जाके पैर न फटी बिवाई -----
वो क्या जाने पीर पराई.फटी एङियों के बारे में जिस भी कवि ने ये पंक्तियां लिखी हैं सत्य है, क्यों कि फटी बिवाईयों का दर्द इतना ज्यादा होता है कि जब मेरी मां इनके उपचार के लिए पिघला मोम डालती थी चिरी हुई एङियों में तो वो जलन भी कम लगती थी,
सर्दी के दिनों में एङी फटना एक सर्व सामानतय समस्या है.यदि इसका कारण और निवारण के बारे में थोङी जानकारी हो तो हम बङे आराम से इस समस्या पर पार पा सकते हैं सर्दी के मौसम में हमारी त्वचा की नमी और चिकनाई कम हो जाती हो और विषेशकर पांव की त्वचा, तो क्यों कि निरन्तर जमीन के संपर्क में रहने से और भी सूखनें लगती है और फटनें लगती है और फटी हुई त्वचा से जब मिट्टी आदि अंदर जाती है तो संक्रमण हो जाता है और दर्द होनं लगता है और उसी दर्द की अभिव्यक्ती ऊपर की गई हैकि जा के पैर न फटी बिव.........
उपचार---- बीमारी आपके समझ आ गई तो उपचार भी उतना ही आसान है.चिकनाई या के नमी की कमी से एङियां फटी तो चिकनाई अर्थात moisturizers का उपयोग इसका उपचार है, इसलिए पैट्रोलियम जैली,खोपरे का तेल,कोल्ड क्रीम इत्यादि अनेकानेक चीजें इसके काम ली जातीहै.थोङी बहुत समस्या हो तो इन सब चीजों से बङे आराम से काम चल जाता है पर चीरे ज्यादा हों तो कुछ विशष उपचार करना चाहिए.सबसे पहले रोज रात में सोते समय नमक के पानी से पांव धोएं (एक लीटर पानी में एक चम्मच नमक डालकर पानी को गुनगुना कीजिए)धोना क्या पानी के अंदर पांव को पांच मिनिट तक रखना है अब जो चीरे हैं उनमें gentian violet, नामक एक दवा जो कि चार पांच रूपये में किसि भी दवाई की दुकान पर मिल जाती है.चूंकि यह द्रव पदार्थ है इसलिए चीरों के अन्दर तक जाकर संक्रमण को बङी ही सफाई से खत्म कर देता है.जिससे चीरे तुरन्त ही साफ होने लगते हैं. इसके बाद salicylic acid युक्त क्रीम जो कि बाजार में विभिन्न कंपनियों की dipsalic,trivate mf ,betnovate –s आदि अनेकानेक नामों से मिलती है ,फटी एङियों में बहुत अच्छा काम करती है यह पाँव की नमी को बनाए रखने के साथ साथ रूखी त्वचा को भी साफ करती है जिसत फटी एङियां नरम होती हैं और साफ होने लगती हैं.अब एक बार ये सब ठीक होने पर साधारण पैट्रोलियम जैली से भी एङियां साफ रह सकती हैं और जरूरत पङने पर वापिस का , सेलिसाइलिक एसिड युक्त क्रीम का प्रयोग किया जा सकता है.
इस प्रकार इन साधारण उपायों से हम इस दर्द भरी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं
सीकर वाली मां नाम सुनते ही मोटे मोटे कांच वाले चश्मे के पीछे से झांकती हुई वात्सल्य मयी पर तेज तर्रार आंखे याद आ जाती हैं,वो मेरी दादी थी .
सर्दी के दिनों में एङी फटना एक सर्व सामानतय समस्या है.यदि इसका कारण और निवारण के बारे में थोङी जानकारी हो तो हम बङे आराम से इस समस्या पर पार पा सकते हैं सर्दी के मौसम में हमारी त्वचा की नमी और चिकनाई कम हो जाती हो और विषेशकर पांव की त्वचा, तो क्यों कि निरन्तर जमीन के संपर्क में रहने से और भी सूखनें लगती है और फटनें लगती है और फटी हुई त्वचा से जब मिट्टी आदि अंदर जाती है तो संक्रमण हो जाता है और दर्द होनं लगता है और उसी दर्द की अभिव्यक्ती ऊपर की गई हैकि जा के पैर न फटी बिव.........
उपचार---- बीमारी आपके समझ आ गई तो उपचार भी उतना ही आसान है.चिकनाई या के नमी की कमी से एङियां फटी तो चिकनाई अर्थात moisturizers का उपयोग इसका उपचार है, इसलिए पैट्रोलियम जैली,खोपरे का तेल,कोल्ड क्रीम इत्यादि अनेकानेक चीजें इसके काम ली जातीहै.थोङी बहुत समस्या हो तो इन सब चीजों से बङे आराम से काम चल जाता है पर चीरे ज्यादा हों तो कुछ विशष उपचार करना चाहिए.सबसे पहले रोज रात में सोते समय नमक के पानी से पांव धोएं (एक लीटर पानी में एक चम्मच नमक डालकर पानी को गुनगुना कीजिए)धोना क्या पानी के अंदर पांव को पांच मिनिट तक रखना है अब जो चीरे हैं उनमें gentian violet, नामक एक दवा जो कि चार पांच रूपये में किसि भी दवाई की दुकान पर मिल जाती है.चूंकि यह द्रव पदार्थ है इसलिए चीरों के अन्दर तक जाकर संक्रमण को बङी ही सफाई से खत्म कर देता है.जिससे चीरे तुरन्त ही साफ होने लगते हैं. इसके बाद salicylic acid युक्त क्रीम जो कि बाजार में विभिन्न कंपनियों की dipsalic,trivate mf ,betnovate –s आदि अनेकानेक नामों से मिलती है ,फटी एङियों में बहुत अच्छा काम करती है यह पाँव की नमी को बनाए रखने के साथ साथ रूखी त्वचा को भी साफ करती है जिसत फटी एङियां नरम होती हैं और साफ होने लगती हैं.अब एक बार ये सब ठीक होने पर साधारण पैट्रोलियम जैली से भी एङियां साफ रह सकती हैं और जरूरत पङने पर वापिस का , सेलिसाइलिक एसिड युक्त क्रीम का प्रयोग किया जा सकता है.
इस प्रकार इन साधारण उपायों से हम इस दर्द भरी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं
सीकर वाली मां नाम सुनते ही मोटे मोटे कांच वाले चश्मे के पीछे से झांकती हुई वात्सल्य मयी पर तेज तर्रार आंखे याद आ जाती हैं,वो मेरी दादी थी .
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आप से शिकायत है कि आप बहुत कम लिखते हैं -- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है