना बढ़ गया है मैं आशा करता हूं कि आप और आपके परिवार में किसी के यह इंफेक्शन यदि हो रहा है तो हम जल्दी से जल्दी इस समस्या पर पार पा सकते हैं।<br /></span></p><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-54937153022803091472016-12-09T11:36:00.000+05:302016-12-09T11:38:38.384+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="Publishwithline">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 19.0pt;">टीनिया वर्सिकलर(</span>Tinea versicolor <span lang="HI" style="font-family: "arial unicode ms" , "sans-serif"; font-size: 19.0pt;">)</span><w:sdtpr></w:sdtpr></div>
<div style="border-bottom: solid #4F81BD 1.0pt; border: none; mso-border-bottom-themecolor: accent1; mso-element: para-border-div; padding: 0cm 0cm 2.0pt 0cm;">
<div class="underline">
<br /></div>
</div>
<div class="PadderBetweenControlandBody">
<br /></div>
<h3 style="text-align: left;">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;"><u><b>परिचय</b></u>-टीनिया वर्सिकलर अथवा जिसे साधारण भाषा में भभूती कहते
हैं,त्वचा का एक ऐसा रोग है जिसमें सफेद और भूरे रंग के चकत्ते हमारे शरीर पर बन
जाते हैं,ये मुख्यतया धङ ,हाथ व कभी कभी चेहरे पर भी पाये जा सकते हैं।अपने रंग की
वजह से जो कि सफेद से मिलता जुलता हो सकता है रोगी इसे सफेद दाग याने </span><span style="mso-bidi-font-family: "Nirmala UI";">vitiligo </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;">समझ लेता है।और अधिकतर इसी वजह से
चिकित्सक तक पहुंचता है।हालांकि इनके कारण ,गंभीरता और उपचार में रात दिन का अंतर
होता है।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-bUY1bMNImRw/WEpJgQOoCJI/AAAAAAABKYY/II-x9OLJcx8uzvxu2GI7KuPMaa7JzmpFgCLcB/s1600/images%2B%25281%2529.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://4.bp.blogspot.com/-bUY1bMNImRw/WEpJgQOoCJI/AAAAAAABKYY/II-x9OLJcx8uzvxu2GI7KuPMaa7JzmpFgCLcB/s1600/images%2B%25281%2529.jpg" /></a></div>
</span></h3>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;"><b><u>कारण</u></b>-ये रोग हमारे शरीर पर सामान्यतया पाये जाने वाले फंगस </span><span style="mso-bidi-font-family: "Nirmala UI";">mellasezia furfur or pityriosporum
ovale </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;">(एक
ही फंगस के दो नाम हैं)के कारण होता है।</span><span style="mso-bidi-font-family: "Nirmala UI";"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;"><b><u>लक्षण</u></b>-शरीर पर विभिन्न आकार के<span style="mso-spacerun: yes;">
</span>गोल गोल चकते जो कि कुछ मिलिमीटर से कुछ सैटीमीटर तक हो सकते हैं अन्य कोई
लक्षण नहीं होता है।क्यों कि ये फंगस त्वचा की सबसे ऊपरी याने </span><span style="mso-bidi-font-family: "Nirmala UI";">superficial </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;">परत </span><span style="mso-bidi-font-family: "Nirmala UI";">stratum corneum </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;">मैं पाया जाता है इसलिए इससे खुजली नहीं होती
और न हीं किसी प्रकार का द्रव निकलता है क्यों कि ये परत निर्जीव होती है।सामान्यतया
गर्मी और बरसात ऋतु में ये ज्यादा होता है,क्यों कि तब शरीर पर पसीना ज्यादा आता
है,कई बार सर्दी आने पर ये स्वतः कम हो जाता है।</span><span style="mso-bidi-font-family: "Nirmala UI";"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;"><b><u>निदान</u></b>-टीनिया वर्सीकलर के निदान के लिए किसी प्रकार के टैस्ट की
आवश्यकता सामान्यतया नहीं होती क्यों कि इसे देखकर आराम से पहचाना जा सकता है,फिर
भी इसके लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा देखकर इसका निदान किया जा सकता है,जिसकी
आवश्यकता अधिकतर नहीं होती क्यों कि कोई भी अनुभवी विशेषज्ञ इसे ध्यान से देखकर
पहचान सकता है।</span><span style="mso-bidi-font-family: "Nirmala UI";"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;"> कई बार उपचार के उपरांत भी ये निशान कुछ समय तक ज्यादा सफेद दिखाई
देते हैं क्यों कि </span><span lang="HI" style="mso-bidi-font-family: "Nirmala UI";"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span></span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;">जहां ये फंगस चिपका हुआ है वहां पर सूर्य की
रोशनी नहीं लगने से नीचे की त्वचा गोरी हो जाती है जिससे जैसे उपचारोपरांत फंगस
हटता है नीचे गोरी त्वचा सफेद दाग होने का आभास देती है।प्रतिदिन कुछ समय धूप में
बैठने से ये आस पास की त्वचा में मिल जाती है और दिखाई नहीं देती।</span><span style="mso-bidi-font-family: "Nirmala UI";"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt;">टीनिया वर्सीकरल का उपचार सामान्य एंटी फंगल दवाईयों द्वारा आसानी से
किया जा सकता है,इसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करना चहिये।<o:p></o:p></span></div>
<w:sdt contentlocked="t" id="89512093" sdtgroup="t"><span style="font-family: "calibri" , "sans-serif"; font-size: 1.0pt;"><w:sdtpr></w:sdtpr><w:sdt docpart="5C8D1390DD33415EAF654AF8F71100C2" id="89512082" storeitemid="X_5460B8DA-1CB6-43CC-A8A1-DC75F81AFB24" text="t" title="Post Title" xpath="/ns0:BlogPostInfo/ns0:PostTitle"></w:sdt></span>
</w:sdt>
<br />
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
</div>
<div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-24743478205701325342010-12-12T11:29:00.001+05:302010-12-12T11:43:16.725+05:30चिकन पोक्स (chicken pox)<blockquote> <p align="justify"><font color="#0000a0" size="2"><strong>चिकन पोक्स एक बहुत ही संक्रामक बीमारी है जो कि varicella zoster नामक विषाणु(virus) के संक्रमण से होता है.जिसमें छोटे छोटे छाले(vesiclec) पूरे शरीर पर बन जाते हैं,जो कि विभिन्न् रूपों मैं हो सकते हैं जैसे छोटे छाले.लाल दाने(papules),खुरंट(scab) इत्यादि..ये विषाणु दो प्रकार की बीमारियां हमारे शरीर मैं कर सकता है.चिकन पोक्स और herpes zoster.चिकन पोक्स को जिसे भारत मैं विभिन्न नामों से जाना जाता है,जैसे छोटी माता,अचबङा इत्यादी . </strong></font></p></blockquote> <p align="justify"><font color="#0000ff"><strong>संक्रमण का तरीका</strong></font>- विषाणु अति संक्रामक हो ता है.तथा किसी संक्रमित व्यक्ति के उच्छ्वशन मैं निकली वायु के अंदर उपस्थित जल कणों(droplet infection) के अंदर ये उपस्थित होते हैं.और ऐसें मैं रोगी अपने आसपास आनेवाले किसी भी व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है. इसके अलावा ये मरीज के शरीर पर उपस्थित खुंरट या छालों में उपस्थित पानी के संपर्क मैं आने से भी संक्रमित हो सकता है.पर उच्छवसित वायु मैं उपस्थित विषाणु ही मुख्य रूप से चिकन पोक्स को फैलाने के लिए जिम्मेदार होता है.</p> <p align="justify"><font color="#0000ff"><strong>लक्षण-</strong></font>5 से 9 वर्ष तक के बच्चे सबसे ज्यादा संक्रमित होते हैं.चिकन पोक्स का incubation period (संक्रमित होने के बाद से लेकर बीमारी प्रकट होने तक लगने वाला समय) 10 से 21 दिन तक होता है और ज्यादातर ये 14 से 17 दिन तक ही होता है.रोगी शरीर पर छाले प्रारंभ होने के 48 घंटे पहले से लेकर जब तक सारे छालों पर खुरंट आने तक रोगी संक्रामक होता है…और ये इतना ज्यादा होता है कि पहले से असंक्रमित सामान्य जन मैं से लगभग 90 प्रतिशत तक संक्रमित हो जाते हैं.<a href="http://lh5.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/TQRkt6llFJI/AAAAAAAABHo/5Je3fvNb2M0/s1600-h/image16.png"><img style="border-right-width: 0px; display: inline; border-top-width: 0px; border-bottom-width: 0px; margin-left: 0px; border-left-width: 0px; margin-right: 0px" title="image" border="0" alt="image" align="right" src="http://lh4.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/TQRkv_-4PZI/AAAAAAAABHs/wauNfJwD32I/image_thumb12.png?imgmax=800" width="353" height="275"></a></p> <p align="justify"> प्रारंभ मैं मरीज को हल्का फुल्का बुखार जो कि बाद मैं तेज भी हो सकता है,शरीर मैं दर्द,थकान,सरदर्द,,प्रारंभ होने के बाद रोगी को छोटे छोटे लाल निशान उभरने लगते हैं जो कि घंटों के हिसाब से बढने लगते हैं और पूरे शरीर पर फैल जाते है .ये लाल निशान धीरे धीरे छोटे छाले जो कि 2-3 मि मि तक हो सकते हैं धीरे धीरे लगभग 5-10 मि मि तक हो जाते.जैसा कि ऊपर वाले चित्र मैं दिखाया गया है ये छाले चारों और से एक रक्तिम वलय द्वारा घिरे रहते हैं. धीरे धीरे एक दो दिन मैं इनके अंदर का पानी सूख कर ऊपर खुरंट का रूप ले लेता है.ये छाले एक के बाद एक समूह मैं होते हैं.याने की एक ही समय मैं रोगी के शरीर पर प्रारंभिक लाल दाने,छोटे छाले,बङे छाले,और खुरंट सब एक साथ देखे जा सकते हैं.इन छालों मैं द्वितीयक कीटाणु (secondary bacterial infection)संक्रमण भी हो सकता है जिससे साफ द्रव वाले इन छालों मैं मवाद भी पङ सकती है. .ये छाले या निशान मुंह गले व योनि की श्ललेष्मा झिल्ली पर भी हो सकते हैं.रोग की गंभीरता अलग अलग हो सकती है कुछ लोगों मैं छोटे मोटे निशान और छाले बनकर पांच चार दिन मैं ये ठीक हो जाते है और कई बार ये अपने गंभीरतम रूप मैं प्रकट होते हैं जिसमें पूरे शरीर पर बङे बङे झाले और खुरंट फैल जाता है और उनमें मवाद भी पङ सकती है.सामान्यतया रोग की गंभीरता जितनी छोटी आयु होती है उतनी कम होती है अधिक आयु मैं और विशेष कर वृद्धावस्था मैं ये बहुत गंभीर रूप ले सकती है. </p> <p align="justify"><font color="#0000ff"><strong>parinatal vericella</strong></font>-जब किसी गर्भवती महिला के बच्चे के जनम से चार पांच दिन पहले से लेकर 48 घंटे बाद तक ये संक्रमण होता है तो ये बहुत ही खतरनाकर माना जाता है क्यं कि उस समय मैं बच्चे की इस विषाणु के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है और इस समय मां मैं या बच्चे मैं संक्रमण के बाद मृत्युदर 30 प्रतिशत तक हो सकती है.