स्ट्रैच मार्क्स-कारण ,बचाव व उपचार


अत्यधिक शारिरिक श्रम जैसे बहुत कम समय में ज्यादा कसरत करना .आपके शरीर के वजन में अचानक बदलाव ,और प्रिगनेंसी में स्ट्रैच मार्कस बन जाना एक बहुत ही सामान्य बात है.पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ये ज्यादा होते है,एक बार होने के बाद ये हमारी एकदम साफ त्वचा पर बङा ही भद्दा सा निशान बना देता है विशेषकर महिलाओं में डिलीवरी के बाद ये पेट पर गंदे से निशान से दिखाई देते हैं जिससे उन्हें अपनी पसंद के कपङे पहनने में भी परेशानी होती है. kकारण कुछ भी हो पर इस तरह के निशान आपके शरीर पर कोई अच्छा प्रभाव नहीं छोङते हैं,,दिखने में भद्दे होते हैं.. कई बार ये घाव भी कर सकता है क्यों कि वहां पर त्वचा थोङी हल्की और पतली हो जाती है होती है..पर अब  आधुनिक तकनीकी की मदद से हम इन्हें काफी हद तक साफ करने में सफल हो जाते है...


क्या होते हैं स्ट्रैच मार्क्स-

 ये एक तरह से त्वचा में अत्यधिक खिंचाव से होने वाली स्कारिंग होती है जिसमें त्वचा पूरी तरह से फटने की जगह थोङा गहराई में खिंच जाती है.विशेष रुप से एपिडर्मिस के नीचे स्थित डर्मिस जो कि त्वचा की वो सतह होत है जो कि हमारी त्वचा को आधार देती है और हमारी त्वचा को लचीला बनाती है जो कि इसमें उपस्थित कालेजन और इलास्टिन जैसे प्रोटीन्स की वजह से होता है,

स्टीरायड के प्रभाव से और हार्मोन्स का बदलाव हो या एकदम से शरीर की वृद्धि चाहे प्रिगेंसी हो या के वजन बढने से ये कालेजन या तो कम बनता है या बढती आवश्यकता के अनुरूप कम रह जाता है और त्वचा में ये  लाइने जैसी दिखाई देने लगती है.अधिकतर ये वो स्थान होते हैं जहां वजन बढने और घटने का सबसे अधिक प्रभाव होता है ये पेट, विशेष रूप से नाभि के चारों ओर ,जांघों ,बाहों व स्तन व पीठ पर नीचे की तरफ हो सकती है।जो कि शुरुआत में लाल बैंगनी लाईेंनों के रूप में होती है जौ धीरे धीरे सफेद लंबी जालियां जैसी दिखाई देने लगती है।
हालांकि भद्दा दिखने के अलावा ये शरीर पर बाकि कोई विशेष प्रभाव नहीं डालती है,और त्वचा और शरीर कोई आंतरिक परिवर्तन इससे नहीं होता है

कारण-

प्रिगेंसी-गर्भावस्था के समय जब गर्भस्थ शिशु वृदधि करता है,और इसके अतिरिक्त मां का वजन भी बढता है उस समय आधार देने वाली त्वचा कई बार उस बढे हुए वोल्यूम को सह नहीं पाती है और  उसमें अंदर खिंचाव आ जाता है,। स्‌ट्रैच मार्क्‌स बन जाते है। हां सामान्य रूप से महिलाओं में एक भ्रांति होती है कि गर्भावस्था में कभी कभार जो खुजली होती है उसकी वजह से भी ये लकीरें बन जाती है जो कि सर्वथा गलत है बल्कि ये स्ट्रैच मार्क्स ही होते हैं जिनमें कभी कभार खुजली करने का  कारण न होकर शरीर की और गर्भ की अकस्मात वृद्धि ही होती है। और या फिर यदि एकदम से हम वजन घटाते हैं या बढ जाता है तो भी शरीर इस बढे हुए आयतन को संभाल नहीं पाता जिसकी परिणति स्ट्रैच मार्क्स के रूप में होती है, क्यों कि त्वचा अत्यधिक खिंच जाती है। आजकल स्टीरोईड क्रीम्स भी इनके होने के एक बहुत बङा कारण बन चुकी है. इसके अतिरिक्त जिम जाने वाले बहुत से लोग जो प्रोटीन पाउडर लेते हैं उनमें भी स्टीराईड की मिलावट की वजह से बहुत सारे लोगों में ये देखा जाता है.स्टीरायड चाहे लोशन या क्रीम के रुप में लें या गोलियों के रूप में ये कालेजन के निर्माण में बाधा डालते हैं ।और वो धीरे धीरे स्ट्रैच मार्क्स के रूप में सतह पर प्रकट हो सकता है।

How To Get Rid Of Stretch Marks?-स्‌ट्रैच मार्क्स ठीक करने का उपाय

स्ट्रैच मार्क्स के लिए भी कई सारे उपचार उपलब्ध हैं। बहुत सारी क्रीम्स और लोशंस होते है जो दावा करते हैं,पर प्रभावी रूप से कोई ऐसी तय क्रीम नहीं जिससे ऐसा होता है। पर अब  इसके लिए सबसे प्रभावी उपचार उपलब्ध है और वो है लैजर ट्रीटमैंट .

