पर्नियोसिस ---सर्दियों में अंगुलियों का सूजना
पूरा उत्तर भारत कङाके की ठंह की चपेट में आया हुआ है,इन दिनों में हाथ पांव की अंगुलियों और कई बार नाक और कान में सूजन आ जाती है और लाल होकर दर्द करने के साथ साथ तैज खुजली चलती है.लगते हैं,जिसे तकनीकी भाषा में perniosis कहते हैं.
कारण और लक्षण-क्यों कि उपरोक्त वर्णित अंग यथा हाथ पांव की अंगुलियां नाक का अंतिम सिरा,और कान का विशेषकर ऊपरी किनारा रक्तप्रवाह के हिसाब से अंतिम छोर होते हैं जहां रक्त का प्रवाह वातावरण में बदलाव की वजह से काफी प्रभावित हो सकता है,
वातावरण के तापमान में कमी की वजह से रक्तवाहिकाएं सिकुङती हैं और चूंकि हाथ पांव और मुंह ढके हुए नहीं होते तो ये बहुत जल्दी इस सबसे प्रभावित होते हैं,और प्राणवायु अर्थात ऑक्सीजन की कमी से अंगुलियों में और नाक कान मैं तेज दर्द खुजली और सूजन और ललाई जाती है.और यह सब इतना असहनीय हो जाता है कि कइ बार बुरी तरह से रोता हुआ पहुंचता है.ज्यादा दिन यदि उपचार नहीं किया गया तो फिर घाव बनने लगते हैं.और संक्रमण भी हो सकता है,
उपचार व सावधानियां- सबसे बङा उपचार तो बचाव ही है.शरीर को तेज सर्दी के समय सूती या ऊनी जुराब और मफलर से ढका हुआ रखा जाये,गृहिणियां घर का काम करते समय गुनगुना पानी काम मे लें.यदि फिर भी हो जाये तो शाम को सोते समय एक लीटर पानी में एक चम्मच नमक डालकर गुनगुना कर लें और पांव को पांच मिनिट के लिए रखे और तौलिये से पोछकर फिर गुनगुने तेल की मालिश कर जुराब पहन लें,
• कुछ औषधियां इसमे बहुत कारगर होती है जैसे nifedipine जो कि प्रमुखतःउच्च रक्तचाप की औषधी है और रक्तवाहिकाओं में हल्के फैलाव के द्वारा काम करती है perniosisमें बहुत कारगर है.
• Pentoxiphylline-यह उतकों में लाल रक्त कणिकाओं को प्रवेश करने में मदद करती है, और बहुत ही प्रभावी है.
ध्यान रहे कि औषधियां सिर्फ योग्य चिकित्सकर की देख रेख में ही ली जायें
कारण और लक्षण-क्यों कि उपरोक्त वर्णित अंग यथा हाथ पांव की अंगुलियां नाक का अंतिम सिरा,और कान का विशेषकर ऊपरी किनारा रक्तप्रवाह के हिसाब से अंतिम छोर होते हैं जहां रक्त का प्रवाह वातावरण में बदलाव की वजह से काफी प्रभावित हो सकता है,
वातावरण के तापमान में कमी की वजह से रक्तवाहिकाएं सिकुङती हैं और चूंकि हाथ पांव और मुंह ढके हुए नहीं होते तो ये बहुत जल्दी इस सबसे प्रभावित होते हैं,और प्राणवायु अर्थात ऑक्सीजन की कमी से अंगुलियों में और नाक कान मैं तेज दर्द खुजली और सूजन और ललाई जाती है.और यह सब इतना असहनीय हो जाता है कि कइ बार बुरी तरह से रोता हुआ पहुंचता है.ज्यादा दिन यदि उपचार नहीं किया गया तो फिर घाव बनने लगते हैं.और संक्रमण भी हो सकता है,
उपचार व सावधानियां- सबसे बङा उपचार तो बचाव ही है.शरीर को तेज सर्दी के समय सूती या ऊनी जुराब और मफलर से ढका हुआ रखा जाये,गृहिणियां घर का काम करते समय गुनगुना पानी काम मे लें.यदि फिर भी हो जाये तो शाम को सोते समय एक लीटर पानी में एक चम्मच नमक डालकर गुनगुना कर लें और पांव को पांच मिनिट के लिए रखे और तौलिये से पोछकर फिर गुनगुने तेल की मालिश कर जुराब पहन लें,
• कुछ औषधियां इसमे बहुत कारगर होती है जैसे nifedipine जो कि प्रमुखतःउच्च रक्तचाप की औषधी है और रक्तवाहिकाओं में हल्के फैलाव के द्वारा काम करती है perniosisमें बहुत कारगर है.
• Pentoxiphylline-यह उतकों में लाल रक्त कणिकाओं को प्रवेश करने में मदद करती है, और बहुत ही प्रभावी है.
ध्यान रहे कि औषधियां सिर्फ योग्य चिकित्सकर की देख रेख में ही ली जायें
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