</p> <p align="justify">ऐसे लोग जिनमें किसी भी वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जैसे कैंसर के रोगी,गुर्दा प्रत्यारोपण किये हुए लोग,संक्रमित व्यक्ति को इन लोगों से आवश्यक रूप से दूर रखना होता है नहीं ये बहुत ही घातक सिध्द हो सकता है.</p> <p align="justify"><font color="#0000a0"><strong>उपचार</strong></font>-इस रोग के निदान के लिए किसी विशेष जांच की आवश्यकता नहीं पङती है क्यों कि रोगी के लक्षण ही स्वयं इतने मुखर होते हैं कि देखते ही पता लग जाता है.</p> <p align="justify">चूंकि ये एक विषाणु जनित रोग है और ये एक ऐसा रोग है जिसके लिए एंटी वायरल दवाईयां उपलब्ध है. नकी मात्रा और यथा-</p> <p align="justify"><strong>एसाईक्लोविर(aciclovir)-</strong>एक वयस्क व्यक्ति के लिए (लगभग 50 किलो के व्यक्ति के लिए)-800 मि ग्रा हर चार घटे मैं याने की 800 मिग्रां 5 बार प्रतिदन</p> <p align="justify">,<strong>फैमसिक्लवोविर(Famciclovir)-</strong>500 मिलिग्राम कम से कम दिन मैं तीन बार सात दिन के लिए</p> <p align="justify">,<strong>वेलासाईक्लोविर(valaciclovir )-</strong>1 ग्राम प्रति दिन तीन बार सात दिन के लिए</p> <p align="justify">ये दवाईयां विभिन्न् कंपनियों की अलग अलग नामों से बाजार मैं मिलती है .देखने मैं इन दवाईयों की मात्रा बहुत ज्यादा दिखाई देती है जैसा कि एसाईक्लोविर जो कि प्रतिदिन 4 से 5 ग्राम तक दी जाती है पर केवल इसी अनुपात मैं लेने पर मरीज को लाभ मिलता है.ये दवाइयां बहुत मंहगी भी आती है जैसे किसी भी व्यक्ति का उपचार एक हजार से पंद्रह सौ रुपये के बीच होता है.पर फिर भी आगे आने वाली जटिलताओं को देखते हुए ये रकम ज्यादा नहीं है,</p> <p align="justify"><font color="#0000a0"><strong>जटिलताएं</strong></font>-जैसा कि पहले ही बताया गया है कि किसी भी व्यक्ति मैं जिसमें इस रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती या बहुत कम होती है जैसे कि गुर्दा प्रत्यारोपण कराये हुए व्यक्ति,कैसंर रोगी,या parinatal varicella जैसा ऊपर बताया ग्या है तो ये संक्रमण जानलेवा हो सकता है.इसके अलावा parinatal pneumonia व varicella encephalitis(मस्तिष्क ज्वर) आदि प्राण घातक सिद्ध हो सकती है.इसलिए इसका उपचार यथाशीघ्र लेना आवश्यक होता है.पर फिर भी सबसे अधिक पाई जाने वाली complication इसके छालों के बाद होने वाले निशान(pock scar) होते है जो किसी भी व्यक्ति का चेहरा बिगाङ सकते हैं.ये 1से 10 मिमि के गोल गोल खड्डे जैसे निशान होते है जिनका आधार काला हो जाता है और चेहरे को भद्दा बना सकता है,इस पर एक बार हो जाने के बाद इनका ठीक होना बहुत ही कठिन होता है या फिर ये जीवन भर के लिए आप के सुंदर चेहरे पर गंदे से निशान छोङ देता है.</p> <p align="justify"><font color="#0000ff"><strong>भ्रांतियां</strong></font>-आज भी ये भ्रांति सामान्य जन मैं व्याप्त है कि चिकन पोक्स जैसी बीमारी माता का प्रकोप होता है और इसका इलाज होने पर माता रूठ जाति है.और इसका इलाज भले भले लोग याने अच्छे पढे लिखे लोग झाङ फूंक से करवाना पसंद करते हैं.और कोई आश्चर्य नहीं क्यों कि ये लोग झाङ फूंक से ठीक भी होचाते हैं इसका कारण है कि इस संक्रमण का प्रकोप पांच सात दिन रहता है तो आप चार पांच दिन झाङ फूंक करवायेंगे या के नहीं करवायेंगे ये ठीक होने ही वाली है.ये संक्रमण जीवन मैं मात्र एक ही बार होता है.समय पर यदि उपचार ले लिया जाये तो इससे होने वाली जटिलताएं कम हो जाती हैं या फिर बिल्कुल भी नहीं होती है.जैसे यदि समय पर उपचार ले लिया जाये तो कम से कम आप का चेहरा खराब होने से बच जाता है.</p> <p align="justify">.जैसा कि प्रथम पैराग्राफ मैं लिखा गया था हरपीज जोस्टर(herpes zoster) भी इसी विषाणु के संक्रमण से होता है.वास्तव मैं ये चिकन पोक्स का ही द्वितीयक स्वरूर होता है जो कि उन लोगों के होता है जिनको जीवन मैं कभी न कभी चिकन पोक्स हो चुका होता है .और ये विषाणु शरीर की किसी एक नस मैं जमा होता है जो कि जीवन मैं हरपीज जोस्टर के रूप मैं पुनःप्रकट होता है जिसके बारे मैं अगली पोस्ट जानेंगे.</p> <div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-40795492146876591342010-08-18T12:50:00.000+05:302010-08-18T12:50:03.122+05:30एकने व्ल्गेरिस --ऊपचार +सामान्य chaarcha<div>एक्नी के बारे कारण के बारे में सामान्य जानकारी हमने प्राप्त की, इसके बाद अब हम इसके ईलाज के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे .<br />
एक बार हम ईसके विभिन्न पहलुऔं पर नजर डाल लेते हैं ,<br />
मरीज के चेहरे पर चिकनाई यानि सीबम की अधिकता होती<br />
संक्रमण हो सकता है<br />
कीलें और सूजन हो सकती ,जो की समय निकलने के साथ चेहरे पर निशान छोङ देती है ,<br />
ईलाज मूख्यतः इन्ही बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है .<br />
एक्नी के ईलाज में प्रारम्भ में खाने और लगाने दोनों प्रकार की औषधियों का उपयोग किया जाता है.जिन्हें बाद में धीरे धीरे कम किया जाता है . <br />
खाने की औषधियां---<br />
एन्टिबायोटिक्स यथा डॉक्सीसाईक्लिन,एजिथ्रौमाईसिन,मिनोसाईक्लिन आदि .<br />
अन्य औषधियां जैसे जो कभी कभी काम आती हैं पर बहुत उपयोगी होती हैं जैसे जिंक सल्फेटो,हार्म हार्मोन्स,दर्द निवारक,स्टीरॉयड्स आदि .<br />
लगाने की औषधियां इस तरह की दवाईयों को हम तीन हिस्सों में बांट सकते ,<br />
दवाईयां जो मुख्यतया कीलों पर काम करती हैं जैसे –एडॅपलीन(एडॅफरीन,डॅरिवा,मॅडापाईन )ट्रिटिनॉइन, (रेटिनॉ),एजिलिक एसिड,<br />
दवाईयां जो मुख्यतया जीवाणु प्रतिरोधी होती हैं जैसे –बेन्जॉयल परॉक्साइड, एजिलिक एसिड, क्लिन्डामाइसिन,इरिथ्रोमाइसिन,टेट्रासाइक्लिन,इत्यादि.<br />
दवाईयां जो मुख्यतया सुजन कम करती हैं. जैसे- ग्रुप 2 की सारी दवाईयां ये दुवाईयां और ग्रुप 1 से एङॅपलीन इन दवाईयों का एक काम संक्रमण और सूजन दोनों कम करना है .<br />
कोष्ठक में दिये गये नाम इन दवाईयों के प्रचलित ट्रेड नेम हैं.<br />
ये दवाईयां यहां मात्र परिचय के लिये दी गई हैं वास्तविक उपयोग के लिए हमें डॉक्टर से ही परामर्श करना चाहिए .<br />
उपचार दो चरणों में किया जाता है .पहले चरण में फुंसियों को जल्दी से जल्दी नियन्त्रित करना जिससे कि संभावित स्कारिंग (निशान) कम से कम हों . और दूसरे बाद में कम से कम दवाईयों से इन्हें ठीक रखना,<br />
चूंकि यह समस्या कई महिनों या सालों तक भी चल सकती है तो ईलाज चालू करने से पहले हम ये समझ लें कि यह कई महीनों तक भी खिंच सकता है तभी ईसका सही लाभ होता है .अक्सर हम लोग जैसे ही थो इन दवाईयों एक्नी ङा आराम आता है उपचार बन्द कर देते हैं इससे जब फिर से फुसिंयां जब बढती है तो हमें फिर से खूब सारी दवाईयां खानी पङती है,अन्यथा ऐकाध लगाने वाली दवाई से भी उपचार सम्भव है । औषधियां<br />
क्यों कि पिम्पल्स एक सर्वसामान्य समस्या है इसलिए हमारे आस पास अनेक स्वायम्भू विशेषग्य मिल जायेंगे और ईसी लिए शायद इतनी सारी भ्रान्तियॉ प्रचलित हैं इनका निवारण भी अति आवश्यक है ।<br />
खाने में कुछ विषेश लेने की या छोङने की आवश्यकता नहीं होती आप जैसा भी ले रहें हैं वैसा पौष्टिक भोजन लेते रहें.खासकर तली हुई चीजों के बारे में विषेश पूर्वाग्रह होता है जिनके खाने या छोङने से ज्यादा फर्क नहीं पङता .<br />
बार बार मुंह धोने से फायदे की बजाय नुकसान ज्यादा होता है,<br />
चेहरे पर दवाईयों के अलावा अन्य क्रीम वगैरा लगाने से परहेज करें ,क्यों कि चिकनाइ लगाने से फुसिंया बढती है .<br />
</div><br />
<div></div><br />
<div><span class=" transl_class" id="0" title="Click to correct">शेस</span> <span class=" transl_class" id="1" title="Click to correct">आगले</span> <span class=" transl_class" id="2" title="Click to correct">अंक</span> <span class=" transl_class" id="3" title="Click to correct">में</span> -<span class=" transl_class" id="4" title="Click to correct">ईलाज</span> <span class=" transl_class" id="5" title="Click to correct">से</span> <span class=" transl_class" id="6" title="Click to correct">अधिकतम</span> <span class=" transl_class" id="7" title="Click to correct">फायदा</span> <span class=" transl_class" id="8" title="Click to correct">कैसे</span> <span class=" transl_class" id="9" title="Click to correct">हो</span><br />
<br />
