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एक्नी या पिंपल्स -जानिये क्यों और कैसे होती है

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                                                     एक्नी जिससे हम जवानी के फुंसियां कह कर संबोधित करते हैं 15-25 साल के बीच में निकलने वाली चेहरे पीठ और छाती पर निकलने वाली वो फुंसियां होती है जो इतने लंबे समय तक निकलती है। और हमें काफी परेशान कर सकती है।अपने जीवन काल में 80 प्रतिशत तक टीनेजर्स  एक्नी से प्रभावित होते हैं और इनमें से अधिकतर को उपचार लेने की आवश्यकता पड़ती है। यदि समय पर इसका उपचार नहीं किया जाता है तो यह आपके चेहरे पर निशान  कर सकती है।और ये परमानेंट भी हो सकते हैं।इसलिए एक्नी होने पर हमें विशेषज्ञ चिकित्सक से इसके बारे में ध्यान से उपचार ले ही लेना चाहिये जिससे हम अपने चेहरे को इसके हानिकारक प्रभावों से बचा सकें.आज हम एक्नी के होने के कारणों की चर्चा करेंगे. प्रभावित करने वाले कारक- हालांकि हम ये कह सकते हैं कि ये 80 प्रतिशत तक युवाओं को होती है तो ये कोई बीमारी न होकर एक सामान्य शारिरिक परिवर्तन ही है फिर भी कई सारी बातें है जो इसके होने न होने व गंभीरता को प्रभावित करती है . जैसे आयू- कहने को तो ये 15 से 25 साल तक की व्याधि है पर इसके बाद भी याने 31-40 साल की ऊम्र

एकने व्ल्गेरिस --ऊपचार +सामान्य chaarcha

एक्नी के बारे कारण के बारे में सामान्य जानकारी हमने प्राप्त की, इसके बाद अब हम इसके ईलाज के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे . एक बार हम ईसके विभिन्न पहलुऔं पर नजर डाल लेते हैं , मरीज के चेहरे पर चिकनाई यानि सीबम की अधिकता होती संक्रमण हो सकता है कीलें और सूजन हो सकती ,जो की समय निकलने के साथ चेहरे पर निशान छोङ देती है , ईलाज मूख्यतः इन्ही बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है . एक्नी के ईलाज में प्रारम्भ में खाने और लगाने दोनों प्रकार की औषधियों का उपयोग किया जाता है.जिन्हें बाद में धीरे धीरे कम किया जाता है . खाने की औषधियां--- एन्टिबायोटिक्स यथा डॉक्सीसाईक्लिन,एजिथ्रौमाईसिन,मिनोसाईक्लिन आदि . अन्य औषधियां जैसे जो कभी कभी काम आती हैं पर बहुत उपयोगी होती हैं जैसे जिंक सल्फेटो,हार्म हार्मोन्स,दर्द निवारक,स्टीरॉयड्स आदि . लगाने की औषधियां इस तरह की दवाईयों को हम तीन हिस्सों में बांट सकते , दवाईयां जो मुख्यतया कीलों पर काम करती हैं जैसे –एडॅपलीन(एडॅफरीन,डॅरिवा,मॅडापाईन )ट्रिटिनॉइन, (रेटिनॉ),एजिलिक एसिड, दवाईयां जो मुख्यतया जीवाणु प्रतिरोधी होती हैं जैसे –बेन्जॉयल परॉक्साइड, ए

अक्नी व्ल्गारिस --उपचार एक सामान्य चर्चा22

एक बार हम ईसके विभिन्न पहलुऔं पर नजर डाल लेते हैं , मरीज के चेहरे पर चिकनाई यानि सीबम की अधिकता होती संक्रमण हो सकता है कीलें और सूजन हो सकती ,जो की समय निकलने के साथ चेहरे पर निशान छोङ देती है , ईलाज मूख्यतः इन्ही बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है . खाने की औषधियां--- एन्टिबायोटिक्स यथा डॉक्सीसाईक्लिन,एजिथ्रौमाईसिन,मिनोसाईक्लिन आदि . अन्य औषधियां जैसे जो कभी कभी काम आती हैं पर बहुत उपयोगी होती हैं जैसे जिंक सल्फेटो,हार्म हार्मोन्स,दर्द निवारक,स्टीरॉयड्स आदि . लगाने की औषधियां इस तरह की दवाईयों को हम तीन हिस्सों में बांट सकते , दवाईयां जो मुख्यतया कीलों पर काम करती हैं जैसे –एडॅपलीन(एडॅफरीन,डॅरिवा,मॅडापाईन )ट्रिटिनॉइन, (रेटिनॉ),एजिलिक एसिड, दवाईयां जो मुख्यतया जीवाणु प्रतिरोधी होती हैं जैसे –बेन्जॉयल परॉक्साइड, एजिलिक एसिड, क्लिन्डामाइसिन,इरिथ्रोमाइसिन,टेट्रासाइक्लिन,इत्यादि. दवाईयां जो मुख्यतया सुजन कम करती हैं. जैसे- ग्रुप 2 की सारी दवाईयां ये दुवाईयां और ग्रुप 1 से एङॅपलीन इन दवाईयों का एक काम संक्रमण और सूजन दोनों कम करना है . एक्नी की दवाईयों का तीन चीजों से आकलन किया