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Showing posts from September, 2007

गर्मी के मौसम में त्वचा की देखभाल-2

गर्मी के मौसम की एक प्रमुख समस्या रिंगवर्म है,जिसे सामान्य भाषा में दाद भी कहते हैं, इसका तकनीकि नाम टीनिया हैय.शरीर में किस अंग पर ये होता है उस हिसाब से इसके अलग अलग नाम हो सकते हैं.जैसे Tinea corporis(शरीर ),T capitis(सिर में),T.pedis(पांव पर),T.manum(हाथ में),Tinea cruris कहते हैं Onychomycosis(नाखुन में  )इत्यादि विभिन्न नामों से जाना जाता है.उइसको रिंवर्म इसलिए कहते हैं कि जब यह शरीर पर पूरी तरह बन जाता है ,तो इसका बाहरी हिस्सा एक उभरे हुए गोले की तरह दिखाई देता है.इसको dhobi itch भी कहते है जो कि अंग्रेजों के जमाने में धोहबियों के के कपङे गीले रहने की वजह से हो जाती थी तो उनकी अंग्रेज साहबों द्वारा दिया गया नाम है. अधिकतम मरीजों में यह काछों(Groin) में में होता जिसे Tinea cruris कहते हैं .अक्सर गरमि ओर नमी के मौसम में छोटे छोटे लाल रंग के लाल रं के निशान जैसे बनते हैं जो धीरे धीरे बङे बङे होते चले जाते हैं .ये निशान बङे होने के साथ अन्दर से साफ होते जाते हैं और अंततः एक गोला बन जाता है जिसके लिए इसा रिंग वर्म कहते हैं इसमें .जबरदस्त खुजली चलती है और जलन होती है .इस समय यदि उपचा

गर्मी के मौसम में त्वचा की देखभाल -1

हमारे देश में अधिकतम हिस्सों में सालभर में 4 से 8 महिने खूब गर्मी पङती है और जहां बरसात की अधिकता होती है वहां ऊमस भी खूब रहती है ,ऐसे में घमोरियां,फंगल इंफेक्शन(दाद),फोङे फुंसियां आदि अनेक   समस्यायें ऐसे मौसम में होती रहती है,ऐसे में यदि थोङी बहुत त्वचा की देखभाल की जाए तो इस तरह की बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है.हम एक एक कर ऐसी समस्याओं के बारे में बात करेंगे, घमोरियां---   तेज गर्मी और ऊमस के समय  1 -2 मि.मि. के लालिमा लिए हुए छोटे-छोटे दाने पूरे शरीर पर विशेष कर कपङे से ढके हुये स्थानों और रगङ लगने वाले स्थानों (intertriginous areas like groin and axilla) जैसे काछों और काखों में  निकल आते हैं.और इस वजह से  असहनीय खुजली और जलन होती है.इन्हें सामान्य बोल-चाल की भाषा में घमोरियां,अळाईयां या तकनिकी भाषा में milliaria rubra कहते हैं. तेज गर्मी और ऊमस के समय  जब पसीना उत्सर्जित करने वाला स्वेद कोशिकाओं को अत्यधिक पसीना उत्सर्जित करना पङ रहा हाता है उसी समय staphylococcus epidermidis नामक जीवाणु वहां वृध्दी करने लगता है,और अंततः वह इस ग्रन्थी की नलिका को बन्द कर देता है जिससे न स्व