</div><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-6294215604718116872010-02-27T18:28:00.001+05:302010-02-27T18:28:55.098+05:30होली खेलते समय कुछ ध्यान देने योग्य बातें….<p><a href="http://lh5.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S4kW-ty55kI/AAAAAAAAA-A/pd0aMy6HdIA/s1600-h/11682_BnHover%5B1%5D.jpg"><img title="11682_BnHover" style="border-right: 0px; border-top: 0px; display: inline; margin-left: 0px; border-left: 0px; margin-right: 0px; border-bottom: 0px" height="184" alt="11682_BnHover" src="http://lh3.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S4kW_ja7hKI/AAAAAAAAA-E/wFLZw_dOuW4/11682_BnHover_thumb.jpg?imgmax=800" width="244" align="left" border="0" /></a>  कैमिकल रंगों से होली नहीं खैलनी चाहिये …ये आपको तो पता है पर जरूरी थोङी है सामने वाले को भी पता है….यहां कुछ छोटी छोटी सामान्य सावधानियां है जिनसे हम होली के बाद अपनी त्वचा को काफी हद तक सामान्य रख पा सकते हं…</p> <ol> <li>जहां तक हो सके कैमिकल से बने रंगों का प्रयोग न करें….क्यों कि ये सामने वाले के साथ साथ आपकी त्वचा को भी नुकसान पहुंचा सकता है…. </li> <li><a href="http://lh6.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S4kXAs3qxvI/AAAAAAAAA-I/_uUd0HX5iWg/s1600-h/holi_rang%5B3%5D.jpg"><img title="holi_rang" style="border-right: 0px; border-top: 0px; display: inline; margin-left: 0px; border-left: 0px; margin-right: 0px; border-bottom: 0px" height="244" alt="holi_rang" src="http://lh6.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S4kXBSjrObI/AAAAAAAAA-M/3LsH-mwbML8/holi_rang_thumb%5B2%5D.jpg?imgmax=800" width="175" align="right" border="0" /></a>यथासंभव अपने बालों मैं तेल लगाकर रखें(<font color="#8000ff">आप छछूंदर न सही पर</font> <font color="#008000">चमेली का तेल तो लगा ही सकते है</font>) ….क्यों कि तेल लगे हुए बाल अपेक्षाकृत रंग कम पकङते हैं और बाद मैं धोने मैं आसानी रहती है…. </li> <li>यदि संभव हो सकें तो अपने चर्म रोग विशेषज्ञ से पूछकर (<font color="#800080">बिना फीस वाला</font>)कोई बेरियर क्रीम जरूर लगा लें अपने हाथों पर और चेहरे पर …जिसके रंग का रासायनिक प्रभाव यथा संभव कम किया जा सके…यदि बैरियर क्रीम उपलब्ध न हो तो सन स्क्रीन तो जरूर लगा लें …क्यों कि ये भी एक प्रकार की कोटिंग त्वचा पर करती है जिससे थोङा बहुत बचाव इससे भी किया जा सकता है … </li> <li><a href="http://lh6.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S4kXCc67CWI/AAAAAAAAA-Q/S3hCDW8LYdg/s1600-h/Hin_Holi_c273.jpg"><img title="Hin_Holi_c-27" style="border-top-width: 0px; display: inline; border-left-width: 0px; border-bottom-width: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; border-right-width: 0px" height="164" alt="Hin_Holi_c-27" src="http://lh3.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S4kXDS2cGcI/AAAAAAAAA-U/qhuDOZqNCk4/Hin_Holi_c27_thumb1.jpg?imgmax=800" width="244" align="left" border="0" /></a>चलो अब ये भी मान लें कि आप को किसी ने खूब रगङ के रंग लगाया है…..तो …होली खेलने के बाद चेहरे को साबुन के बजाय किसी  अच्छे से फैश वाश से धोयें….हो सकता है आप का रंग अच्छी तरह से साफ न हों पर फिर भी आपको रगङ के हरगिज इसे साफ नहीं करना है….क्यों कि इससे आपकी त्वचा को ज्यादा नुकसान होगा….वो रसायन जो अब तक आपकी त्वचा के ऊपर ही लगा हुआ था त्वचा मैं रगङ के साथ वो अंदर भी चला जायेगा और फिर पक्का ही रियैक्शन करेंगा….. </li> </ol> <p>ये कुछ सावधानियां है जिनका ध्यान रखकर हम अपनी त्वचा को काफी हद तक सुरक्षित रख पायेंगे….. </p> <div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-54491660288894410122010-02-06T11:44:00.000+05:302010-02-18T13:29:31.120+05:30vitiligo याने सफेद दाग एक सामान्य जानकारी<p align="justify">सफेद दाग जिसे की आयुर्वेद मै श्वेत कुष्ठ के नाम से जानते है एक ऐसी बीमारी है जिससे कोई भी व्यक्ति बचना चाहेगा..इस बीमारी मैं व्यक्ति की त्वचा पर सफेद चकते बनने प्रारंभ हो जाते है ..और कई वार यह पूरे पूरे शरीर पर फैल जाती है…..वैसे विटिलिगो नामक इस बीमारी का कुष्ठ रोग से कोई लेना देना नहीं है.जहां कुष्ठ रोग का प्रमुख लक्षण ही त्वचा मैं संवेदना खत्म होना या सूनापन होना होता है…वहीं त्वचा मैं से रंग का अनुपस्थित होना कभी कभार ही होता है बल्कि अधिकतर बार त्वचा सामान्य रंग की ही होती है……</p> <p align="justify"><font color="#400080" size="4">definition-vitiligo is an acquired idiopathic disorder characterized by circumscribed depigmented macules and patches.functional melanocytes disappear from involved skin by a mechanism that has yet not been defined. </font></p> <p align="justify">अर्थात विटिलोगो एक ऐसी व्याधी हे जिसमें शरीर पर एकदम सफेद चकते बन जाते है ये चकते त्वचा मैं मिलेनोसाईट्स जो कि त्वचा मैं रंग बनाने के लिए जिम्मेदार होते है उनकी अनुपस्थिति की वजह से होती है पर मिलेनोसाईट्स क्यों त्वचा से अनुपस्थित होती है इसके बारे मैं अलग अलग सिद्धांत जरूर हैं पर अधिकारिक रूप से नहीं कहा जा सकता है कि क्यों ऐसा होता है.</p> <p align="justify">मिलेनोसाईट्स के नष्ट होने के अनेक प्रकार के कारण खोजे गये है ….पर जिस कारण को आधार मानकर उपचार किया जाता है और जो सबस मह्तव पूर्ण कारण माना गया है वो है….autoimmune destruction of melanocytes अर्थात शरीर के प्रतिरोधक तंत्र मैं त्रुटी की वजह से मिलेनोसाईट्स का नष्ट होना.</p> <p align="justify"><font color="#8000ff" size="4">clinical features</font>-विटिलिगो मैं जो निशान बनता है …वह पूरी तरह से मिलेनोसाईट्स से रहित होता है इसलिए यह एक सुस्पष्ट सीमाओं वाला सफेद दूध(milky white or ivory white colored) जैसा सफेद निशान होता है.यह शरीर के किसी भी हिस्से मैं हो सकता है…पर अधिकतर यह त्वचा के वे भाग जिनका रंग आस पास की त्वचा से गहरा होता है वहां सबसे पहले प्रारंभ होता है….जैसे चेहरे पर ये अधिकतर आंखो के चारों ओर प्रारंभ होता है…या फिर वे स्थान जहां सबसे ज्यादा रगङ लगने की संभावना होती है या चोट लगती है अर्थात traumatic sites over body  जैसे कुहनी.घुटना,टखना..या कमर पर नाङा बांधने की जगह….</p> <p align="justify">ये निशान एक से लेकर अनेक तक कितनी भी संख्या मैं बनने के बाद धीरे धीरे आकार मैं बढते चले जाते हैं…बढने की गति इसके प्रकार पर निर्भर करती है…और यदि ध्यान नहीं दिया जाये तो कई बार ये पूरे शरीर के ऊपर फैल सकती है.</p> <p align="justify">vitiliugo को इसके होने के प्रकार के आधार पर अनेक भागों मैं बांटा गया हैं….जिसमें दो प्रमुख प्रकार माने गये हैं- <a href="http://lh3.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S3zo78ETdpI/AAAAAAAAA9I/l7o1ehr9bqU/s1600-h/vitiligo_1_010205%5B5%5D.jpg"><img title="vitiligo_1_010205" style="border-top-width: 0px; display: inline; border-left-width: 0px; border-bottom-width: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; border-right-width: 0px" height="338" alt="vitiligo_1_010205" src="http://lh4.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S3zo9AHncqI/AAAAAAAAA9M/ozBs2At5HEo/vitiligo_1_010205_thumb%5B4%5D.jpg?imgmax=800" width="295" align="left" border="0" /></a></p> <ul> <li> <div align="justify">unilateral-जो कि शरीर के मध्य यदि एक रेखा खींचें तो बीच की रेखा को पार न करे. </div> </li> <li> <div align="justify">and bilateral याने जो शरीर के दोनों तरफ हो सकता है. </div> </li> </ul> <p align="justify">एक अन्य प्रकार जिसमें विटिलिगो को तीन प्रकार मैं बांटा गया है</p> <ul> <li> <div align="justify">localized-जो शरीर के एक थोङे से हिस्सें मैं हो… </div> </li> <li> <div align="justify">generalized-याने जिसमें छोटे छोटे चकते शरीर के अधिकांश हिस्सें मैं हो….करीब 90 प्रतिशत तक विटिलिगो जो हैं इसी प्रकार का होता है. </div> </li> <li> <div align="justify">universal-जिसमें शरीर पर चकते न बनकर पूरा शरीर ही करीब करीब सफेद हो जाता ह. </div> </li> </ul> <p align="justify">इसके अलावा भी विटिलोगो को इसकी गति के आधार  पर दो भागों मैं बांटा गया है</p> <p align="justify">prograssive-जब विटिलिगो तेजी से बढ रहा होता है.</p> <p align="justify">stableजब विटिलिगो की बढत रूक गई है…</p> <p align="justify"><strong><font color="#400080" size="4">उपचार</font>----</strong>उपचार करने मैं दो तरह की औषधिया काम मैं ला जी जाती है…एक वे जो  जो प्रति रोधक तंत्र मैं फेरबजल कर के     व्याधी के बढने को रोकती है….और दूसरी वे जो गये हुए रंग को वापिस बनाती है …..</p> <ul> <li> <div align="justify"><strong>narrow band uvb therapy</strong>- <b>Ultraviolet</b> (<b>UV</b>) light विध्युत चुंबकीय किरणें है जिनका तरंग दैर्ध्य प्रकाश की  दिखने वाली किरणों से कम और एक्स रे से ज्यादा होता है.</div> <p align="justify"><strong><u><strong><u><a href="http://lh3.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S3zo9w4D8ZI/AAAAAAAAA9Q/i0Lkn-cet7g/s1600-h/pp115.gif"><img title="pp1" style="border-top-width: 0px; display: inline; border-left-width: 0px; border-bottom-width: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; border-right-width: 0px" height="167" alt="pp1" src="http://lh6.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S3zo-ofHGrI/AAAAAAAAA9U/FN-x7MOIJcE/pp1_thumb13.gif?imgmax=800" width="284" align="left" border="0" /></a></u></strong></u></strong></p> <div align="justify">चूं कि इनका तरंग दैर्ध्य प्रपकाश के स्पैक्ट्रम मैं दिखने वाली violet याने बैंगनी किरणों के तरंग दैर्ध्य से छोटा होता है इसलिए इनका नाम <b>Ultraviolet</b> (<b>UV</b>)  किरणें है.UV-B(280-315nm waveband )की प्रकाश किरणें होती है.<strong>narrow band uvb therapy</strong> मैं एक विशेष प्रकार कै प्रकाश स्त्रोत से 310 nm की किरणें निकलती है….इसका विटिलिगो के निशान पर बहुत ही अच्छा प्रभाव होता है और रंग वापिस आने लगता है.सामान्यतया प्रारंभ मैं 250 मिलीजूल प्रति सैंमी की डोज मैं ये दी जाती है इसके बाद हर बार इससे करीब 10 –20 प्रतिशत तक  इसे बढाया जाता है.ये उपचार सपताह मैं 2 से तीन बार तक किया जाता है.   क्यों कि इस उपचार मैं मुंह से किसी प्रकार की औषधी बिना दिये भी किया जा सकता है इसलिए इसे 6 साल के बच्चे से लेकर बङों तक विटिलिगो के उपचार मैं इस प्रथम पंक्ति का उपचार(drug of choice) माना गया है.ये उपचार हालांकि थोङा महंगा अवश्य है…क्यों कि इस तरह के विशेष प्रकाश स्त्रोत की कीमत हजारों से लाखों रूपये तक होती है.<a href="http://lh5.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S3zpAdKvykI/AAAAAAAAA9Y/EruqMqdv3Sc/s1600-h/Vitiligo_1_030314%5B28%5D.jpg"><img title="Vitiligo_1_030314" style="border-top-width: 0px; display: inline; border-left-width: 0px; border-bottom-width: 0px; margin: 0px; border-right-width: 0px" height="215" alt="Vitiligo_1_030314" src="http://lh4.ggpht.com/_m7ZRI0-uxwY/S3zpBrPBnzI/AAAAAAAAA9c/hYW6PIqQKU4/Vitiligo_1_030314_thumb%5B27%5D.jpg?imgmax=800" width="286" align="left" border="0" /></a></div> </li> <li> <div align="justify"><strong>PUVA therapy</strong>-PUVA याने psoralene +UVA therapy.