कैसे किया जाता है लैजर ट्रीटमैंट-

सबसे पहले जिस एरिया में हमें करना है उसको मार्क करने के बाद वहां एक नंबिंग क्रीम लगाई जाती है जो करीब एक घंटे तक रखनी होती है ,उसके बाद हम आराम से लेजर ट्रीटमैंट कर सकते हैं जो कि तकरीबन पैनलेस होता है...

जैसा कि हमने पहले अपने एक्यूपल्स फ्रैक्शनल co2 के बारे में बताया था कि ये लैजर माइक्रोस्कोपिक चैनल्स बनाती है याने इंजरी करती है जो कि त्वचा के नीचे के टिश्यू को तोङती है और इसकी वजह से नये कालेजन का निर्माण प्रारंभ हो जाता है जिससे धीरे धीरे जो इसकी कमी होती है उसको ये काफी हद तक पूरा कर देती है। और इससे धीरे धीरे आपके स्ट्रैच मार्क्स ठीक होने लगते हैं..सबसे बङी बाते है कि इसका डाउनटाईम याने प्रोसिजर करने के बाद जो छोटे मोटे निसान दिखाई देते हैं वो एक्यूपल्स जो कि विश्व की सर्वश्रैष्ठ सुपर पल्स टेक्नोलोजी से युक्त है के कारण बहुत कम समय के लिए याने मात्र पांच सात दिन तक ही दिखाई पङते है इसके बाद ये निशान धीरे धीरे अपने आप ठीक होने लगते हैं..

समय कितना लगता है-

प्रोसीजर करने में नंबिंग क्रीम को एक घंटे तक रखना होता है उसके बाद की सारी प्रक्रिया आधे घंटे से भी कम समय में पूरी की जा सकती है.इसके बाद करीब पांच सात दिन का डाऊन टाईम होता है और फिर कालेजन बनने की प्रक्रिया में महिनों लग जाते हैं इस दौरान आपका निशान धीरे धीरे कम होने लगता है और आस पास की सामान्य त्वचा मेे मिला हुआ दिखाई देने लगता है याने स्ट्रैट मार्क्स की लाइंस कम होने लगती है।उपचार के बाद की प्रक्रिया में कभी कभार स्ट्रैच मार्क्स को ठीकर करने की कुछ क्रीम्स होती है वो भी सहायक हो सकती है,वो आपका चिकित्सक परिस्थिति के अनुसार आपको लिखता है..

आफ्टर केयर-

लेजर ट्रीटमैंट के बाद यदि ये शरीर के एसे हिस्से में है जहां सूर्य की रोशनी सीधी पङती है तो वहां सन स्क्रीन लगाना आवश्यक होता है..बाकि इसकी कोई विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं पङती ,

लैजर ट्रीटमैंट के अलावा केमीकल पील्स और माइक्रोडर्माब्रेजन जो कि मात्र ऊपरी सतह को हटाता है उनसे उपचार किया जाता है पर चूंकि ये ज्यादा गहराई में प्रभावी नहीं है इसके लिए इनका प्रभाव सीमित होता है।

खर्च-

भारत में विशेष रूप से हमारे क्लिनिक पर स्ट्रैच मार्क्स का इलाज की पर सिटिंग खर्च २ से ५ हजार के बीच होता है जो कि कितनी दूर में ये है,शरीर पर कहां स्थित है और करने वाले डाक्टर के अनुभव के आधार पर तय होता है..मरीजों की सुविधा के लिए ये सब हम कम से कम खर्चे में करने का प्रयास करते हैं...हां आपकी सिटिंग दो तीन बार और रिपीट करनी पङ सकती है...कुल मिलाकर स्‌ट्रैच मार्क्स जो कि आपको त्वचा की सुंदरता में धब्बे की तरह दिखाई देता है लैजर ट्रीटमैंट के द्वारा इसे पूरा नहीं तो काफी हद तक सुधार कर आपकी त्वचा को फिर से एक यूथ फुल लुक वापिस देता है

तो अब हम ये मान सकते ैहं कि यदि आप भी इस समस्या से पीङित है तो अपने निकटतम स्किन डाक्टरसे मिलकर इसका उपाय खोज सकते हैं..या फिर 9462336561 पर बात कर सकते हैं...

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