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Showing posts from December, 2007

जाके पैर न फटी बिवाई -----

वो क्या जाने पीर पराई.फटी एङियों के बारे में जिस भी कवि ने ये पंक्तियां लिखी हैं सत्य है, क्यों कि फटी बिवाईयों का दर्द इतना ज्यादा होता है कि जब मेरी मां इनके उपचार के लिए पिघला मोम डालती थी चिरी हुई एङियों में तो वो जलन भी कम लगती थी, सर्दी के दिनों में एङी फटना एक सर्व सामानतय समस्या है.यदि इसका कारण और निवारण के बारे में थोङी जानकारी हो तो हम बङे आराम से इस समस्या पर पार पा सकते हैं सर्दी के मौसम में हमारी त्वचा की नमी और चिकनाई कम हो जाती हो और विषेशकर पांव की त्वचा, तो क्यों कि निरन्तर जमीन के संपर्क में रहने से और भी सूखनें लगती है और फटनें लगती है और फटी हुई त्वचा से जब मिट्टी आदि अंदर जाती है तो संक्रमण हो जाता है और दर्द होनं लगता है और उसी दर्द की अभिव्यक्ती ऊपर की गई हैकि जा के पैर न फटी बिव......... उपचार---- बीमारी आपके समझ आ गई तो उपचार भी उतना ही आसान है.चिकनाई या के नमी की कमी से एङियां फटी तो चिकनाई अर्थात moisturizers का उपयोग इसका उपचार है, इसलिए पैट्रोलियम जैली,खोपरे का तेल,कोल्ड क्रीम इत्यादि अनेकानेक चीजें इसके काम ली जातीहै.थोङी बहुत समस्या हो तो इन सब चीजों से

पर्नियोसिस ---सर्दियों में अंगुलियों का सूजना

पूरा उत्तर भारत कङाके की ठंह की चपेट में आया हुआ है,इन दिनों में हाथ पांव की अंगुलियों और कई बार नाक और कान में सूजन आ जाती है और लाल होकर दर्द करने के साथ साथ तैज खुजली चलती है.लगते हैं,जिसे तकनीकी भाषा में perniosis कहते हैं. कारण और लक्षण-क्यों कि उपरोक्त वर्णित अंग यथा हाथ पांव की अंगुलियां नाक का अंतिम सिरा,और कान का विशेषकर ऊपरी किनारा रक्तप्रवाह के हिसाब से अंतिम छोर होते हैं जहां रक्त का प्रवाह वातावरण में बदलाव की वजह से काफी प्रभावित हो सकता है, वातावरण के तापमान में कमी की वजह से रक्तवाहिकाएं सिकुङती हैं और चूंकि हाथ पांव और मुंह ढके हुए नहीं होते तो ये बहुत जल्दी इस सबसे प्रभावित होते हैं,और प्राणवायु अर्थात ऑक्सीजन की कमी से अंगुलियों में और नाक कान मैं तेज दर्द खुजली और सूजन और ललाई जाती है.और यह सब इतना असहनीय हो जाता है कि कइ बार बुरी तरह से रोता हुआ पहुंचता है.ज्यादा दिन यदि उपचार नहीं किया गया तो फिर घाव बनने लगते हैं.और संक्रमण भी हो सकता है, उपचार व सावधानियां- सबसे बङा उपचार तो बचाव ही है.शरीर को तेज सर्दी के समय सूती या ऊनी जुराब और मफलर से ढका हुआ रखा जाये,गृह