इस उपचार मैं एक विशेष प्रकार की दवाई जिसे की psoralene कहते हैं वह दी जाती है…..ये औषधी खाने और लगाने दोनों ही प्रकार से दी जा सकती है    उसके कुछ समय बाद UVA दिखाई जाती है …..मिलेनोसाईट्स के रंग बनाने मैं uva ये psoralenes की उपस्थिति एक उत्प्रेरक का काम करती है.और रंग बनना प्रारंभ हो जाता है. जैसा कि पास मैं बने हुए चित्र मैं दिखाया  गया है उपचार के दौरान जब वापिस रंग बनना प्रारंभ होता हैं तो वो हमेशा यह बालों की जङों से ही निकलता है. </div> </li> </ul> <p>स्टीराईड्स-प्रेडिनिसोलोन,बीटामेथासोन,मिथाईल प्रेडिनिसोलोन आदि अनेक औषधियां जो कि स्टीराईड ग्रुप मैं आती है…ये विटिलोगो मैं बङी ही उपयोगी है.पर इनके साईड इफैक्ट्स ज्यादा होने की वजह से इनका प्रयोग किसी विशेषज्ञ द्वारा ही किया जाये तो <font color="#ffff00">ठीक</font> रहता है.</p> <p>स्टीराईड्स कई प्रकार से दी जा सकती है जैसे प्रतिदिन,या मिनिपल्स थैरेपी जैसे सप्ताह मैं लगातार दो दिन या फिर महिने मैं दो या तीन दिन तक जिसे पल्स थैरेपी कहते हैं.मिनि पल्स या पल्स थैरेपी मैं सामान्य से चार से दस गुणा तक औषधी को दो या तीन दिन मैं दे दिया जाता है और वो भी चिकत्सक की देख रेख मैं ….कई सारे अध्ययनों से ये सिद्ध हुआ है कि प्रति दिन स्टीरायड देने की बजाय पल्स या मिनिपल्स थैरेपी से स्टीरायड देने से साईड इफैक्टस काफी हद तक कम हो जाते है.पर उनसे होने वाले लाभ मैं कोई कमी नहीं आती है.</p> <p>स्टीरायड औषधियां क्रीम के रूप मैं लगाने के भी काम मैं ली जा सकती है.इसके अतिरिक्त भी टैक्रोलिमस,लिवैमिसौल आदि अनेक औषधियां हैं जो इसके उपचार मैं काम मैं ली जाती है .</p> <p>शल्य चिकित्सकीय उपचार-जब विटिलिगो कई दिन उपचार करने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा होतो ये तरीके काफी कारगर सिद्ध हो सकते हैं.शल्य चिकित्सकीय उपचारों मैं स्प्लिट थिकनैस स्किन ग्राफ्टिंग.पंच ग्राफ्टिंग,आदि अनेक तरीके हैं जिनका यहां सिर्फ नाम जानना ही पर्याप्त हैं….या फिर कभी मौका लगा तो इसके बारे मैं जानकारी देंगे.</p> <p><font color="#400080" size="4">उपसंहार</font>-कुल मिलाकर यह एक ठीक होने लायक बीमारी है…लाईलाज नहीं है…और यदि सही समय पर उपचार प्रारंभ किया जाये तो इसमें अच्छे परिणाम मिलते हैं….पर ये बात हमेशा याद रखें कि उपचार के बाद ये वापिस कभी भी हो सकती है…और कई बार नहीं भी होती है…पर ये निश्चत है कि इसका उपचार संभव है…..</p> <div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com44tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-89481071138252389862008-10-02T10:34:00.001+05:302010-08-18T12:47:00.470+05:30सोरायसिस(psoriasis)<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">विश्व की कुल जनसंख्या का करीब 1 प्रतिशत लोग सोरायसिस से पीङित हैं,इस लिहाज से देखा जाये तो हमारे देश की कुल जनसंख्या का लगभग 1 प्रतिशत याने 1 करोङ लोगों को सोरायसिस है.</span><span></span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">सोरायसिस के बारे में जानना ही इसका आधा उपचार है यदि आप इस रोग के बारे में जानते हैं तो आधा उपचार तो आप स्वयं ही कर सकते ,</p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">कि सामान्य जानकारी के लिए इसकी गहराई में जाना आवश्यक नहीं है यहां हम केवल उन चीजों के बारे में बात करते हैंजो एक सामान्य रोगी के लिए जानना आवश्यक है्.</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><b><u><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">लक्षण</span></u></b><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">-</span><span>most characteristically lesions are chronic sharply demarcated dull red scaly plaques particularly on the extensor prominence and scalp.</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><img src="http://static.flickr.com/3082/2906702964_301d9ea35b.jpg" border="0" alt="2906702964_301d9ea35b" /> <img src="http://static.flickr.com/3159/2905865403_8c22f65734.jpg" border="0" alt="2905865403_8c22f65734" /></span><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">अर्थात रक्तिम ,छिलकेदार ,निशान जो के आस पास की त्वचा पर अलग से दिखाइ देते हैं,ये सिर अलावा</span><span>extensor surface</span><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"> जैसे कोहनी ,और घुटने की तरफ पूरे पाव में और कमर पर अधिकतर मिलते हैं</span><span>.</span><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">इनका आकार 2-4 मिमि से लेकर कुछ सेमी तक हो सकता है ,सिर में ये रूसी के गंभीरतम रूप की तरह दिखाइ देते हैं,</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">सोरायसिस यदि एक बार हो गया तो बह फिर जीवन भर चल सकता है .विज्ञान के इतने विस्तार के बाद भी अभी तक कोइ दवाई ऐसी नहीं बनी जो इसे पूर्णतया ठीक कर सके.पूर्णतया लगभग 10-30 प्रतिशत रोगी कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं.पर इसमें उपचार की भूमिका नगण्य है ,अर्थात अपने आप ठीक होते हैं क्यों ठीक होते है ,अभी तक कारण अज्ञात है.</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">गंभीरता के अनुसार यह शरीर पर कई बार सिर्फ कुछेक चकतों के रूप में दिखाई देता है वे भी कुछ समय रहकर अपने आप ठीक हो जाते है ,पर बहुत बार यह शरीर के काफी बङे हिस्से को ढांप लेता है, सोरायसिस की गंभीरता मौसमी परिवर्तनों सेभी प्रभावित होती है ,जैसे सर्दियों मै सोरायसिस बढ जाता है</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><b><u><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"><font style="BACKGROUND-COLOR: rgb(204,153,255)">प्रकार</font></span></u></b><span>–</span><b><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">क्रोनिक प्लाक सोरायसिस</span></b><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">-यह सोरायसिस का मुख्य प्रकार है और उपर लिखित लक्षण क्रोनिक प्लाक सोरायसिस के ही हैं,</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">इसके अलावा इसके अन्य कई प्रकार हैं जो कि कम ही मरीजों मैं पाये जाते हैं जैसे --</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span><strong>guttate psoriasis-</strong>4-5 मिमि के गोल निशान बनते है ,अक्सर बच्चों मैं गले के संक्रमण के बाद होते हैं और पूरे शरीर पर गोल गोल निशान बनते है जो कि अधिकतर ठीक हो जाते हैं पर कई बार ये <b><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">क्रोनिक प्लाक सोरायसिस</span></b> मैं परिवर्तित हो सकते हैं</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span><strong><u>,erythrodermic psorisis</u></strong>-जब सोरायसिस शरीर के 80 प्रतिशत हिस्से तक फैल जाता है तो इसे कहते हैं,यह एक प्रकार का गंभीरतम प्रकार है जिसका तुरंत किसी विशेषज्ञ से उपचार की आवश्यता होती है अन्यथा जीवन के लिए खतरा हो सकता है.</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span><strong>pustular psoriasis-</strong>यह भी गंभीर प्रकार का सोरायसिस है जिसमें पूरे शरीर पर छाले बन जाते हैं जिनमें pus भरी होती है.</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span>कई बार यह मात्र हथेली और पगतली पर ही होता है <strong>(palmo plantar psoriasis)</strong> और जब यह सिर्फ सर मैं होता है <strong>(scalp psoriasis ).</strong></span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><b><u><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">कैसे होता है सोरायसिस</span></u></b><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">-हमारी त्वचा जिस प्रकार से हमारे बाल बढते है ,जिस तरह नाखून बढते हैं वैसे ही निरंतर बनती रहती है और उतरती रहती है। और हमारे शरीर की संपूर्ण त्वचा एक महिने में पूरी बदल जाती है.पर जहां सोरायसिस होता है वहां यह त्वचा केवल चार दिन में बदल जाती है.<img src="http://static.flickr.com/3259/2906711824_497fac9a0d.jpg" border="0" alt="2906711824_497fac9a0d" />क्यों कि यह त्वचा पूरी तरह से</span><span>mature </span><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">नहीं हो पाती है इसलिए इसकी पकङ कमजार होती है ओर यह भुरभुरी सी त्वचा चांदी के छिलकों जैसी दिखती है और यदि ऊपर से इसे ग्लाम स्लाइड से रगङा जाये तो धीरे धीरे परत दर परत उतरती चली जाती है और फिर हल्की हल्की रक्त की वूंदे दिखाइ देने लगती है यह एक तरह का टैस्ट है जिसे </span><span>auspitz sign </span><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">कहते हैं जो बङा साधारण सा तरीका है जिससे सोरायसिस का निदान किया जा सकता है ,</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"><strong>उपचार</strong>-साधारणतया सोरायसिस सामान्य मॉश्चराइजर्स या इमॉलिएंट्स जैसे वैसलीन ,ग्लिसरीन.या अन्य क्रीम्स से भी नियंत्रत हो सकता है , सिर पर जब ये होता है तो विशेष प्रकार के टार शैंपू काम मैं लिया जाता हैं,सिर के लिए सैलिसाइलिक एसिड लोशन और शरीर पर हो तो सैलिसाइलिक एसिड क्रीम विशेष उपयोगी होती है.इसके अलावा कोलटार(क्रीम,लोशन,शैम्पू) diatharnol(chryosorabin bark extract ) आदि दवाइयां विशेष उपयोगी होती हैं</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"><font color="#0000ff">फोटोथैरेपी</font>-जिसमें सूर्य की किरणों मैं पायी जाने वाली UV-A और U V-B किरणों से से उपचार किया जाता है.PUVA थैरेपी जिसमें psoralenes +UVA थैरेपी सामान्य रूप से काम लिया जाने वाला उपचार है .