जूँ

 

जूँएं एक 3-4  mm  का छोटा सा कीट है  जो तीन प्रकार की होती है

  1. pediculosis humanus capitis -इसका जीवन काल करीब 40 दिनों का होता है,और अपने जीवन काल में ये 400 के आस पास अंडे देती है,याने प्रतिदिन 7-10 .ये अंडे जिन्हें हम लीख के नाम से जानते है.ये लीख अब एक चिपकाने वाले पदार्थ से बाल से चिपक जाती है,अंडा  अब 8 दिन में पककर अगले 10 दिन में पूरी जूँ बन जाती है और उसके बाद ये जो धमाचौकङी करती है तो हम सब कूदने लगते है
  2. pediculosis humanus humanus--यह शरीर पर पाई जाने वाली जूँ है ,इसका अंडा मानव शरीर पर न रहकर कपङे के रेशों के साथ चिपका रहता है.ऊपर से देखने पर यह बालों की जङों में घुसी हुई दिखती है.यह भी जबरदस्त खुजली का कारण है.चूंकि यह कपङों से जुङी रहती है इसलिये जो लोग एक दूसरे के कपङे पहन लेते हैं उनमें ये ज्यादा होती है.
  3. pthiris pubis -- मुख्यतया पेडू के नीचे वाले हिस्से में ये होती है,(pubic area)इसके अतिरिक्त ये ,काख ,आंख कीभौहों ,पलकों आदि को भी प्रभावित कर  सकता है,

जूँ किसी भी प्रकार की हो इसका मुख्य लक्षण खुजली चलना है ,और कई बार खुजली इतनी ज्यादा होती है कि खुजली करने से घाव हो जाते हैं.12-13 साल से ऊपर के बच्चे और खासकर लङकियां जिनमें बार बार सिर में फोङे फुंसियां होते हैंउनमें अधिकतर में जूँएं ही प्रमुख कारण होती हैं.परिवार में एक व्यक्ति के जूँ होने पर सब लोगों के होने की आशंका रहती है इसलिए जल्दी से जल्दी इनका उपचार करना चाहिए.

उपचार--- उपचार में पहले तो यदि किसी प्रकार के फोङे फुंसी हो रहें हैं तो पहले एंटीबायॉटिक द्वारा उसका उपचार किया जाता है,उसके बाद ही जूँओं की कोई दवाई लगानी चाहिए.जूँऔं के उपचार के लिए gamma banzene hexachloride नामक औषधी जो कि दवाई की दुकान पर ascabiol,scabimide,GBHC,आदि नामों से मिलती हैं इसके अलावा   permethrine 1 % जो की perlice, permite,permaridआदि नामों से मिलती है.इनमें से की यदि इनमें से नीचे रेखांकित औषधियां विश्व के हर देश जैसे अमेरिका ,इंग्लैंड हो या हिंदुस्तान सभी जगह इसी नाम से बिकती है.

दवाई को जो की क्रीम या लोशन के रूप में होती है उसे हाथ में लेकर सिर में या शरीर पर हैं तो प्रभावित स्थान पर दवाई लगाकर करीब 2 घंटे तक रखें.हो सके तो सिर में कपङा बांध लें.2 घंटे बाद सिर को किसी साधारण शैंपू से अच्छी तरह से धो लें और कंघी कर लें सारी जूंएं कंघी के साथ लगकर बाहर निकल जाएँगी एक साथ.अब चूंकी दवाई लगने से मात्र जीवित जूँएं ही साफ होती है सप्ताह भर में लीखं जूँएं बन जाती हैं तो सप्ताह भर बाद एक बार फिर से यह प्रक्रिया दोहरानी चाहिये.

सावधानियां--

  1. परिवार में जितने लोगों को जूँएं हैं सब का उपचार एक साथ हो.
  2. कपङे बिस्तर आदि धूप में लगाएं या गर्म पानी में धोँएं
  3. गर्भवती महिला या एक साल के छोटे बच्चे में gamma banzene hexachloride काम में न लें
  4. ये औषधियां सुरतक्षित तो हैं पर विषैली भी हैं इसलिए आंखों से और मुंह से बचाव करके ही लगाई जाएं
  5.  और ठीक हो जायें तो चिकित्सक को धन्यवाद दिया जाये.

जूँ --शायद ये आज तक की किसी भी पोस्ट का सबसे छोटा शीर्षक होगा ,पर इससे बङा हो भी नहीं सकता था, 

Comments

अच्छी जानकारी है, लिखते रहिये।

इस बात का ध्यान रखियेगा कि स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी जो आप दे रहे हैं उसकी बहुत लम्बे समय तक उपयोगिता बनी रहेगी।

मैं आपसे आग्रह करूंगा कि हिन्दी विकिपिडिया पर कुछ सबसे महत्वपूर्ण लेख आप लिखें। वहाँ तकनीकी लेख लिखे जा रहे हैं, किन्तु मेडिकल लेखों का अभाव है।
Udan Tashtari said…
धन्यवाद जानकारी के लिये.
अरे वाह ! आपने साबित कर दिया कि ब्लाग लेखन सब विधाओ‍ं से अलहदा है । यहां जूं तक पर लिखा और सराहा जा सकता है ।
उपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद।
प्रतिदिन की समस्याओं पर सरल भाषा में वैज्ञानिक लेख प्रस्तुत करने के लिये आभार. उम्मीद है कि जल्दी ही आप Preventive and Social Medicine के सारे आवश्यक पहलुओं पर लिख देंगे -- शास्त्री

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
हर महीने कम से कम एक हिन्दी पुस्तक खरीदें !
मैं और आप नहीं तो क्या विदेशी लोग हिन्दी
लेखकों को प्रोत्साहन देंगे ??
admin said…
आप स्वास्थ्य सम्बंधी जानकारी को आमजन तक पहुंचा कर बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं। बधाई स्वीकारें।

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