</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"> जाता हैं.इसके अलावा <font color="#0000ff">कैल्सिट्रायोल और कैल्सिपौट्रियोल</font> नामक औषधियों का भी बहुत अच्छा प्रभाव होता है पर ये इतनी महंगी हैं कि सामान्य आदमी की पहुंच से बाहर होती हैं</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">इसके अलावा जब बीमारी ज्यादा गंभीर हो तब <font color="#0000ff">मीथोट्रीक्सैट</font> और <font color="#0000ff">साईक्लोस्पोरिन </font>नामक दवाईयां भी काम ली जाती हैं पर ये सब किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख मैं ही लेनी चाहिये,</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">उपसंहार-कुल मिलाकर सोराईसिस एक ऐसी बीमारी है जो एक बार यदि हो गई तो जीवन भर चलने वाली है यानि once a psoriasis patient is always a psoriasis patient. पर इतना होने के बाद भी इसकी कुछ खूबियां है भी हैं-</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"><font color="#cc99ff">यह छूत की बीमारी नहीं है.</font></span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"><font color="#0000ff">परिवार मैं अक्सर अकेले व्यक्ति को होती है बच्चों को नहीं होती है और यदि होती भी है तो सामान्य जनसंख्या के अनुपात मैं मात्र कुछ ही ज्यादा प्रतिशत मैं ऐसा होता है तो मान सकते हैं कि आनुवांशिक रूप से कभी कभार ही होती है.</font></span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"><font color="#0000ff">अक्सर सोरायसिस के रोगी को खुजली बीमारी की तुलना मैं बहुत कम चलती है ,इससे शरीर पर निशान होने के बाद भी मरीज आराम से जी सकता है</font></span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"><font color="#0000ff">यदि व्यक्ति किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की देख रेख मैं यान महिने दो महिने मैं एक बार किसी विशेषज्ञ से मिलता रहे तो ज्यादा परेशान नहीं होता है.</font></span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"><font color="#0000ff">विशेषज्ञ चिकित्सक के अलावा उपचार लेना भारी पङ सकता है,क्यों कि अक्सर लोग लंबी बीमारी होने की वजह से नीम हकीमों के,और गारंटी से ठीक कर देने वालों के चक्कर मैं पङ जाते हैं, और सामान्य रूप से ये देखा गया है कि erythrodermic psorisis, या <span>pustular psoriasis गंभीरतम प्रकार है सोरायसिस के वे इस देशी या गारंटी वाले इलाज की वजह से ही होते है क्यों कि इस प्रकार के उपचार मैं ज्यादा तर स्टीरॉइड्स का उपयोग किया जा सकता है जिनसे अधिकतर चमङी की बीमारियों मैं थोङा बहुत फायदा जरूर होता है पर सोरायसिस मैं ये विष का काम करती है,और थोङी सी बीमारी भी पूरे शरीर मैं फैल जाती है.</span></font></span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"><span>परहेज नाम पर मात्र मदिरा और धूम्रपान का परहेज है क्यों कि ये दोनों ही सीधे सीधे इस व्याधि को बढाते है.</span></span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"><span>कुल मिलाकर यदि हमें इस व्याधि के बारे मैं यदि हमें सामान्य जानकारी हो तो रोगी बङे <span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI">आराम से सामान्य जीवन जी सकता है और जीते हैं</span></p><br />
<p style="TEXT-ALIGN: justify" class="MsoNormal"></span></span><span style="FONT-FAMILY: Mangal" lang="HI"><span></span></span> </p><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com20tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-42453930611223441182007-12-20T13:55:00.001+05:302010-08-18T12:47:44.031+05:30जाके पैर न फटी बिवाई -----वो क्या जाने पीर पराई.फटी एङियों के बारे में जिस भी कवि ने ये पंक्तियां लिखी हैं सत्य है, क्यों कि फटी बिवाईयों का दर्द इतना ज्यादा होता है कि जब मेरी मां इनके उपचार के लिए पिघला मोम डालती थी चिरी हुई एङियों में तो वो जलन भी कम लगती थी, सर्दी के दिनों में एङी फटना एक सर्व सामानतय समस्या है.यदि इसका कारण और निवारण के बारे में थोङी जानकारी हो तो हम बङे आराम से इस समस्या पर पार पा सकते हैं सर्दी के मौसम में हमारी त्वचा की नमी और चिकनाई कम हो जाती हो और विषेशकर पांव की त्वचा, तो क्यों कि निरन्तर जमीन के संपर्क में रहने से और भी सूखनें लगती है और फटनें लगती है और फटी हुई त्वचा से जब मिट्टी आदि अंदर जाती है तो संक्रमण हो जाता है और दर्द होनं लगता है और उसी दर्द की अभिव्यक्ती ऊपर की गई हैकि जा के पैर न फटी बिव......... उपचार---- बीमारी आपके समझ आ गई तो उपचार भी उतना ही आसान है.चिकनाई या के नमी की कमी से एङियां फटी तो चिकनाई अर्थात moisturizers का उपयोग इसका उपचार है, इसलिए पैट्रोलियम जैली,खोपरे का तेल,कोल्ड क्रीम इत्यादि अनेकानेक चीजें इसके काम ली जातीहै.थोङी बहुत समस्या हो तो इन सब चीजों से बङे आराम से काम चल जाता है पर चीरे ज्यादा हों तो कुछ विशष उपचार करना चाहिए.सबसे पहले रोज रात में सोते समय नमक के पानी से पांव धोएं (एक लीटर पानी में एक चम्मच नमक डालकर पानी को गुनगुना कीजिए)धोना क्या पानी के अंदर पांव को पांच मिनिट तक रखना है अब जो चीरे हैं उनमें gentian violet, नामक एक दवा जो कि चार पांच रूपये में किसि भी दवाई की दुकान पर मिल जाती है.चूंकि यह द्रव पदार्थ है इसलिए चीरों के अन्दर तक जाकर संक्रमण को बङी ही सफाई से खत्म कर देता है.जिससे चीरे तुरन्त ही साफ होने लगते हैं. इसके बाद salicylic acid युक्त क्रीम जो कि बाजार में विभिन्न कंपनियों की dipsalic,trivate mf ,betnovate -s आदि अनेकानेक नामों से मिलती है ,फटी एङियों में बहुत अच्छा काम करती है यह पाँव की नमी को बनाए रखने के साथ साथ रूखी त्वचा को भी साफ करती है जिसत फटी एङियां नरम होती हैं और साफ होने लगती हैं.अब एक बार ये सब ठीक होने पर साधारण पैट्रोलियम जैली से भी एङियां साफ रह सकती हैं और जरूरत पङने पर वापिस का , सेलिसाइलिक एसिड युक्त क्रीम का प्रयोग किया जा सकता है. इस प्रकार इन साधारण उपायों से हम इस दर्द भरी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं<div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-63086073911658859602007-12-19T16:59:00.002+05:302010-02-09T22:45:02.174+05:30पर्नियोसिस ---सर्दियों में अंगुलियों का सूजनापूरा उत्तर भारत कङाके की ठंह की चपेट में आया हुआ है,इन दिनों में हाथ पांव की अंगुलियों और कई बार नाक और कान में सूजन आ जाती है और लाल होकर दर्द करने के साथ साथ तैज खुजली चलती है.लगते हैं,जिसे तकनीकी भाषा में perniosis कहते हैं.<br />कारण और लक्षण-क्यों कि उपरोक्त वर्णित अंग यथा हाथ पांव की अंगुलियां नाक का अंतिम सिरा,और कान का विशेषकर ऊपरी किनारा रक्तप्रवाह के हिसाब से अंतिम छोर होते हैं जहां रक्त का प्रवाह वातावरण में बदलाव की वजह से काफी प्रभावित हो सकता है,<br />वातावरण के तापमान में कमी की वजह से रक्तवाहिकाएं सिकुङती हैं और चूंकि हाथ पांव और मुंह ढके हुए नहीं होते तो ये बहुत जल्दी इस सबसे प्रभावित होते हैं,और प्राणवायु अर्थात ऑक्सीजन की कमी से अंगुलियों में और नाक कान मैं तेज दर्द खुजली और सूजन और ललाई जाती है.और यह सब इतना असहनीय हो जाता है कि कइ बार बुरी तरह से रोता हुआ पहुंचता है.ज्यादा दिन यदि उपचार नहीं किया गया तो फिर घाव बनने लगते हैं.और संक्रमण भी हो सकता है,<br />उपचार व सावधानियां- सबसे बङा उपचार तो बचाव ही है.शरीर को तेज सर्दी के समय सूती या ऊनी जुराब और मफलर से ढका हुआ रखा जाये,गृहिणियां घर का काम करते समय गुनगुना पानी काम मे लें.यदि फिर भी हो जाये तो शाम को सोते समय एक लीटर पानी में एक चम्मच नमक डालकर गुनगुना कर लें और पांव को पांच मिनिट के लिए रखे और तौलिये से पोछकर फिर गुनगुने तेल की मालिश कर जुराब पहन लें,<br />• कुछ औषधियां इसमे बहुत कारगर होती है जैसे nifedipine जो कि प्रमुखतःउच्च रक्तचाप की औषधी है और रक्तवाहिकाओं में हल्के फैलाव के द्वारा काम करती है perniosisमें बहुत कारगर है.<br />• Pentoxiphylline-यह उतकों में लाल रक्त कणिकाओं को प्रवेश करने में मदद करती है, और बहुत ही प्रभावी है. <br />ध्यान रहे कि औषधियां सिर्फ योग्य चिकित्सकर की देख रेख में ही ली जायें<div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-16604900673590763042007-11-04T17:34:00.001+05:302007-11-04T17:34:48.709+05:30Check out my Slide Show!<div><embed src="http://widget-b9.slide.com/widgets/slideticker.swf" type="application/x-shockwave-flash" quality="high" scale="noscale" salign="l" wmode="transparent" flashvars="cy=bb&il=1&channel=1152921504606917049&site=widget-b9.slide.com" style="width:400px;height:320px" name="flashticker" align="middle"></embed><div style="width:400px;text-align:left;"><a href="http://www.slide.com/pivot?cy=bb&ad=0&id=1152921504606917049&map=1" target="_blank"><img src="http://widget-b9.slide.com/p1/1152921504606917049/bb_t024_v000_a000_f00/images/xslide1.gif" border="0" ismap="ismap" /></a> <a href="http://www.slide.com/pivot?cy=bb&ad=0&id=1152921504606917049&map=2" target="_blank"><img src="http://widget-b9.slide.com/p2/1152921504606917049/bb_t024_v000_a000_f00/images/xslide2.gif" border="0" ismap="ismap" /></a></div></div><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-12094329958589714492007-10-31T11:17:00.002+05:302010-02-09T12:17:20.373+05:30जूँ<p> </p> <p>जूँएं एक 3-4 mm का छोटा सा कीट है जो तीन प्रकार की होती है</p> <ol> <li><strong>pediculosis humanus capitis</strong> -इसका जीवन काल करीब 40 दिनों का होता है,और अपने जीवन काल में ये 400 के आस पास अंडे देती है,याने प्रतिदिन 7-10 .ये अंडे जिन्हें हम <strong>लीख</strong> के नाम से जानते है.ये लीख अब एक चिपकाने वाले पदार्थ से बाल से चिपक जाती है,<strong>अंडा अब 8 दिन में पककर अगले 10 दिन में पूरी जूँ बन</strong> जाती है और उसके बाद ये जो धमाचौकङी करती है तो हम सब कूदने लगते है <li><strong>pediculosis humanus humanus</strong>--यह शरीर पर पाई जाने वाली जूँ है ,इसका अंडा मानव शरीर पर न रहकर कपङे के रेशों के साथ चिपका रहता है.ऊपर से देखने पर यह बालों की जङों में घुसी हुई दिखती है.यह भी जबरदस्त खुजली का कारण है.चूंकि यह <strong>कपङों से जुङी रहती</strong> है इसलिये जो लोग एक दूसरे के कपङे पहन लेते हैं उनमें ये ज्यादा होती है. <li><strong>pthiris pubis</strong> -- मुख्यतया पेडू के नीचे वाले हिस्से में ये होती है,(pubic area)इसके अतिरिक्त ये ,काख ,आंख कीभौहों ,पलकों आदि को भी प्रभावित कर सकता है,</li></ol> <p>जूँ किसी भी प्रकार की हो इसका मुख्य लक्षण खुजली चलना है ,और कई बार खुजली इतनी ज्यादा होती है कि खुजली करने से घाव हो जाते हैं.12-13 साल से ऊपर के बच्चे और खासकर लङकियां जिनमें बार बार सिर में फोङे फुंसियां होते हैंउनमें अधिकतर में जूँएं ही प्रमुख कारण होती हैं.परिवार में एक व्यक्ति के जूँ होने पर सब लोगों के होने की आशंका रहती है इसलिए जल्दी से जल्दी इनका उपचार करना चाहिए.</p> <p><strong>उपचार---</strong> उपचार में पहले तो यदि किसी प्रकार के फोङे फुंसी हो रहें हैं तो पहले एंटीबायॉटिक द्वारा उसका उपचार किया जाता है,उसके बाद ही जूँओं की कोई दवाई लगानी चाहिए.जूँऔं के उपचार के लिए gamma banzene hexachloride नामक औषधी जो कि दवाई की दुकान पर ascabiol,scabimide,GBHC,आदि नामों से मिलती हैं इसके अलावा permethrine 1 % जो की<strong> <u>perlice, permite</u></strong>,permaridआदि नामों से मिलती है.इनमें से की यदि इनमें से नीचे रेखांकित औषधियां विश्व के हर देश जैसे अमेरिका ,इंग्लैंड हो या हिंदुस्तान सभी जगह इसी नाम से बिकती है.</p> <p>दवाई को जो की क्रीम या लोशन के रूप में होती है उसे हाथ में लेकर सिर में या शरीर पर हैं तो प्रभावित स्थान पर दवाई लगाकर करीब 2 घंटे तक रखें.हो सके तो सिर में कपङा बांध लें.2 घंटे बाद सिर को किसी साधारण शैंपू से अच्छी तरह से धो लें और कंघी कर लें सारी जूंएं कंघी के साथ लगकर बाहर निकल जाएँगी एक साथ.अब चूंकी दवाई लगने से मात्र जीवित जूँएं ही साफ होती है सप्ताह भर में लीखं जूँएं बन जाती हैं तो सप्ताह भर बाद एक बार फिर से यह प्रक्रिया दोहरानी चाहिये.</p> <p>सावधानियां--</p> <ol> <li>परिवार में जितने लोगों को जूँएं हैं सब का उपचार एक साथ हो.</li> <li>कपङे बिस्तर आदि धूप में लगाएं या गर्म पानी में धोँएं</li> <li>गर्भवती महिला या एक साल के छोटे बच्चे में gamma banzene hexachloride काम में न लें</li> <li>ये औषधियां सुरतक्षित तो हैं पर विषैली भी हैं इसलिए आंखों से और मुंह से बचाव करके ही लगाई जाएं</li> <li> और ठीक हो जायें तो चिकित्सक को धन्यवाद दिया जाये.</li></ol> <p>जूँ --शायद ये आज तक की किसी भी पोस्ट का सबसे छोटा शीर्षक होगा ,पर इससे बङा हो भी नहीं सकता था, </p><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-70331997770049950992007-10-26T13:31:00.003+05:302010-09-11T12:58:53.802+05:30डैंड्रफ या रूसी<p> यह एक सर्व सामान्य समस्या है जिसमें हमारे बालों में छोटे छोटे सफेद सफेद छिलके बालों में हो जाते है थोङे तो सामान्यतया हर किसी के होते हैं पर जब ये बढ जाते है तो बङी समस्या हो जाती हैं,तब ये बालों के साथ साथ सिर की त्वचा को भी प्रभावित करते हैं तो वहां तेज खुजली के साथ हल्की सूजन आ जाती है.इसके साथ ही यह रूसी चेहरे पर जैसे भौहें ,पलकें ,ठुड्डी के ऊपर.कान के पीछे,नथुनों के बगल में जमा होकर seborrhic dermstitis का रूप ले लेती है.तब दूरदर्शन पर आने वाला वह विज्ञापन स्मरण करें जिसमें नायक नायिका के सामने खङा बार बार सर खुजलाता है ,यानि असहनीय खुजली होती है.</p><p><strong><u>कारण----</u></strong> रूसी का प्रमुख कारण pityrosporum ovale/mellasezia furfur नामक कवक जो हमारे शरीर पर सामान्यतया उपस्थित होता है ,है.सामान्य तया यह किसी तरह की कोई बीमारी पैदा नहीं करता पर जब यह बढ जाता है तब ये सारी समस्याएं प्रारंभ होती हैं.</p><p><strong><u>निवारण </u></strong> ----उपचार दो चीजों को ध्यान में रखकर किया जाता है1-रूसी का उपचार2-इसके साथ होने वाली seborrhic dermstitis का उपचार.</p><p>रूसी के उपचार के लिए कवक रोधी (antifungal)शैंपू बहुत उपयोगी होते हैं,जिनमें selenium sulphide,kotoconazole,ZPTO,miconazole आदि औषधियों युक्त कई सारे शैंपू बाजार मेंNIZRAL,SCALP,CONADERM,ARCOLAN,SELSUN आदि नामों से मिलते हैं.इनको नहाने के पांच मिनिट पहले बाल गीले कर लगायें और पांच मिनिट बाद बाल धोलें.चाहें तो इसके बाद कंडीशनर का उपयोग भी किया जा सकता है.तुरंत बाल धोने पर वांछित असर नहीं होता है.यह सब आप प्रारंभ के 5-7 दिन प्रतिदिन और उसके बाद सप्ताह में दो दिन करें जब तक की यह नियंत्रण में नहीं आ जाता है,चूंकी कारण हमारे शरीर पर ही उपस्थित है तो ये कल्पना की किसी भी उपचार से यह हमेशा के लिए समाप्त हो जायेगी गलत है इसलिए ये भी समझ लें कि जब यह समस्या होती है तो मात्र उपरोक्त उपचार करने से बङे आराम से ये सब नियंत्रित किया जा सकता है.और जब यह ठीक रहे तो फिर सामान्य शैंपू काम लिया जा सकता है,</p><p>DERMATITIS के उपचार के लिए शुरू के दस पांच दिन कोई हल्का स्टीरॉयड लोशन जैसे diprovate,desowen,लगाया जा सकता है.पर इससे ज्यादा न लगायें.</p><p>ये ध्यान रहे कि यह सब आपकी सामान्य जानकारी के लिये है यदि कुछ पूछना है तो आप मुझे मेल कर सकते हैं.</p><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com16tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-59267481496327181252007-10-22T10:53:00.001+05:302007-10-22T10:53:08.301+05:30सर्दी के मौसम में त्वचा की सामान्य देखभाल<p>सर्दी का मौसम प्रारम्भ हो रहा है,कुछ विशेष प्रकार की समस्याएं इस मौसम में होती है.यदि पहले से ही कुछ सावधानी बरती जाए तो हमारी सर्दी भी सुहानी हो सकती है.प्रमुख रूप से निम्नांकित समस्याएं त्वचा में सर्दी के साथ प्रारम्भ होती है</p> <ul> <li>एङी फटना <li>त्वचा का सूखना <li>सूर्य के प्रकाश से एलर्जी(photodermatitis) <li>रूसी(dendruff)</li></ul> <p>इनमें से हम एक एक कर इन समस्याओं के बारे में बात करेंगे.एङी फटने के बारे में हम पिछली पोस्ट में बात कर चुके हैं आशा है कुछ लोगों को इससे अवश्य ही लाभ होगा.आज हम सूखी तव्चा देगे xerosis के बारे में जानेंगे.</p> <p>सितंबर के अंत से अक्टूबर के प्रारंभ तक कभी भी सर्दी का मौसम प्रारंभ हो सकता है,और जैसे ही वातावरण में हल्की सी भी ठंडक आने लगती हैत्वचा की चिकनाइ या नमी कम होने लगती है संभवतया मौसम के रूखे पन से ये संभव है,एक त्वचा विग्यानी होने के नाते में ये जानता हूं के सर्दी के प्रथम सप्ताह में ही किसी भी चर्म रोग चिकित्सक के पास पहुंचने वाले मरीज त्वचा के रूखे पन से परेशान होते हैं.इसके कारण फटी फटी सी लगती है,लाल हो जाती है, और जलन होने लगती है.कई बार खूजली करते करते मरीज बेहाल हो जाता है और इससे संक्रमण हौ फोङे फुसिं भी बन सकते हैं.छोटे बालकों में और खासकर जिनके ATOPY अर्थात ALLERGY की समस्या रहती है उनमें तो ये बहुत ही गंभीर रूप से होती है.</p> <p>उपचार--सामान्यतया हम इसे खुजली की समस्या मान लेते हैं और अधिकतर फैमिली फिजिशियन भी इसे इस रूप में ही देखते हैं,और उपचार करनें का प्रयास करते हैं.त्वचा के रूखे पन की समस्या साधारण MOISTURISERS यथा PETROLRUM JELLY,GLYCERIEN, आदि चीजों से बङी आसानी से ठीक हो सकती हैं.कुछ सावधानियां जो लगाने के समय ध्यान रखनी चाहिए जैसे नहाने के बाद शरीर को तौलिये से ज्यादा न रगङें बल्कि हल्के हाथ से pet dry करें,जिससे कुछ नमी त्वचा में बाकी रहे.पैट्रोलियम जैली यथा वैसलीन जैसे पदार्थ त्वचा पर एक परत बना देते हैं जिससे नमी और चिकनाई शरीर पर बनी रहती है.GLYCERIENजैसे पदार्थ hygroscopic होते हैं जो त्वचा में उपलब्ध पानी के साथ जुङकर पानी को अधिकाधिक समय तक तव्चा में बनाए रखते हैं.</p> <p>चेहरे पर लगाते समय सावधानी रखें कि चिकनाइ वाली चाज न लगाकर प्रकृति वाली 15 से 25 वर्श की उम्र में क्यों कि मुंहांसे होने का भी डर होता है इसलिए कम चिकनाई वाली चीज जैसे कोल्ड क्रीम का उपयोग करना चाहिए.और फिर भी यदि लगे की थोङी बहुत फुंसियां जैसी निकल रही है तो किसी तव्चा विषेशज्ञ से बात करनी चाहिए,</p> <p>ध्यान रहे की यहां मैं जो भी बता रहा हुं वे सब सामान्य उपाय हैं जिनसे हम लाभ उठा सकते हैं यदि कुझ ज्यादा ही समस्या है तो विशेषज्ञ से निश्चित ही मिलें,कोई भी मॉश्चराइजर काम लें पर ध्यान रखें कि जहां ठीक ठाक ठण्ड पङती है वहां दो तीन महीने कम से कम लगाना पङता है इसलिये ज्यादा महंगा नहीं हो,ज्यादा सुगंध वाला नहीं हो अन्यथा एलर्जि शुरु हो जाती है,और नहाने के तुरंत बाद ईसे लगावें क्यों कि तब त्वचा में उपस्थित नमी ही हमें लंबे समय तक ईस समस्या से बचाती है. आने वाली कङियों में हम उपर लिशी अन्य समस्याओं के बारे में बात करें यदो इसके बारे में कुछ और जानकारी करनी है तो आप मुझ मेव कर सकते हैं.</p><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-41982494225684088012007-10-11T07:26:00.000+05:302007-10-11T07:28:25.304+05:30जाके पैर न फटी बिवाई -----वो क्या जाने पीर पराई.फटी एङियों के बारे में जिस भी कवि ने ये पंक्तियां लिखी हैं सत्य है, क्यों कि फटी बिवाईयों का दर्द इतना ज्यादा होता है कि जब मेरी मां इनके उपचार के लिए पिघला मोम डालती थी चिरी हुई एङियों में तो वो जलन भी कम लगती थी,<br />सर्दी के दिनों में एङी फटना एक सर्व सामानतय समस्या है.यदि इसका कारण और निवारण के बारे में थोङी जानकारी हो तो हम बङे आराम से इस समस्या पर पार पा सकते हैं सर्दी के मौसम में हमारी त्वचा की नमी और चिकनाई कम हो जाती हो और विषेशकर पांव की त्वचा, तो क्यों कि निरन्तर जमीन के संपर्क में रहने से और भी सूखनें लगती है और फटनें लगती है और फटी हुई त्वचा से जब मिट्टी आदि अंदर जाती है तो संक्रमण हो जाता है और दर्द होनं लगता है और उसी दर्द की अभिव्यक्ती ऊपर की गई हैकि जा के पैर न फटी बिव.........<br />उपचार---- बीमारी आपके समझ आ गई तो उपचार भी उतना ही आसान है.चिकनाई या के नमी की कमी से एङियां फटी तो चिकनाई अर्थात moisturizers का उपयोग इसका उपचार है, इसलिए पैट्रोलियम जैली,खोपरे का तेल,कोल्ड क्रीम इत्यादि अनेकानेक चीजें इसके काम ली जातीहै.थोङी बहुत समस्या हो तो इन सब चीजों से बङे आराम से काम चल जाता है पर चीरे ज्यादा हों तो कुछ विशष उपचार करना चाहिए.सबसे पहले रोज रात में सोते समय नमक के पानी से पांव धोएं (एक लीटर पानी में एक चम्मच नमक डालकर पानी को गुनगुना कीजिए)धोना क्या पानी के अंदर पांव को पांच मिनिट तक रखना है अब जो चीरे हैं उनमें gentian violet, नामक एक दवा जो कि चार पांच रूपये में किसि भी दवाई की दुकान पर मिल जाती है.चूंकि यह द्रव पदार्थ है इसलिए चीरों के अन्दर तक जाकर संक्रमण को बङी ही सफाई से खत्म कर देता है.जिससे चीरे तुरन्त ही साफ होने लगते हैं. इसके बाद salicylic acid युक्त क्रीम जो कि बाजार में विभिन्न कंपनियों की dipsalic,trivate mf ,betnovate –s आदि अनेकानेक नामों से मिलती है ,फटी एङियों में बहुत अच्छा काम करती है यह पाँव की नमी को बनाए रखने के साथ साथ रूखी त्वचा को भी साफ करती है जिसत फटी एङियां नरम होती हैं और साफ होने लगती हैं.अब एक बार ये सब ठीक होने पर साधारण पैट्रोलियम जैली से भी एङियां साफ रह सकती हैं और जरूरत पङने पर वापिस का , सेलिसाइलिक एसिड युक्त क्रीम का प्रयोग किया जा सकता है.<br />इस प्रकार इन साधारण उपायों से हम इस दर्द भरी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं<br /><br /><br /><br />सीकर वाली मां नाम सुनते ही मोटे मोटे कांच वाले चश्मे के पीछे से झांकती हुई वात्सल्य मयी पर तेज तर्रार आंखे याद आ जाती हैं,वो मेरी दादी थी .<div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-54680866325888944452007-09-13T23:34:00.001+05:302007-09-13T23:34:32.562+05:30गर्मी के मौसम में त्वचा की देखभाल-2<p>गर्मी के मौसम की एक प्रमुख समस्या रिंगवर्म है,जिसे सामान्य भाषा में दाद भी कहते हैं, इसका तकनीकि नाम टीनिया हैय.शरीर में किस अंग पर ये होता है उस हिसाब से इसके अलग अलग नाम हो सकते हैं.जैसे Tinea corporis(शरीर ),T capitis(सिर में),T.pedis(पांव पर),T.manum(हाथ में),Tinea cruris कहते हैं Onychomycosis(नाखुन में )इत्यादि विभिन्न नामों से जाना जाता है.उइसको रिंवर्म इसलिए कहते हैं कि जब यह शरीर पर पूरी तरह बन जाता है ,तो इसका बाहरी हिस्सा एक उभरे हुए गोले की तरह दिखाई देता है.इसको dhobi itch भी कहते है जो कि अंग्रेजों के जमाने में धोहबियों के के कपङे गीले रहने की वजह से हो जाती थी तो उनकी अंग्रेज साहबों द्वारा दिया गया नाम है.</p> <p>अधिकतम मरीजों में यह काछों(Groin) में में होता जिसे Tinea cruris कहते हैं .अक्सर गरमि ओर नमी के मौसम में छोटे छोटे लाल रंग के लाल रं के निशान जैसे बनते हैं जो धीरे धीरे बङे बङे होते चले जाते हैं .ये निशान बङे होने के साथ अन्दर से साफ होते जाते हैं और अंततः एक गोला बन जाता है जिसके लिए इसा रिंग वर्म कहते हैं इसमें .जबरदस्त खुजली चलती है और जलन होती है .इस समय यदि उपचार नहीं लिया जाये तो फिर यह धीरे धीरे फैलता हुआ काफी दूरी तक फैल .बाकी शरीर पर तो ये एक ही प्रकार का होता है पर कई बार </p> <p>तक अक्सर इस समय मरीज बाजार में तुरन्त आराम का दावा करने वाली कोई न कोई दवा खरीदकर लगा लेते हैं जो कुछ समय तक तो आराम देती है पर उस के बाद समस्या को बढाना शुरू कर देती है.जैसा पहले </p> <p>Tinea cruris---काछों में होने वाला फंगल संक्रमण,दोनों तरफ एक साथ होता है.गर्मी ओर नमी हो और यदि गाढे कपङे पहने जाएं तो इस रोग के होने की आदर्श स्थिति है.जलन और खिजली कई बार इतना अधिक होती है कि यहां से छिल जाता है और भयंकर जलन करता है .अक्सर 10-12 साल की आयु के बाद होता है.</p> <p>Tinea capitis--सिर के बालों में होने वाला कवक संक्रमँ ,12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के ये होता है,दिखने में यह बालों में एकदम रूसी जैसा दिखाई देता है,पर ध्यान रहे बच्चों में होने वाली सामान्य रूसी को भी टी केपिटिस की रह उपचार किया जाता है.क्यों कि अधिकतम बार रूसी के रूप में टीनिया ही होता है.कई बार यह जीवाणु संक्रमण के कारण काफी सूज जाता है तब इसे kerion कहते हैं यह थोङी मुश्किल चीज होती है और समय पर तरीके से उपचार नहीं किया गया तो यह बङा घाव कर देती है.उपचार समय पर करने के बाद भी कऊई बार बाल वापिस नहीं आते, इसलिए बच्चों में यदि रूसी दिखाइ दे तो तुरन्त चर्म रोग विशेषग्य से संपर्क करना चाहिए.</p> <p> </p> <p>Onychomycosis---नाखून में हीने वाला संक्रमण अधिकतर हाथ की अंगुलियों में होता है.वे लोग जिनके हाथ लम्बे समय तक गीले रहते हैं जैसे गृहिणियां ,होटल रेस्टोरेन्ट पर काम करने वाला,पशुपालक इत्यादी,नाखून के आस पास त्वचा की जो खांच(nail fold) बनी होती है वह सूज जाती है और उसमें मवाद आने लगती है,</p> <p>Tinea barbae पुरूषों के दाढी में होने वाले सेक्रमँण को tinea barbae कहते हैं.इसमें भी जबरदस्त सूजन आकर मोटी मोटी मवाद वाली गांठें हो जाती है.और खींचने मात्र से बाल बाहर आ जाते हैं</p> <p>उपचार और सावधानिया अगले अंक में</p><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-26539446517367085872007-09-05T21:58:00.001+05:302007-09-05T21:58:19.088+05:30गर्मी के मौसम में त्वचा की देखभाल -1<p align="left">हमारे देश में अधिकतम हिस्सों में सालभर में 4 से 8 महिने खूब गर्मी पङती है और जहां बरसात की अधिकता होती है वहां ऊमस भी खूब रहती है ,ऐसे में घमोरियां,फंगल इंफेक्शन(दाद),फोङे फुंसियां आदि अनेक समस्यायें ऐसे मौसम में होती रहती है,ऐसे में यदि थोङी बहुत त्वचा की देखभाल की जाए तो इस तरह की बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है.हम एक एक कर ऐसी समस्याओं के बारे में बात करेंगे,</p> <p align="left"><strong><u>घमोरियां---</u></strong> तेज गर्मी और ऊमस के समय 1 -2 मि.मि. के लालिमा लिए हुए छोटे-छोटे दाने पूरे शरीर पर विशेष कर कपङे से ढके हुये स्थानों और रगङ लगने वाले स्थानों (intertriginous areas like groin and axilla) जैसे काछों और काखों में निकल आते हैं.और इस वजह से असहनीय खुजली और जलन होती है.इन्हें सामान्य बोल-चाल की भाषा में घमोरियां,अळाईयां या तकनिकी भाषा में milliaria rubra कहते हैं.</p> <p align="left">तेज गर्मी और ऊमस के समय जब पसीना उत्सर्जित करने वाला स्वेद कोशिकाओं को अत्यधिक पसीना उत्सर्जित करना पङ रहा हाता है उसी समय staphylococcus epidermidis नामक जीवाणु वहां वृध्दी करने लगता है,और अंततः वह इस ग्रन्थी की नलिका को बन्द कर देता है जिससे न स्वेद बिन्दु अब सहजता पूर्वक बाहर नहीं निकल पाते और नलिका में सूजन पैदा कर देते जो कि बाहर से रक्तिम बिन्दु जैसी दिखाई पङती है.और जब यह पूरे शरीर पर फेली होती है तो जबरदस्त खुजली और जलन का कारण होती है.बकई बार ज्यादा खुजली करने फोङे फुंसियां भी हो जाती हैं.</p> <p align="left"> <u>बचाव और उपचार</u>ृ --सबसे जरूरी तो यह है कि यथासम्भव ठंडे और हवादार स्थान पर रहा जाए,पर कई बार जैसे यह सम्भव नहीं हो पाता तो ठंडे पानी और नमक की पूर्ती शरीर में भरपूर होनी चाहिए.वस्त्र ढीले ढाले और पतले कपडे के हों,इसके अतिरिक्त दिन में हो सके दो बार ठंडे पानी से नहाना चाहिए .सुबह नहाने के बाद साधारण टेल्कम पावडर लगाना चाहिए इससे पसिना जल्दी सोखा जाता है, यदि फिर भी घमोरियां हो जाएं तो प्लास्टिक की थैली में बर्फ लपेटकर सेक करने से काफी लाभ हो सकता है .</p> <p align="left">हो गइ और टेल्कम पावडर स् आराम नहीं आ रहा हो तो केलामिन लोशन जो बाजार में caladryl,calosoft,lacto calamine इत्यादी विभिन्न नामों से मिलते हैं ,से काफी लाभ होता है.इन सब चीजों से भी आराम नहीं आता है तो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. </p> <p align="left">अगले अंक में हम फंगल इंफेक्शन याने दाद के बारे में बात करेंगे.</p> <p align="left"> </p> <p align="left"> </p> <p align="left"> </p> <p align="left"> </p> <p align="left"> </p> <p align="left"> </p> <p align="left"> </p> <p align="left"> </p> <p align="left"></p><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-27826462799202385642007-08-30T20:07:00.001+05:302010-02-09T22:37:54.209+05:30एक्नी वाल्गारिस यानी पिम्पल्स उपचार<a href="http://1.bp.blogspot.com/_m7ZRI0-uxwY/RtbWgmN-Y3I/AAAAAAAAAA0/fWMOlilngHM/s1600-h/Image(714).jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5104503083174355826" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://1.bp.blogspot.com/_m7ZRI0-uxwY/RtbWgmN-Y3I/AAAAAAAAAA0/fWMOlilngHM/s320/Image(714).jpg" border="0" /></a><br /><div>पिछले अंकों में मैंने एक्नि के उपचार के बारे में चर्चा की थी पर इसमें से एक औषधी हमने छोङ दी थी आइसो ट्रिटिनॉइन .यह एक चमत्कारिक औषधी है और सबसे गम्भीरतम Nodulo cystic acne में drug of choiceयानि सर्वोत्तम दवाई है .और मात्र 3 से 4 महिनों के उपचार में आशातीत परिणाम देती है पर इस औषधी के साथ कुछ समस्याएं हैं जैसे एक तो यह थोङी महंगी है इसका 1 महिने का कोर्ष हि करीब 1.5 से 2 हजार रूपये का होता है जो एक साधारण मरीज के बूते के बाहर की बात है ,दूसरे यह एक teratogenic drug है अर्थात यदि इसके देने के 1 वर्ष के भीतर गर्भ धारण होता है तो होने वाले बच्चे पर गम्भीर दुष्परिणाम हो सकते हैं इसलिए बहुत अधिक आवश्यक होने पर ही इसे काम लिया जाता है,और वह भी मरीज को पूरी तरह समझाकर कयों कि ऐसे में ईलाज बन्द करने के करीब एक वर्ष तक गर्भ धारण की कतई मनाही होति है.<br />इसके अलावा शुरू करने के करीब महीने भर में चेहरे की त्वचा,नाक ,आंख, आदि में सूखापन महसूस हो सकता है जिसे आसानी से क्रीम लगाकर ठीक किया जा सकता है .<br />थोङी मुश्किल औषधी होने के बाद भी यह अपने असर के कारण विषेशग्यों की पसन्दीदा औषधी है.<br />उपसंहार---<br />जो कि पिछली कुछ कङियों में हमने एक्नी या पिम्पल्स के बारे में जितना कुछ भी जाना इसका निष्कर्ष यही है कि पन्द्रह वर्ष की आयु में जब ये शुरु होति है तब से लेकर करीब पच्चीस वर्ष की उम्र तक ये निकल सकती हैं और आज तक उपलब्ध तमाम उपचारों से इसे मात्र नियन्त्रित ही किया जा सकता है .अब प्रश्न यह उठता है कि जब ये निकलनी ही हैं तो उपचार करने से क्या लाभ है , तो इसका सीधा जवाब ये है कि समय पर उपचार करने कम से कम उपचार द्वारा चेहरे को कुरूप होने से बचाया जा सकता है,नहीं तो हर बनने वाली फुंसी अपना एक निशान छोङ जाती है और धीरे धीरे सारा चेहरा खराब हो जाता है और यह सब कुछ सम्भव है बहुत कम खर्चे और परेशानी से .जरूरत है एक अच्छे सौन्दर्य विषेशग्य की. </div><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-46811972528582348772007-08-29T22:52:00.003+05:302022-06-05T16:08:42.243+05:30अक्नी व्ल्गारिस --उपचार एक सामान्य चर्चा22<br />
एक बार हम ईसके विभिन्न पहलुऔं पर नजर डाल लेते हैं ,<br />
मरीज के चेहरे पर चिकनाई यानि सीबम की अधिकता होती<br />
संक्रमण हो सकता है<br />
कीलें और सूजन हो सकती ,जो की समय निकलने के साथ चेहरे पर निशान छोङ देती है ,<br />
ईलाज मूख्यतः इन्ही बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है .<br />खाने की औषधियां---<br />
एन्टिबायोटिक्स यथा डॉक्सीसाईक्लिन,एजिथ्रौमाईसिन,मिनोसाईक्लिन आदि .<br />
अन्य औषधियां जैसे जो कभी कभी काम आती हैं पर बहुत उपयोगी होती हैं जैसे जिंक सल्फेटो,हार्म हार्मोन्स,दर्द निवारक,स्टीरॉयड्स आदि .<br /><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;" /><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;"><b><u>लगाने की औषधियां</u></b> </span><div><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">इस तरह की दवाईयों को हम तीन हिस्सों में बांट सकते ,</span><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;" /><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">दवाईयां जो मुख्यतया कीलों पर काम करती हैं जैसे –एडॅपलीन(एडॅफरीन,डॅरिवा,मॅडापाईन )ट्रिटिनॉइन, (रेटिनॉ),एजिलिक एसिड,</span><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;" /><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">दवाईयां जो मुख्यतया जीवाणु प्रतिरोधी होती हैं जैसे –बेन्जॉयल परॉक्साइड, एजिलिक एसिड, क्लिन्डामाइसिन,इरिथ्रोमाइसिन,टेट्रासाइक्लिन,इत्यादि.</span><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;" /><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">दवाईयां जो मुख्यतया सुजन कम करती हैं. जैसे- ग्रुप 2 की सारी दवाईयां ये दुवाईयां और ग्रुप 1 से एङॅपलीन इन दवाईयों का एक काम संक्रमण और सूजन दोनों कम करना है .</span><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;" /><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">एक्नी की दवाईयों का तीन चीजों से आकलन किया जाता है १</span><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;" /><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">१-उसकी एंटीबोयोटिक गुण(antibiotic activity)</span><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;" /><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">२-सूजन कम करने का गुण (antiinflammatory activity)</span><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;" /><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">३-कीलों को समाप्त करने का गुण (komedolytic activity)</span><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;" /><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">बेन्जोयल पराक्साईड</span><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;" /><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">ये २.५ और ५% के रूप में बाजार में मिलती है ,और बिना डाक्टरके पर्ची के भी बाजार में मिल सकती है..बहुत ही शानदार और पावर फुल दवाई है ये त्वचा पर लगान के बाद अपनी लाइपो फिलिक नेचर के कारण बङे आराम से अंदर तक त्वाच में जाकर काम करती है ये त्वाचा में टूटकर फ्री आक्सीजन रेडिक्ल्स बनाती है जो एक्नी के बैक्टीरिया समाप्त कर देते हैं और सूजन और ललाई को भी कम करते हैं.ये थोङा बहुत कोमिडोलाईटिक भी होती है याने कीलों को भी कम करती है..पर ये गुण थोहा कम होता हैष</span><div><br style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;" /><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">ट्रिटिनाईन-ये विटामिन ए का ही एक प्रतिरूप होता है-</span><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">ये .01-.05% concentration मैं काम लिया जाता है।</span><span style="background-color: white; color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 16px; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;"> comedolytic होता है याने कीलों में उपस्थित त्वचा की कोशिकाएं जो इक्टठी होकर कील बनाती है उनके बीच के बोंड को तोङती है और धीरे धीरे लेयर बाई लेयर उन्हें खत्म करती है।कीले कम होने के साथ साथ ये थोङा बहुत सूजन को भी कम करता है।.ये धीरे धीरे त्वाच की पीलिंग भी करता है इसलिए कई बार इससे इरिटेसन होने लगती है इसलिए इसको थोङा सावधानी से लगाया जाता है।आजकल कुछ इसके एडवांस वर्जन काम आते है जैसे माईक्रोस्फीयर टैक्नोलोजी से ये कम इरिटेशन करती है। इसी ग्रुप में एडाप्लीन और टैजोरोटीन भी आती है.</span></div><div><span style="color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif;"><span style="background-color: white; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;">एजीलिक एसिड-ये tretrnoin से कम comedolytic है पर इसमें pih याने पिंपल्स से होने वाले काले भूरे और लाल निशानों को कम करने की क्षमता भी होती है.. जो कि बहुत उपयोगी है. ये 10,15 और २० % मैं मिलती है.इसके अलावा ये त्वचा की चिकनाई को भी थोङा बहुत कम करती है और P acnes जो कि इसका किटाणु है को भी कम करती है ।</span></span></div><div><span style="color: #202124; font-family: Roboto, Arial, sans-serif;"><span style="background-color: white; font-variant-ligatures: none; letter-spacing: 0.1px; white-space: pre-wrap;"><br /></span></span></div><div><br /><br />
ये दवाईयां यहां मात्र परिचय के लिये दी गई हैं वास्तविक उपयोग के लिए हमें डॉक्टर से ही परामर्श करना चाहिए .<br />
उपचार दो चरणों में किया जाता है .पहले चरण में फुंसियों को जल्दी से जल्दी नियन्त्रित करना जिससे कि संभावित स्कारिंग (निशान) कम से कम हों . और दूसरे बाद में कम से कम दवाईयों से इन्हें ठीक रखना,<br />
चूंकि यह समस्या कई महिनों है तो ईलाज चालू करने से पहले हम ये समझ लें कि यह कई महीनों तक भी खिंच सकता है तभी ईसका सही लाभ होता है .अक्सर हम लोग जैसे ही थो इन दवाईयों एक्नी ङा आराम आता है उपचार बन्द कर देते हैं इससे जब फिर से फुसिंयां जब बढती है तो हमें फिर से खूब सारी दवाईयां खानी पङती है,अन्यथा ऐकाध लगाने वाली दवाई से भी उपचार सम्भव है । औषधियां<br />
क्यों कि पिम्पल्स एक सर्वसामान्य समस्या है इसलिए हमारे आस पास अनेक स्वायम्भू विशेषग्य मिल जायेंगे और ईसी लिए शायद इतनी सारी भ्रान्तियॉ प्रचलित हैं इनका निवारण भी अति आवश्यक है ।<br />
खाने में कुछ विषेश लेने की या छोङने की आवश्यकता नहीं होती आप जैसा भी ले रहें हैं वैसा पौष्टिक भोजन लेते रहें.खासकर तली हुई चीजों के बारे में विषेश पूर्वाग्रह होता है जिनके खाने या छोङने से ज्यादा फर्क नहीं पङता .<br />
बार बार मुंह धोने से फायदे की बजाय नुकसान ज्यादा होता है,<br />
चेहरे पर दवाईयों के अलावा अन्य क्रीम वगैरा लगाने से परहेज करें ,क्यों कि चिकनाइ लगाने से फुसिंया बढती है .</div></div><div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5317106517810167171.post-70286515804733507612007-08-22T21:31:00.000+05:302007-08-22T21:53:56.744+05:30एक्नी या pimplesअक्नी व्ल्गारिस के बारे में मैंने कहा था कि<br />यह समस्या उम्र के साथ चलति है 'तो हम ऐसा भी मान सकते हैं कि यह किसि तरह कि बिमारी न होकर मात्र उम्र के परिवतॅन का असर है'और निश्चित रुप से 'इसे खत्म नहीं किया जा सकता है बल्कि ईलाज से इसे हम सिर्फ नियन्त्रित ही कर सकते ; जब ये है कि इलाज से खत्म नहीं हो सकती ओर अगले ५-७ साल तक भी ये निकल सकति है तो ईलाज कि क्या आवश्यकता है॰ईलाज की आवश्कता तो फिर भि है क्यों कि यदि ईलाज नहीं लेंगे तो जो फुसिंयां हो रही हैं वे सब कि सब निशान छों,ङने के बाद ही ठीक होति हैं॰और जब तक ये निकलेंगी निशान छोङती जायेंगि .ओउर हमें इससे हमारा चेहरा खराब होने कि सम्भ्वाना बढ़ जाती है इसलिये हमें इलाज़ समय पर ही चालू कर देना चाहिऐ .जिससे हमारा चेहरा सुंदर बना रहे .ओर सबसे बड़ी बात ये है कि जो दवाईयां इसके लिए काम ली जाती हैं वो सौंदर्य प्रसाधन कि ह्बी तरह होती है .इसलिये शुरू से ही एक बात दिमाग में रखें कि हम इलाज़ नहीं बल्कि सौंदर्य परामर्श ले रहें हैं .ओउर ये मानसिकता रखना आवश्यक है क्यों कि लंबे समय तक इलाज़ लेना ही हमारे मन को बीमार कर देगा।<br />सबसे बड़ी भ्रांति जो पिम्प्लेस के इलाज़ में होति है कि मरीज़ के खाने पिने पर बहुत se प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं जो एकदम गलत है .अचार खाना ,तली चीज़े नहीं खाना ,मसालेदार चीज़े नहीं खाना ,ये सब गलत है ओउर इन सब चीजों का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं होता ,बल्कि मरीज़ परेशां होकर इलाज़ ही बन्द कर देता है.इसलिये किसी अच्छे स्किन स्पेसिअलिस्ट से सम्पर्क कर इन सब परेसनियों सेदूर रहते हुए आराम से इलाज़ लिया जा सकता है.अगले अंक में इलाज़ के प्रकारों पर चर्चा करंगे.<div class="blogger-post-footer">vandemataram</div>drdhabhaihttp://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.com1